सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय विचारों के प्रखर पुञ्ज डॉक्टर द्वय
Updated: April 15, 2024
~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल भारत भूमि ने अपनी कोख से समय-समय पर ऐसे – ऐसे रत्न उत्पन्न किए हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से…
Read more
बात भावनाओं की है, शब्दों की नहीं
Updated: April 15, 2024
केवल कृष्ण पनगोत्रा भारतीय संविधान में 26 जनवरी 1950 के बाद सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं। इनमें अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण…
Read more
भारत का सकल घरेलू उत्पाद अगले 50 वर्षों में 52 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने की सम्भावना
Updated: April 15, 2024
गोल्डमेन सेच्स नामक अंतरराष्ट्रीय निवेश संस्थान ने अपने एक रिसर्च पेपर में बताया है कि आगे आने वाले 50 वर्षों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 52 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। इस प्रकार भारत इस संदर्भ में अमेरिका को भी पीछे छोड़ते हुए विश्व में प्रथम स्थान पर आ जाएगा। वर्तमान में भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक आदि विभिन्न वित्तीय संस्थानों ने भी आगे आने वाले समय में भारत की आर्थिक वृद्धि दर को 7.2 प्रतिशत रहने की प्रबल संभावनाएं जताईं हैं। जबकि, आज विश्व के कई देश, विशेष रूप से ब्रिटेन, जर्मनी आदि, आर्थिक संकुचन के दौर से गुजर रहे हैं। रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कई विकसित देश तो ऊर्जा की कमी के संकट से जूझ रहे हैं। भारत के विदेशमंत्री, डॉक्टर एस जयशंकर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व के लगभग समस्त सशक्त देशों के साथ अच्छे सम्बंध बनाने में सफल रहे हैं। आज रूस को भी भारत की आवश्यकता है तो अमेरिका को भी। रूस, भारत को कच्चे तेल एवं सुरक्षा के लिए भारी मात्रा में शस्त्र उपलब्ध कराता है। वर्ष 2022 में भारत ने रूस से 4,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सामान आयात किया था। वर्ष 2023 में यह बढ़कर 5,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर होने की प्रबल सम्भावना है। वहीं अमेरिका, भारत को अपना स्ट्रेटेजिक सहयोगी मानता है। आज विश्व की समस्त बड़ी शक्तियां भारत के साथ सौहार्द पूर्ण सम्बंध चाहती हैं। रूस, अमेरिका, यूरोपीयन देश एवं अरब देश भारत के साथ अपने व्यापार को विस्तार देना चाहते हैं। रूस भी भारत के साथ अच्छे सम्बंध चाहता है तो यूक्रेन भी। उधर इजराईल भी भारत के साथ अच्छे सम्बंध चाहता है तो इरान भी। भारत जी-20 समूह का सदस्य है तो भारत यू2आई2 एवं ब्रिक्स का भी सदस्य है। इस प्रकार कुल मिलाकर भारत का डंका आज पूरे विश्व में बज रहा है। आज भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी फौज है। पश्चिमी बॉर्डर पर चीन से युद्ध की स्थिति में भारत आज इससे निपटने को पूर्णत: तैयार है। भारत के पास आज युवा जनबल है। भारत की 66 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष की कम आयु की है। 40 प्रतिशत जनसंख्या 13 से 35 वर्ष के बीच में है। भारत के पास 35 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। इसके विपरीत चीन, जापान, इटली, फ्रान्स आदि कई देशों की जनसंख्या अब धीमे धीमे कम हो रही है। इन देशों में आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए आज युवाओं की सख्त आवश्यकता है जो पूरे विश्व में केवल भारत ही उपलब्ध करा सकता है। वर्ष 2064 तक भारत की जनसंख्या बढ़ती रहेगी, ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार वैश्विक स्तर पर भारत विश्व में विकास के इंजन के रूप में अपनी भूमिका लम्बे समय तक निभाता रहेगा। उक्त संदर्भ में दूसरा सबसे बड़ा कारण बताया गया है, भारत में हाल ही के समय में किया गया डिजिटलीकरण। इससे देश के ग्रामीण इलाकों में भी नागरिकों की दक्षता एवं उत्पादकता बढ़ गई है। भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की वित्तीय एवं बैंकिंग संस्थानों द्वारा भरपूर आर्थिक सहायता की जा रही है इससे यह उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहे हैं एवं देश में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित कर रहे हैं। पूर्व में केवल बड़े उद्योगों को ही बैकों द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती रही है परंतु भारत में अब यह ट्रेंड बदला है। कोविड महामारी के बाद से तो इस सम्बंध में बड़ा बदलाव देखने में आया है। डिजिटलीकरण के कारण छोटे छोटे व्यवसाईयों की क्रेडिट हिस्ट्री निर्मित हो रही है जिसके कारण बैकों को इन छोटे छोटे व्यापारियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में आसानी हो रही है। ‘आधार’ ने तो देश के समस्त नागरिकों की एक अलग पहचान ही बना दी है। यूपीआई प्लेटफोर्म ने भी इस संदर्भ में ग्रामीण इलाकों में रोकड़ के उपयोग को कम कर डिजिटल प्लेटफोर्म पर वित्तीय व्यवहारों को हस्तांतरित किया है। छोटे छोटे व्यवसाईयों, किसानों, सामान्य नागरिकों को भी वित्तीय प्लेटफोर्म पर लाने में यह डिजिटलीकरण बहुत सफल रहा है। इससे वित्तीय समावेशन का कार्य भी आसान बन पड़ा है। भारत में डिजिटल व्यवहारों की संख्या आज संयुक्त रूप से अमेरिका, चीन एवं यूरोप से भी अधिक है। जबकि अमेरिका, चीन एवं यूरोप के देश भारत से अधिक विकसित देश हैं। इससे यह झलकता है कि भारत ने डिजिटलीकरण के मामले में पूरे विश्व को पीछे छोड़ दिया है। अब तो भारत का यूपीआई सिस्टम अमेरिका के स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम को भी पीछे छोड़कर वैश्विक स्तर पर डिजिटलीकरण के मामले में अपनी धाक जमाने की ओर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत का यूपीआई सिस्टम सिंगापुर, फ्रान्स, श्रीलंका एवं यूएई में लागू किया जा चुका है। भारत के प्रधानमंत्री ने फ्रान्स में भारतीय यूपीआई सिस्टम का उद्घाटन किया था, ताकि फ्रान्स में जाने वाले पर्यटक यूपीआई सिस्टम के माध्यम से फ्रान्स में वित्तीय व्यवहार कर सकें। न्यूजीलैंड में भी यूपीआई को लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है। उक्त संदर्भ में तीसरा सबसे बड़ा कारण है चीन के, विस्तरवादी नीतियों के चलते, विश्व के अन्य देशों के साथ लगातार खराब होते सम्बंध। आज विश्व के कई देश चीन के साथ आर्थिक व्यवहार करने से कतराने लगे हैं। यह स्थिति भारत के आर्थिक विकास को गति दे सकती है क्योंकि चीन+1 की नीति का अनुपालन विश्व के कई विकसित देश आज करने लगे हैं एवं ये देश भारत में विनिर्माण के क्षेत्र में अपनी इकाईयों को स्थापित करते जा रहे हैं। ताईवान आदि देशों पर चीन की नीति की पूरे विश्व में भर्त्सना हो रही है। चीन के अपने बॉर्डर पर लगने वाले लगभग समस्त देशों के साथ चीन के सम्बंध अच्छे नहीं हैं। इन देशों का चीन पर अब भरोसा समाप्त सा होता जा रहा है। ऐपल एवं टेस्ला जैसी कम्पनियां अब भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित कर रही हैं। ऐपल ने तो अपने आईफोन-15 का उत्पादन भारत में चालू भी कर दिया है। इससे भारत में न केवल रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं बल्कि विदेशी निवेश भी बढ़ रहा है। आज भारत में विदेशी मुद्रा भंडार 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के आसपास रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। साथ ही, आज भारत का पूंजी बाजार (स्टॉक मार्केट) विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है। भारत द्वारा अपने बुनियादी ढांचे को विकसित करने में भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 11.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बजट बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित किया गया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि इस मद पर खर्च की गई थी। अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार, जम्मू कश्मीर जैसे अन्य कई धार्मिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है ताकि धार्मिक पर्यटन को भारत में बढ़ावा दिया जा सके। इन शहरों के बुनियादी ढांचे का अतुलनीय विकास किया जा रहा है। जिससे रोज़गार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। एयरपोर्ट की संख्या पिछले 10 वर्षों में दुगने से भी अधिक होकर 150 तक पहुंच गई है और इसे वर्ष 2025 तक 200 की संख्या तक ले जाया जा रहा है। रेल्वे का विद्युतीकरण किया गया है। रेलगाड़ियों की स्पीड बढ़ाई गई है, जिससे देश में कार्यक्षमता के स्तर में सुधार हो रहा है। भारत के बड़े शहरों में मेट्रो रेल का जाल बिछाया जा रहा है। आज भारत का रोड नेट्वर्क चीन से भी अधिक होकर विश्व में केवल अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है। भारत सरकार की वर्ष 2024 से वर्ष 2030 के बीच देश के बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि खर्च करने की योजना है। इस प्रकार भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देशों की श्रेणी में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्ष 2027 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, ऐसी सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है। प्रहलाद सबनानी
Read more
भीम मीम के अंतर्तत्व को समझें समाज बंधु
Updated: April 15, 2024
प्रवीण गुगनानी डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर यानि बाबा साहेब केवल किसी एक समुदाय या जाति विशेष में व्याप्त रूढ़ियों, कुरीतियों और बुराइयों हेतु ही चिंतित…
Read more
मर्यादा लांघती राजनीतिक़ बयानबाजी
Updated: April 15, 2024
सुरेश हिन्दुस्तानी देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों में बयानों की आंधी सी चल रही हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल…
Read more
मोदी 3 की आर्थिक चुनौतियाँ
Updated: April 15, 2024
– शिवेश प्रताप पिछले कुछ समय से तमाम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक पंडितों को धता बताते हुए भारत, वैश्विक अपेक्षाओं से भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। इसी के फलस्वरुप पूरी दुनिया अब भारत को निर्विवाद रूप से सबसे तेजी से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था मान चुकी है। इसी क्रम में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के बाद तेजी से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। परंतु इसी के साथ अपने प्रतिस्पर्धी एवं पड़ोसी देश चीन के साथ अपनी तुलना करने पर हमें कुछ कठोर यथार्थ का भी सामना करना पड़ता है। आज नहीं तो कल वैश्विक मंच पर चीन को पछाड़ने के लिए हमें ऐसे कठोर यथार्थ को स्वीकार करते हुए उन सभी मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जहां हम चीन से पीछे रह गए हैं। एक और जहां चीन का प्रति कैपिटा इनकम 12000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है वहीं दूसरी ओर भारत का प्रति कैपिटा इनकम मात्र 2200 अमेरिकी डॉलर है। एक तरफ चीन ने अपने देश से गरीबी का उन्मूलन कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर भारत में गरीबी एक यक्ष प्रश्न है। देश की आजादी के समय भारत की स्थिति चीन से काफी बेहतर थी, परंतु भारत के अर्थव्यवस्था के विकास में हुई कुछ भारी गलतियों के कारण हम चीन से विकास की रफ्तार में बहुत पीछे छूट गए थे जिसे पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में सरकार के अथक प्रयासों के बलपर बदतर होने से रोकते…
Read more
राम मंदिर और संघ की राष्ट्रवादी चिंतनधारा
Updated: April 15, 2024
17 मार्च 2024 को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संपन्न हुई। जिसमें एक प्रस्ताव राम मंदिर निर्माण के…
Read more
जनसाधारण को समर्पित है भाजपा का संकल्प पत्र
Updated: April 15, 2024
-डॉ. सौरभ मालवीयप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने व्यक्तित्व एवं कृत्तिव से भारतीय राजनीति में अपनी एक ऐसी पहचान स्थापित की है जिसका कोई अन्य…
Read more
श्रीराम के प्रकृति-प्रेम की सकारात्मक ऊर्जा
Updated: April 15, 2024
– ललित गर्ग – हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के रामनवमी बहुत ही शुभ दिन होता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता…
Read more
भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण
Updated: April 23, 2024
– लोकेन्द्र सिंह (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं। पुनरुत्थान विद्यापीठ से उनकी पुस्तक ‘डॉ. भीमराव अम्बेडकर : पत्रकारिता एवं विचार’ प्रकाशित है।)…
Read more
स्वस्थ भारत की जननी है आंगनबाड़ी केंद्र
Updated: April 12, 2024
बेबी कंवरलूणकरणसर, बीकानेरराजस्थान एक अप्रैल से राजस्थान की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहयोगिनियों और सहायिकाओं के मानदेय में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है. इससे आंगनबाड़ी से…
Read more
चुनाव में व्यक्ति नहीं, मूल्यों की स्थापना का दौर चले
Updated: April 12, 2024
-ललित गर्ग-लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां उग्र से उग्रतर होती जा रही है, पहली बार भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बन रहा है, कुछ भ्रष्टाचार मिटाने की बात…
Read more