विविधा पश्चिमी रंग में रंगा भारत: नकलची भूरा बंदर / विश्व मोहन तिवारी January 6, 2011 / June 6, 2012 by विश्वमोहन तिवारी | 21 Comments on पश्चिमी रंग में रंगा भारत: नकलची भूरा बंदर / विश्व मोहन तिवारी विश्व मोहन तिवारी, एयर वाइस मार्शल, (से.नि.) आज जिस तरह के राक्षसी अपराध तथा भ्रष्ट कारनामें भारत में देखने मिल रहे हैं तब यह प्रश्न सहज ही उठता है कि क्या भारत सभ्य है? यही प्रश्न बीसवीं शती के प्रारंभ में विलियम आर्चर ने उठाया था और अपनी कट्टर सांप्रदायिक दृष्टि तथा औपनिवेशिक अहंकार में […] Read more » India भारत
विविधा कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से January 6, 2011 / December 16, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से जगदीश्वर चतुर्वेदी कूपमंडूक विचारकों को वैश्वीकरण अभी तक समझ में नहीं आया है। वे यह देखने में असफल हैं कि भारत का बुनियादी आर्थिक नक्शा बदल चुका है। कूपमंडूक विचारकों में कठमुल्लापन इस कदर हावी है कि उनकी कूपमंडूकता के समाने विनलादेन भी शर्मिंदा महसूस करता है। भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारीकरण को औचक और कूपमंडूक […] Read more » Capitalism बुद्धिजीवी वैश्वीकरण
विविधा स्वभाषा विकास और हिन्दी साहित्य सम्मेलन January 5, 2011 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on स्वभाषा विकास और हिन्दी साहित्य सम्मेलन राजीव मिश्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग भारत में एकमात्र हिन्दी की संस्था है, जिससे समस्त हिंदी जगत की कामनाओं को पूर्ण करने का प्रयास किया। इसका जन्म खोई हुई आत्मनिष्ठा को वापस करने के लिए था। देश के विषाक्त वातावरण को नष्ट करके राष्ट्र की देशी मनः स्थिति, भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं में अटूट […] Read more » hindi हिंदी हिंदी साहित्य सम्मेलन
विविधा गाँधीगिरी बनाम आतंकवाद January 4, 2011 / December 18, 2011 by एल. आर गान्धी | 1 Comment on गाँधीगिरी बनाम आतंकवाद एल.आर. गाँधी निरंतर पिटने और कौक्रोच पालने को हमने अपना राष्ट्रीय व्यसन बना लिया है। कोई एक गाल पर मारे तो अपना दूसरा गाल उसके आगे कर दो! राष्ट्रपिता? की नीति थी, जिसे हमने अपनी नियति मान लिया और उन्हीं की नीतियों पर चलते हुए ‘आस्तीन में सांप पालने’ का व्यसन हमारे सेकुलर शैतानों की […] Read more » terrorism आतंकवाद
विविधा साल के पड़ाव पर, भई संतन की भीड़ January 3, 2011 / December 18, 2011 by जयप्रकाश सिंह | 7 Comments on साल के पड़ाव पर, भई संतन की भीड़ जयप्रकाश सिंह 1 जनवरी 2011 की दोपहर को भुवनेश्वर से एक परम मित्र का फोन आया। यह फोन रोमन नववर्ष की बधाई देने के लिए नहीं था। उन्होंने एक सूचना दी कि आज पूरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शनार्थियों की संख्या रथयात्रा के समय होने वाली संतों की भीड़ से कम नहीं है। उन्होंने प्रत्येक […] Read more » Crowd भीड़
विविधा बिनायक सेन तो महज मोहरा है, असली मकसद तो कुछ और है January 2, 2011 / December 18, 2011 by दानसिंह देवांगन | 5 Comments on बिनायक सेन तो महज मोहरा है, असली मकसद तो कुछ और है हे भारत मां इन्हें माफ करना दानसिंह देवांगन जब से रायपुर की एक अदालत ने पीयूसीएल के उपाध्यक्ष बिनायक सेन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। देश-विदेश के सैकड़ों देशतोड़क तथाकथित बुद्धिजीवी एवं मानव अधिकार के ठेकेदार हायतौबा मचाने लगे हैं। कोई दिन ऐसा नहीं गया, जब अखबारों में बिनायक सेन के समर्थक कोर्ट और […] Read more » Vinayak Sen डॉ. विनायक सेन
विविधा वर्षांत-2010/ बात तो साफ हुई कि मीडिया देवता नहीं है ! January 1, 2011 / December 18, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -संजय द्विवेदी यह अच्छा ही हुआ कि यह बात साफ हो गयी कि मीडिया देवता नहीं है। वह तमाम अन्य व्यवसायों की तरह ही उतना ही पवित्र व अपवित्र होने और हो सकने की संभावना से भरा है। 2010 का साल इसलिए हमें कई भ्रमों से निजात दिलाता है और यह आश्वासन भी देकर जा […] Read more » media मीडिया
विविधा 2010 अलविदा: खु़शामदीद 2011 January 1, 2011 / December 18, 2011 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on 2010 अलविदा: खु़शामदीद 2011 तनवीर जाफ़री प्रत्येक वर्ष की भांति वर्ष 2010 भी आखिरकार हम सब को अलविदा कह गया और हमेशा की तरह हमने तमाम नई आशाओं व उ मीदों के साथ नववर्ष 2011 को खु़शामदीद कहा। बीता वर्ष अपने पीछे तमाम खट्टी-मीठी यादें, राजनैतिक, आर्थिक तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई यादगार घटनाओं को इतिहास के […] Read more » by by अलविदा
विविधा अलविदा -२०१० January 1, 2011 / December 18, 2011 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment श्रीराम तिवारी काल चक्र की गणना, मानव सभ्यता के जिस मुकाम पर प्रारंभ हुई होगी, सम्भवत वह भारत के पूर्व वैदिक काल और अमेरिकी माया सभ्यता के अवसान का समय रहा होगा. यह सर्वविदित और सर्वकालिक स्थापित सत्य है की भारत में विदेशी आक्रमणों से पूर्व भी उन्नत सभ्यताएं विद्यमान थी. यह भी सर्वस्वीकार्य सत्य […] Read more » by by अलविदा
विविधा खट्टी-मीठी यादों के साथ महाघोटालों के नाम रहा 2010 January 1, 2011 / December 18, 2011 by रामबिहारी सिंह | Leave a Comment रामबिहारी सिंह हर साल की तरह यह वर्ष 2010 भी अपने साथ कई मीठी यादों के साथ ही कड़वे दर्द देकर खत्म हो गया। वर्ष 2010 में जहां कुछ अच्छे कार्य हुए तो वहीं कई ऐसे कलंक भी लगे जो भारत को दुनिया की नजर में शर्मिंदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा गए। 2010 में […] Read more » scam घोटाला
विविधा 10 जनवरी को घोषित होंगे ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता के परिणाम December 31, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 1 Comment on 10 जनवरी को घोषित होंगे ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता के परिणाम ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के दो साल पूरे होने के अवसर पर गत सितम्बर माह में हमने ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया था। लेख भेजने की अंतिम तिथि थी 31 दिसम्बर 2010 और विषय था- वेब पत्रकारिता : चुनौतियाँ व सम्भावनाएँ। अभी तक हमें कुल दस लेख प्राप्त हुए हैं- संजय कुमार, पटना (बिहार) उमेश […] Read more » प्रवक्ता डॉट कॉम
विविधा अँधेरे तले चिराग December 31, 2010 / December 18, 2011 by ललित कुमार कुचालिया | Leave a Comment ललित कुमार कुचालिया “कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो”, “जिनके हौसलो में जान होती है, उन्हें पंखों की जरुरत नहीं होती”…. आपने इस तरह के जुमले अक्सर सुने होगे लेकिन अँधेरे का यह चिराग अपनी रोशनी से आस-पास के लोगो कों उजाला दे रहा है। हाल […] Read more » अजय कुमार बर्त्वाल