हिजबुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर कश्मीरी आतंकी ज़ाकिर मूसा ने बिजनौर में रेल में एक सिपाही द्वारा एक महिला के साथ रेप के मामले में बयान जारी कर भारतीय मुसलमानों को न केवल ज़लील किया है बल्कि उनको भड़काने की भी नाकाम कोशिश की है।
-इक़बाल हिंदुस्तानी
29 मई को लखनऊ- चंडीगढ़ एक्सप्रैस में एक विकलांग महिला के साथ एक पुलिसवाले द्वारा बलात्कार करने का आरोप लगा था। संयोग से महिला मुस्लिम थी। हालांकि यह जांच के बाद ही पता लगेगा कि वास्तव में उसके साथ रेप हुआ या नहीं? लेकिन इतना तय है कि अगर ऐसा हुआ भी होगा तो इसलिये नहीं कि वह मुस्लिम थी। मूसा ने जो ऑडियो बयान जारी किया है। उसकी आवाज़ की जांच कर पुलिस ने दावा किया है कि वह वास्तव में कश्मीरी आतंकी मूसा की ही आवाज़ है। मूसा ने उसबयान में कहा है-‘‘बहन मैं शर्मिंदा हूं और बहुतदुखी हूं कि तुम्हारी लिये कुछ नहीं कर सका।’’इसके साथ ही मूसा ने भारतीय मुसलमानों को उस महिला के पक्ष में मुसलमान होने की वजह से न खड़ा होने की वजह से खूब अपशब्द भी कहे हैं ।
इतना ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों में गौरक्षा के नाम पर जो गुंडे मुसलमानों पर हमला कर मार रहे हैं। मूसा ने उन पर भी जमकर गुस्सा निकालने के साथ देश के मु सलमानों के ऐसी घटनाओं पर चुप रहने को उनकी बेशर्मी और बेहिसी बताया है। मूसा ने अपनी लड़ाई को इस्लाम की लड़ाई बताते हुए अब इस जं ग को कश्मीर से बाहर यानी पूरे भारत मंे फैलाने की धमकी भी दी है। मूसा के बयान पर मुझे हंसी भी आ रही है और गुस्सा भी। मूसा भा रतीय मुसलमानों को दवा के नाम पर ज़हर देना चाहता है। उसको यह नहीं पता कि बिजनौर रेलवे स्टेशन पर उस विकलांग महिला के साथ जो कुछ हुआ उस पर हंगामा शुरू करने वाला 15 साल का नवयुवक अरूण कुमार हिंदू था।
मूसा को यह भी नहीं पता कि उस महिला,उसके परिवार और उसके नाना ने रेप होने से ही मना कर दिया था । लेकिन हिंदू मुस्लिम जनता के दबाव में न केवल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की बल्कि उस आरोपी पुलिस वाले को जेल भी भेज दिया। अब कोर्ट जो तय करेगा वह हम सबको मंजूर हो गा। पुलिस वाला तो पुलिसवाला होता है। इसमें वह हिंदू पुलिस वाला कैसे हो गया? और जनता और उसमेें भी महिला वह भी गरीब कमज़ोर के साथ सब जगह ऐसा ही होता है। जोकि गलत तो है। लेकिन इसमें हिंदू मुसलमान का सवाल कहां से आ गया? रही बात गौरक्षा के नाम पर गुंडा गर्दी की तो इसके लिये भी देश में खुद हिंदू ही बड़ी तादाद में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं।
यहां तक कि खुद आरएसएस प्रमुख भागवत को भी गौरक्षकों को ऐसा करने के लिये फटकार लगानी पड़ी है। एक बार पीएम मोदी भी ऐसे गौरक्षकों को लताड़ चुके हैं। यहां तक कि भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसी घटनायें होने पर उनके खिलाफ हर बार बाकायदा मुकदमें दर्ज होते हैं । आरोपियों की गिरपफतारी भी होती है। इससे पहले जहां जहां दंगे हुए उन मामलों में भी मुसलमानों की पैरवी बड़ी तादाद में सेकुलर और निष्पक्ष हिंदुओं ने खुलकर की है। गुजरात के 2002 के दंगे में हिंदू व सिख आईएसएसऔर आईपीएस के साथ एनजीओ की तीस्ता शीतलवाड़ ने मिलकर मुसलमानों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी। दूसरी तरफ कश्मीर से हिंदू पंडितों को निकाला गया।
उनके मंदिर जलाये गये। तब वहां के मुसलमानों को सांप संघ गया। हम भारतीय मुसलमान अपने देश से प्र्रेम करते हैं। हम अमन चैन और भा ईचारे के साथ अपने हिंदू भाइयों के साथ सदियों से रहते आ रहे हैं । 1947 में हमारे बुजुर्गों ने खुद भारत में हिंदुओं के साथ रहने का विकल्प चुना था। जिनको पाकि स्तान जाना था वे चले गये। 1971 में उसके दो टुकड़े होकर बंग्लादेश भी बन गया। अब तुम मुट्ठीभर अलगाववादी कश्मीरी आईएसआईएस और पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगाकर पता नहीं कौन सा तीर मार लोगे? पाकिस्तान अफगानिस्तान और सीरिया सहित पूरी दुनिया के अधिकां श मुस्लिम मुल्कों में खुद मुसलमान एक दूसरे को किस तरह जानवर की तरहआये दिन काट रहे हैं।
किसी भी मुस्लिम मुल्क में अल्पसंख्यकों को बराबर हक नहीं दिये जा रहे हैं। उनको ज़बरदस्ती मुसलमान बनाना या मारना काटना व उन की महिलाओं से रेप करना कई मुस्लिम मुल्कों में आम बात है। यह किसी से अब छिपा नहीं है। मिस्टर मूसा यह ठीक है कि जहां दो बर्तन होते हैं। वे खड़कते ही हैं। इसी तरह से हमारे हिंदू भाई हैं। उनसे कभी कभी कुछ तकरार झगड़े टकराव हिंसक रूप ले लेते हैं।लेकिन वे हमेशा उनकी तरफ से ही नहीं होते। बल् कि सच तो यह है कि यह सब सियासत की वजह से ज़्यादा होते हैं। इस के लिये खुद मुसलमानों की जहालत आक्रामकता और नासमझी भी काफी हद तक कसूरवार होती है।घर से बाहर हम सब हिंदू मुसलमान नहीं बल्कि भारतीय हैं।
हम लडे़ेगे भिड़ेंगे और इसके बावजूद उन हिंदू भाइयों के साथ ही मिलजुलकर प्यार मुहब्बत से रहें गे जिनका बड़ा हिस्सा आज भी हम से पड़ौसी भाई और दोस्त का रिश्ता निभाता है। हम हिंदुस्तानी मुसलमान भारत में सबसे सुरक्षित हैं। मिस्टर मूसा अलबत्ता तुम ठहरे सारी दुनिया के खुदाई फौजदार, इस् लाम और इंसानियत के दुश्मन तो तुम अपना यह गंदाखूनी खेल कश्मीर तक ही सीमित रखो क्योंकि तुम्हारी ज़िंदगी चार दिन की ही है। भा जपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कम से कम इतनी बात तो ठीक ही कही है कि भारतीय मुसलमान तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाला और एक दिन ख़बर मिलेगी तुम कश्मीर को इस्लामी राष्ट्र बनाने का सपना देखते देखते खुद चंद दिन बाद सेना की गोली का शिकार हो गये।
हम बावफ़ा थे इसलिये नज़रों से गिर गये,
शायद तुम्हें तलाश किसी बेवफ़ा की थी।।