राजनीति प्रतिबंध मुक्त संघ एक नयी किरण का आगाज

प्रतिबंध मुक्त संघ एक नयी किरण का आगाज

-ललित गर्ग- केंद्र की राजग सरकार ने एक महत्वपूर्ण एवं साहसिक आदेश के जरिये सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में शामिल…

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राजनीति कारगिल फतह : भारत माता के माथे पर शौर्य का टीका

कारगिल फतह : भारत माता के माथे पर शौर्य का टीका

प्रो. मनोज कुमार युद्ध किसी समस्या का हल नहीं होता है लेकिन जब बात देश की अस्मिता, सुरक्षा और सम्प्रभुता पर आए जाए तो एकमात्र…

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लेख शहरी गरीबी क्षेत्र में भी रोजगार जरूरी है

शहरी गरीबी क्षेत्र में भी रोजगार जरूरी है

सुनीता बैरवाजयपुर, राजस्थानपिछले हफ्ते राजस्थान सरकार ने 2024-25 का अपना बजट पेश किया. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की नई सरकार का…

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पर्यावरण बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

बढ़ती आबादी के बीच गंभीर होती पर्यावरण चुनौतियां

-ः ललित गर्ग:- संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी 2060 के दशक में 1 अरब 70 करोड़…

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राजनीति संघ किसे और क्यों मानता है अपना गुरु ? 

संघ किसे और क्यों मानता है अपना गुरु ? 

~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 2025 में अपनी यात्रा के सौ वर्ष पूर्ण कर लेगा। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  विश्व के…

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पर्यावरण  वृक्षारोपण : अब नहीं तो कब ? 

 वृक्षारोपण : अब नहीं तो कब ? 

 उस कोरोना काल को याद कीजिये जब कोविड प्रभावित लोग ऑक्सीजन के बिना तड़प तड़प कर मर रहे थे। पैसे ख़र्च करने पर भी ऑक्सीजन नहीं मिल…

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व्यंग्य “सदी की शादी” (व्यंग्य)

“सदी की शादी” (व्यंग्य)

“जय श्रीराम शुक्लाजी, कहाँ से लौट रहे हैं इतनी गर्मी में ?  आसमान स आग बरस रही है और आप स्कूटर घर में रखकर साइकिल…

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पर्यावरण महानगरों में बढ़ता जानलेवा प्रदूषण गंभीर चुनौती

महानगरों में बढ़ता जानलेवा प्रदूषण गंभीर चुनौती

-ललित गर्ग- चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी चर्चित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका लासेंट के हाल के अध्ययन में वायु प्रदूषण की बढ़ती विनाशकारी स्थितियों के आंकड़े न केवल…

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आर्थिकी भारत में तेजी से हो रहा है वित्तीय समावेशन

भारत में तेजी से हो रहा है वित्तीय समावेशन

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैकिंग, निवेश, बीमा, डाक एवं पेन्शन क्षेत्र के हितधारकों को शामिल करते हुए वित्तीय समावेशन सूचकांक विकसित किया है। दरअसल, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अतुलनीय प्रगति को दर्शाने के लिए अब अपने सूचकांक विकसित करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है क्योंकि वैश्विक स्तर पर वित्तीय एवं आर्थिक क्षेत्र में कार्यरत विदेशी संस्थानों द्वारा विकसित किए गए सूचकांकों के आधार पर किए जाने वाले सर्वे में तो विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रभावशाली प्रगति की सही तस्वीर पेश नहीं की जा रही है। इन सूचकांकों के आधार पर किए गए कई सर्वे में तो आश्चर्यजनक परिणाम दिखाई देते हैं। जैसे, एक सर्वे में भुखमरी के क्षेत्र में भारत की स्थिति को अफ्रीकी देशों, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश से भी बदतर बताया गया था।    भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किए गए वित्तीय समावेशन सूचकांक के आधार पर मार्च 2024 के परिणाम हाल ही में जारी किए गए हैं। इन परिणामों के अनुसार, भारत में वित्तीय समावेशन मार्च 2017 में 43.4, मार्च 2021 में 53.9 एवं मार्च 2023 में 60.1 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 प्रतिशत हो गया है। यह सूचकांक भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुई अतुलनीय एवं स्थिर प्रगति को दर्शाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किया गया यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के विभिन्न आयामों (नागरिकों की वित्तीय संस्थानों पर बढ़ती पहुंच, वित्तीय उत्पादों का बढ़ता उपयोग एवं वित्तीय सेवाओं की गुणवत्ता) पर देश में वित्तीय समावेशन के संदर्भ में जानकारी को 0 से 100 तक के मान में बताता है। यदि मान कम है तो देश में वित्तीय समावेशन भी कम है और इसके विपरीत यदि मान अधिक है तो देश में वित्तीय समावेशन भी अधिक है। भारत में यह मान मार्च 2024 में बढ़कर 64.2 प्रतिशत हो गया है। उक्त वर्णित तीन आयामों में कई पैरामीटर शामिल हैं, इनका मूल्यांकन 97 संकेतकों के आधार पर किया जाता है। इस कार्यप्रणाली के कारण ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विकसित किया गया यह सूचकांक वित्तीय समावेशन का एक व्यापक संकेतक बन गया है। वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रत्येक वर्ष के जुलाई माह में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है।   किसी भी देश में वित्तीय समावेशन के बढ़ने का आश्य यह है कि उस देश के नागरिकों की उस देश के बैकिंग संस्थानों तक पहुंच बढ़ रही है और यह उस देश की अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण में मुख्य भूमिका निभाता है। वर्ष 2014 में भारत में प्रधानमंत्री जनधन योजना को लागू किया गया था और इस योजना के अंतर्गत विभिन्न बैकों में गरीब वर्ग के जमा खाते खोलकर उन्हें वित्तीय समावेशन का हिस्सा बना लिया गया था। आज प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 52 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं एवं इन जमा खातों में लगभग 2.35 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा है। केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा देश के गरीब वर्ग को दी जाने वाली सहायता/प्रोत्साहन राशि को भी इन खातों में आज सीधे ही जमा कर दिया जाता है, इसे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के रूप में भी जाना जाता है, जिससे इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार लगभग समाप्त हो गया है क्योंकि इससे अंततः लीकेज कम हुए है और यह सुनिश्चित हुआ है कि योजनाओं का लाभ अंतिम लाभार्थी तक सीधे ही पहुंचे। प्रधानमंत्री जनधन योजना को लागू करने का मुख्य उद्देश्य भारत के दूर दराज के इलाकों में निवासरत नागरिकों को बैंकिंग, बचत और जमा खाते, राशि हस्तांतरण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध कराना था। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रधानमंत्री जनधन योजना पूर्ण रूप से सफल रही है और भारत में वित्तीय समावेशन को अगले स्तर पर ले जाने में भी सहायक रही है। साथ ही, प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खोले गए जमा खातों को भारत की विशिष्ट पहचान प्रणाली (आधार कार्ड) से जोड़कर, केंद्र सरकार ने देश में वित्तीय लेन देन प्रणाली को सुव्यवस्थित कर लिया है एवं बैकिंग व्यवहारों में धोखाधड़ी की सम्भावना को कम करने में भी सफलता अर्जित की है। आज भारत की प्रधानमंत्री जनधन योजना को पूरे विश्व में सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना के रूप में पहिचान मिली है।  देश में प्रधानमंत्री जनधन योजना को आज भी वित्तीय समावेशन के मुख्य उपकरण के रूप में माना जा रहा है और इस योजना के अंतर्गत देश के नागरिकों के खाते विभिन्न बैंकों में उसी उत्साह से लगातार खोले जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी भारत के विभिन्न बैकों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 3.3 करोड़ नए जमा खाते खोले गए हैं इससे इस योजना के अंतर्गत खोले गए कुल खातों की संख्या बढ़कर 51.95 करोड़ हो गई है एवं इन जमा खातों में 234,997 करोड़ रुपए की राशि जमा हो गई है। अब देश का एक गरीब नागरिक भी भारत की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान करता हुआ दिखाई दे रहा है। वित्तीय समावेशन के दायरे में लाए गए नागरिक वित्तीय क्षेत्र में साक्षर होने के पश्चात अब तो भारत के पूंजी बाजार (शेयर बाजार) में भी अपना निवेश करने लगे हैं एवं उनकी विभिन्न ऋण योजनाओं एवं बीमा उत्पादों तक पहुंच भी बढ़ गई है। वित्तीय सेवाओं तक इस पहुंच ने देश के नागरिकों को आर्थिक रूप से बहुत सशक्त बना दिया है, इससे अंततः यह नागरिक शिक्षा, स्वास्थ्य एवं छोटे व्यवसायों में निवेश करने में सक्षम हुए हैं और इस प्रकार इन नागरिकों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हुआ है।  भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में हुई उक्त वर्णित अतुलनीय प्रगति की जानकारी हम आम नागरिकों को तभी मिल पा रही है जब भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में ही एक सूचकांक विकसित किया है। यदि वित्तीय समावेशन का सूचकांक किसी विदेशी संस्थान द्वारा तैयार किया जाता तो सम्भव है कि भारत की इस महान उपलब्धि को जानने से हम वंचित रह जाते। अब समय आ गया है कि इसी प्रकार के सूचकांक अन्य क्षेत्रों में भी भारतीय वित्तीय एवं आर्थिक संस्थानों द्वारा ही तैयार किए जाने चाहिए, ताकि हम आम नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में भारत की अतुलनीय प्रगति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हो सके।     

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धर्म-अध्यात्म मेरे मानस के राम – अध्याय 14

मेरे मानस के राम – अध्याय 14

सुग्रीव और राम की मित्रता बालि वध के पश्चात सुग्रीव का राज्याभिषेक किया गया। तब श्री राम ने सुग्रीव से कह दिया कि इस समय…

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धर्म-अध्यात्म मेरे मानस के राम – अध्याय 13

मेरे मानस के राम – अध्याय 13

सुग्रीव का राजतिलक जब बाली का अंत हो गया तो उसकी मृत्यु की सूचना उसकी पत्नी तारा को प्राप्त हुई। तब वह विलाप करती हुई…

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लेख मिट्टी में मिलते जा रहे, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के अरमान  

मिट्टी में मिलते जा रहे, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के अरमान  

 मिट्टी के बर्तन बनाने के अलावा इनके पास और कोई दूसरा रोजगार नहीं है, न ही कृषि करने के लिए इनके पास भूमि है। और…

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