लेख अभिव्यक्ति की आजादी के निहितार्थ

अभिव्यक्ति की आजादी के निहितार्थ

डॉ.वेदप्रकाश      अश्लीलता, हिंसा और अभद्र भाषा का प्रयोग व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के नैतिक चरित्र पर प्रश्न चिन्ह लगता है। आज करोड़ों लोग विभिन्न…

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राजनीति होली, रमजान, राम और जान : पत्थरों की नहीं, फूलों की बारिश हो

होली, रमजान, राम और जान : पत्थरों की नहीं, फूलों की बारिश हो

डॉ घनश्याम बादल  भारत में सभी धर्मानुयायी अपने-अपने तीज त्यौहार हमेशा से साथ-साथ मनाते आए हैं और इसमें कभी भी किसी तरह का वैमनस्य या…

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बच्चों का पन्ना हेडफोन-गेमिंग से बच्चों के बहरे होने का खतरा

हेडफोन-गेमिंग से बच्चों के बहरे होने का खतरा

– ललित गर्ग  –टेक्नोलॉजी विकास एवं उससे जुड़े नये-नये उपकरण आधुनिक जीवनशैली को भले ही बहुत आसान कर दिया हो लेकिन इसके अनियंत्रित उपयोग से…

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आर्थिकी ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णयों से कैसे निपटे भारत

ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णयों से कैसे निपटे भारत

ट्रम्प प्रशासन अमेरिका में विभिन्न उत्पादों के हो रहे आयात पर टैरिफ की दरों को लगातार बढ़ाते जाने की घोषणा कर रहा है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन के अनुसार इन देशों द्वारा अमेरिका से किए जा रहे विभिन्न उत्पादों के आयात पर ये देश अधिक मात्रा में टैरिफ लगाते हैं। चीन, कनाडा एवं मेक्सिको से अमेरिका में होने वाले विभिन्न उत्पादों के आयात पर तो टैरिफ को बढ़ा भी दिया गया है। इसी प्रकार भारत के मामले में भी ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि भारत, अमेरिका से आयातित कुछ उत्पादों पर 100 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाता है अतः अमेरिका भी भारत से आयात किए जा रहे कुछ उत्पादों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा। इस संदर्भ में हालांकि केवल भारत का नाम नहीं लिया गया है बल्कि “टिट फोर टेट” एवं “रेसिप्रोकल” आधार पर कर लगाने की बात की जा रही है और यह समस्त देशों से अमेरिका में हो रहे आयात पर लागू किया जा सकता है एवं इसके लागू होने की दिनांक भी 2 अप्रेल 2025 तय कर दी गई है। इस प्रकार की नित नई घोषणाओं का असर अमेरिका सहित विभिन्न देशों के पूंजी (शेयर) बाजार पर स्पष्टतः दिखाई दे रहा है एवं शेयर बाजारों में डर का माहौल बन गया है। भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को लगभग 74,000 करोड़ रुपए की दवाईयों का निर्यात किया है। 62,000 करोड़ रुपए के टेलिकॉम उपकरणों का निर्यात क्या है, 48,000 करोड़ रुपए के पर्ल एवं प्रेशस स्टोन का निर्यात किया है, 37,000 करोड़ रुपए के पेट्रोलीयम उत्पादों का निर्यात किया है, 30,000 करोड़ रुपए के स्वर्ण एवं प्रेशस मेटल का निर्यात किया है, 26,000 करोड़ रुपए की कपास का निर्यात किया है, 25,000 करोड़ रुपए के इस्पात एवं अल्यूमिनियम उत्पादों का निर्यात किया है, 23,000 करोड़ रुपए सूती कपड़े का निर्यात का किया है, 23,000 करोड़ रुपए की इलेक्ट्रिकल मशीनरी का निर्यात किया है एवं 22,000 करोड़ रुपए के समुद्रीय उत्पादों का निर्यात किया है। इस प्रकार, विदेशी व्यापार के मामले में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा साझीदार है। अमेरिका अपने देश में विभिन्न वस्तुओं के आयात पर टैरिफ लगा रहा है क्योंकि अमेरिका को ट्रम्प प्रशासन एक बार पुनः वैभवशाली बनाना चाहते हैं परंतु इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ही विपरीत प्रभाव होता हुआ दिखाई दे रहा है। अमेरिकी बैंकों के बीच किए गए एक सर्वे में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि यदि अमेरिका में विभिन्न उत्पादों के आयात पर टैरिफ इसी प्रकार बढ़ाते जाते रहे तो अमेरिका में आर्थिक मंदी की सम्भावना बढ़कर 40 प्रतिशत के ऊपर पहुंच सकती है, जो हाल ही में जे पी मोर्गन द्वारा 31 प्रतिशत एवं गोल्डमैन सैचस 24 प्रतिशत बताई गई थी। इसके साथ ही, ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णयों की घोषणा में भी एकरूपता नहीं है। कभी किसी देश पर टैरिफ बढ़ाने के घोषणा की जा रही है तो कभी इसे वापिस ले लिया जा रहा है, तो कभी इसके लागू किए जाने के समय में परिवर्तन किया जा रहा है, तो कभी इसे लागू करने की अवधि बढ़ा दी जाती है। कुल मिलाकर, अमेरिकी पूंजी बाजार में सधे हुए निर्णय होते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं इससे पूंजी बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों का आत्मविश्वास टूट रहा है। और, अंततः इस सबका असर भारत सहित अन्य देशों के पूंजी (शेयर) बाजार पर पड़ता हुआ भी दिखाई दे रहा है।  हालांकि, ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ को बढ़ाए जाने सम्बंधी लिए जा रहे निर्णयों का भारत के लिए स्वर्णिम अवसर भी बन सकता है। क्योंकि, भारतीय जब भी दबाव में आते हैं तब तब वे अपने लिए बेहतर उपलब्धियां हासिल कर लेते हैं। इतिहास इसका गवाह है, कोविड महामारी के खंडकाल में भी भारत ने दबाव में कई उपलब्धयां हासिल की थीं। भारत ने कोविड के खंडकाल में 100 से अधिक देशों को कोविड बीमारी से सम्बंधित दवाईयां एवं टीके निर्यात करने में सफलता हासिल की थी।  विदेशी व्यापार के मामले में चीन, कनाडा एवं मेक्सिको अमेरिका के बहुत महत्वपूर्ण भागीदार हैं। वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, उक्त तीनों देश लगभग 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार प्रतिवर्ष अमेरिका के साथ करते हैं। इसके बावजूद अमेरिका ने उक्त तीनों के साथ व्यापार युद्ध प्रारम्भ कर दिया है। भारत के साथ अमेरिका का केवल 11,300 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ही व्यापार था। अब ट्रम्प प्रशासन की अन्य देशों से यह अपेक्षा है कि वे अमेरिकी उत्पादों के आयात पर टैरिफ कम करे अथवा अमेरिका भी इन देशों से हो रहे विभिन्न उत्पादों पर उसी दर से टैरिफ वसूल करेगा, जिस दर पर ये देश अमेरिका से आयातित उत्पादों पर वसूलते हैं। यह सही है कि भारत अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाता है क्योंकि भारत अपने किसानों और व्यापारियों को बचाना चाहता है। भारत में कृषि क्षेत्र के उत्पादों पर 25 से 100 प्रतिशत तक आयात कर लगाया जाता है जबकि कृषि क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य उत्पादों पर कर की मात्रा बहुत कम हैं। भारत ने विनिर्माण एवं अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ा ली है परंतु कृषि क्षेत्र में अभी भी अपनी उत्पादकता बढ़ाना है। हाल ही के समय में भारत ने कई उत्पादों के आयात पर टैरिफ की दर घटाई भी है।  भारत के साथ दूसरी समस्या यह भी है कि यदि भारत आयातित उत्पादों पर टैरिफ कम करता है तो भारत में इन उत्पादों के आयात बढ़ेंगे और भारत को अधिक अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी इससे भारतीय रुपये का और अधिक अवमूल्यन होगा तथा भारत में मुद्रा स्फीति का दबाव बढ़ेगा। विदेशी निवेश भी कम होने लगेगा और अंततः भारत में बेरोजगारी बढ़ेगी। भारत में सप्लाई चैन पर दबाव भी बढ़ेगा। इन समस्त समस्याओं का हल है कि भारत अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करे। परंतु, अन्य देश चाहते हैं कि द्विपक्षीय समझौतों में कृषि क्षेत्र को भी शामिल किया जाय, इसका रास्ता आपसी चर्चा में निकाला जा सकता है। अमेरिका एवं ब्रिटेन के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते सम्पन्न करने की चर्चा तेज गति से चल रही है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई थी कि भारत और अमेरिका के बीच विदेशी व्यापार को 50,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष के स्तर पर लाए जाने के प्रयास किए जाएंगे। इस सम्बंध में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर तेजी से काम चल रहा है।  दूसरे, अब भारत को उद्योग एवं कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ानी होगी। हर क्षेत्र में लागत कम करनी होगी ताकि भारत में उत्पादित वस्तुएं विश्व के अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में खाड़ी हो सकें। भारत में रिश्वतखोरी की लागत को भी समाप्त करना होगा। भारत में निचले स्तर पर घूसखोरी की लागत बहुत अधिक है। भूमि, पूंजी, श्रम, संगठन एवं तकनीकि की लागत कम करनी होगी। कुल मिलाकर व्यवहार की लागत को भी कम करना होगा। भारतीय उद्योगों को अन्य देशों के उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धी बनाना ही इस समस्या का हल है ताकि भारतीय उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पाद अन्य देशों के साथ विशेष रूप से गुणवत्ता एवं लागत के मामले में प्रतिस्पर्धा कर सकें। निजी क्षेत्र को लगातार प्रोत्साहन देना होगा ताकि निजी क्षेत्र का निवेश उद्योग के क्षेत्र में बढ़ सके। आज भारत में पूंजीगत खर्चे केवल केंद्र सरकार द्वारा ही बहुत अधिक मात्रा में किए जा रहे हैं। आज देश में हजारों टाटा, बिरला, अडानी एवं अम्बानी चाहिए। केवल कुछ भारतीय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से अब काम चलने वाला नहीं हैं। भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बनाने का समय अब आ गया है। तीसरे, मेक इन इंडिया ट्रम्प के टैरिफ युद्ध का सही जवाब है। आज भारत को सही अर्थों में “आत्मनिर्भर भारत” बनाए जाने की सबसे अधिक आवश्यकता है। भारत के लिए केवल अमेरिका ही विदेशी व्यापार के मामले में सब कुछ नहीं होना चाहिए, भारत को अपने लिए नित नए बाजारों की तलाश भी करनी होगी। एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता उचित नहीं है। स्वदेशी उद्योगों को भी बढ़ावा देना ही होगा। प्रहलाद सबनानी 

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राजनीति मुस्लिम देशों में मंदिर: सनातन संस्कृति का अनंत प्रवाह

मुस्लिम देशों में मंदिर: सनातन संस्कृति का अनंत प्रवाह

प्रो. महेश चंद गुप्ता इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भगवान मुरुगन को समर्पित मंदिर को महाकुंभिषेकम के साथ खोल दिया गया है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन शामिल हुए। इस मौके पर मोदी ने कहा कि ‘वह मुरुगन टेंपल के महाकुंभिषेकम जैसे पुण्य आयोजन का हिस्सा बनकर सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।’ जकार्ता के इस मुरुगन मंदिर को श्री सनातन धर्म आलयम के नाम से भी जाना जाता है। भगवान मुरुगन को समर्पित यह इंडोनेशिया का पहला मंदिर है। ये मंदिर 2020 में बनना शुरू हुआ था।  2 फरवरी को भव्य समारोह में इंडोनेशिया सरकार द्वारा दिए गए 4000 वर्ग मीटर भूखंड पर बने इस मंदिर को खोला गया है। इससे पहले सऊदी अरब के आबूधाबी और दुबई में भी भव्य मंदिर बने हैं। ये मंदिर इस बात के प्रतीक हैं कि सनातन संस्कृति को मुस्लिम देशों में भी सम्मान दिया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम मुल्क इंडोनेशिया में सनातन संस्कृति के प्रतीक मंदिर के निर्माण पर पाकिस्तान के मुल्ला जहर उगल रहे हैं लेकिन इससे विश्व में सनातन संस्कृति की दिव्यता प्रदर्शित हुई है।दुनिया में जिस प्रकार सनातन का मान-सम्मान बढ़ रहा है, वह हमारी इस प्राचीन संस्कृति की आधुनिक युग में सार्थकता को सिद्ध कर रहा है। सनातन ही सत्य है और सत्य ही सनातन। यह वह अनादि प्रकाश है, जो अनंत तक आलोकित रहेगा। न इसकी कोई शुरुआत थी, न कोई अंत होगा। सनातन  सृष्टि की आत्मा है, परम तत्व की अनुभूति है। सनातन का अर्थ है शाश्वत, जो सदा रहता है। जो पहले था, जो अब है और जो हमेशा रहेगा। सनातन केवल एक धर्म नहीं, यह चेतना की वह धारा है जो जीवन को सार्थकता, प्रेम, सेवा, सहिष्णुता और शांति का सन्देश देती है। यह वह दिव्य धरोहर है, जिसने समस्त मानवता को मोक्ष, ज्ञान, मानव कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा दिखाई है।यह संस्कृति केवल परंपराओं की वाहक नहीं बल्कि ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का अथाह भंडार भी है। सनातन की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसकी कोई शुरुआत नहीं और कोई अंत नहीं। यह परम सत्य है, और सत्य ही परमात्मा है। सनातन व्यवस्था केवल धार्मिकता तक सीमित नहीं है बल्कि यह संपूर्ण जीवन दर्शन का आधार है। यही कारण है कि सनातन सर्वव्याप्त, सर्वमय और सर्वज्ञ है।सनातन संस्कृति में जीवन, आनंद और उत्सव का अद्भुत समावेश है। इसके रीति-रिवाज, उत्सव, पर्व और त्योहार राष्ट्रीय एवं मानवीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं। यह संस्कृति केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं है। यह तो धडक़नों में बसती है, जीवन के कण-कण में प्रवाहित होती है। भारत को देव भूमि का दर्जा हासिल है तो यह सनातन संस्कृति की बदौलत ही है।  सनातन संस्कृति ही समूचे संसार को अहिंसा, प्रत्येक जीव के प्रति दया एवं सहानुभूति का मार्ग दिखाती है। केवल सनातन संस्कृति ही ऐसी है, जिसमें प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया गया है। सनातन में धर्म का अर्थ केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन की समग्रता का मार्गदर्शन करता है। हमारे त्योहार, पर्व, रीति-रिवाज और अनुष्ठान इसी सनातन प्रवाह के प्रतीक हैं। दीपों की जगमगाहट में दिवाली का उल्लास, रंगों की छटा में होली का अनुराग, मकर संक्रांति मेंं नवसृजन का संदेश, सूर्य की आराधना में छठ की भव्यता और आस्था का महासंगम महाकुंभ, ये सभी सनातन संस्कृति के जीवंत प्रमाण हैं। विवाह संस्कारों में सात जन्मों का बंधन, परिधान में शालीनता और खान-पान में शुद्धता-सात्विकता है। इन सबसे ही तो जीवन में मधुरता, प्रेम और समरसता का सृजन होता है।सनातन विशेषताओं से भरा है। हमारी संस्कृति सतरंगी है, जिसमें अनेक परंपराएं और मूल्य जुड़े हुए हैं। इसमें कला, संगीत, साहित्य और दर्शन का अपूर्व संगम है। भारत केवल भू-भाग नहीं, यह तप, त्याग और समर्पण की भूमि है। यह एक भाव है, एक चेतना है, एक आध्यात्मिक शक्ति है।   सनातन संस्कृति संसार को अहिंसा, दया और सहानुभूति का मार्ग दिखाती है। प्रकृति संरक्षण की भावना सनातन संस्कृति का मूल आधार है। इसमें नदियां केवल जल धाराएं नहीं, बल्कि  मां हैं। पर्वत केवल ऊंचे शिखर नहीं, बल्कि आराध्य हैं और वृक्ष केवल लकड़ी व पत्तों के ढांचे नहीं बल्कि जीवन के आधार हैं। यह वही धरती है, जहां श्रीकृष्ण ने अवतरित होकर गीता का उपदेश दिया। यह वही भूमि है जहां श्रीराम ने मर्यादा का संदेश दिया।  इसी धरा पर आदि शंकराचार्य ने अद्वैत का बोध कराया। इसी धरती पर सम्राट अशोक ने अहिंसा को अपनाया और यहीं पर छत्रपति शिवाजी व महाराणा प्रताप ने राष्ट्र गौरव की अलख जगाई।सनातन संस्कृति को आत्मसात किए भारत की धरती अर्पण, तर्पण और समर्पण की धरा है। जैसे एक गुलदस्ते में विविध पुष्प एक साथ गुंथे होते हैं, वैसे ही सनातन संस्कृति में वेद, उपनिषद, पुराण, धार्मिक परंपराएं और नैतिक मूल्य आपस में गुंथे हुए हैं। यहां धर्म एक विस्तृत जीवन शैली है। यह जीवन को केवल जन्म से मृत्यु तक की यात्रा नहीं मानता, बल्कि कर्म और फल की अविरल धारा से जोड़ता है। जैसे कर्म होंगे, वैसा ही फल मिलेगा, यह विचार केवल सनातन में ही देखने को मिलता है।सनातन संस्कृति से ओत-प्रोत वेद, पुराण, उपनिषद केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाले प्रकाश स्तंभ हैं। इस संस्कृति ने भारत को एक सूत्र में बांधा और विश्व को भारतीय दर्शन से जोड़ा है। सनातन केवल इतिहास नहीं, यह भविष्य की दिशा भी है। यह केवल ग्रंथों की भाषा नहीं, यह आत्मा की वाणी है। हमारे ग्रंथ केवल ज्ञान के स्रोत नहीं, वे जीवन के पथ प्रदर्शक हैं। यह वही संस्कृति है, जिसने विश्व को योग, ध्यान, आयुर्वेद और जीवन विज्ञान की अद्भुत धरोहर दी है। इस संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि समय का कोई आघात इसे डिगा नहीं सकता है। पिछले तीन-चार दशकों में बीच में एक समय था, जब सनातन संस्कृति से दूरियां बढऩे की बात कही जाने लगी थी लेकिन बीता एक दशक इस मामले में बदलाव का साक्षी बना है। जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत की सनातन संस्कृति का यशोगान हो रहा है। इससे समूचे विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति जानने, समझने और आत्मसात करने की ललक पैदा हुई है। इस दौरान सनातन संस्कृति को पुन: जीवंत करने का कार्य हुआ है। मोदी सरकार में भारत की संस्कृति और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे विश्व भर में सनातन संस्कृति को जानने और अपनाने की ललक बढ़ी है। हमारे युवा सनातन संस्कृति को आत्सात कर रहे हैं, जिससे उनका चरित्र निर्माण हो रहा है। हमारे युवाओं को अहसास हुआ है कि सनातन संस्कृति केवल एक परंपरा नहीं, यह जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने कर्तव्यों का पालन करें, समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखें और मानवता की सेवा करें। यह दर्शन, विज्ञान, साहित्य और कला से परिपूर्ण एक अनमोल धरोहर है। यदि कोई जीवन को गहराई से समझना और जीना चाहता है, तो उसे सनातन संस्कृति के सागर में गोता लगाना होगा। यह वह संस्कृति है जिसने न केवल भारत को, बल्कि पूरे संसार को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण दिया है। सनातन संस्कृति केवल अतीत की धरोहर नहीं, यह वर्तमान का आधार और भविष्य का मार्गदर्शन भी है। हमारा अतीत इस पर टिका था, हमारा वर्तमान इसका दर्पण है और हमारा भविष्य भी इसी की नींव पर खड़ा होगा। यही सनातन है, यही सत्य है और यही सनातन संस्कृति का अनंत प्रवाह है। (लेखक प्रख्यात शिक्षा विद्, चिंतक और वक्ता हैं। वह 44 सालों तक दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं।) प्रो. महेश चंद गुप्ता

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लेख गौरैया के लिए घर में बनाएं बयां 

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(20 मार्च विश्व गौरैया दिवस पर विशेष)  प्रभुनाथ शुक्ल हमारी सोच अब आहिस्ता-आहिस्ता बदलने लगी है। हम हम प्रकृति और जीव जंतुओं के प्रति थोड़ा मित्रवत भाव…

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लेख रोजी-रोटी की तलाश में संघर्षरत चेहरे

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विमला देवीजयपुर, राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल, अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे देखने के लिए दूर-दूर…

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कला-संस्कृति वेदों ने गौ माता को अवध्या कहकर पूजनीया माना है

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डॉ राकेश कुमार आर्य वैदिक संस्कृति संसार की सर्वोत्तम संस्कृति है। इस संस्कृति ने अहिंसा को धर्म के दस लक्षणों में जीवन को उन्नतिशील बनाने…

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राजनीति अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले चिंता का विषय

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वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भागीदारी और सहभागिता के दृष्टिगत कई शक्तियां ऐसी हैं जो भारत से अनावश्यक ईर्ष्या भाव रखती हैं। उनका हर…

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राजनीति कश्मीर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

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भारत विश्व की आर्थिक शक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। ऐसे में भारत के तेजी से बढ़ते कदमों को देखकर कई देशों को…

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कला-संस्कृति लो फिर आ गई होली

लो फिर आ गई होली

डा. विनोद बब्बर भारतीय संस्कृति की आत्मा पर्व त्योहारों से बसती है। यहां की बहुरंगी बहुभाषी सांस्कृतिक विरासत की छटा देश के विभिन्न भागों में…

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खान-पान बेखबर नहीं रहें गुर्दे के स्वास्थ्य को लेकर

बेखबर नहीं रहें गुर्दे के स्वास्थ्य को लेकर

विश्व गुर्दा दिवस 13 मार्च कुमार कृष्णन  गुर्दे की बीमारी की ओर अक्सर लोग बेखबर रहते हैं. 8 फीसदी से 10 फीसदी वयस्क किसी न…

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