
बिनायक सेन तो महज मोहरा है, असली मकसद तो कुछ और है
Updated: December 18, 2011
हे भारत मां इन्हें माफ करना दानसिंह देवांगन जब से रायपुर की एक अदालत ने पीयूसीएल के उपाध्यक्ष बिनायक सेन को उम्रकैद की सजा सुनाई…
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वर्षांत-2010/ बात तो साफ हुई कि मीडिया देवता नहीं है !
Updated: December 18, 2011
-संजय द्विवेदी यह अच्छा ही हुआ कि यह बात साफ हो गयी कि मीडिया देवता नहीं है। वह तमाम अन्य व्यवसायों की तरह ही उतना…
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कलम में तेजाब और परचम अमन का
Updated: December 18, 2011
तरुण विजय बिनायक सेन को अदालत से मिली सजा पर मीडिया और अन्य क्षेत्रस्थ रोमांटिक क्रांतिकारी बेहद खफा हैं। वे कानून, व्यवस्था, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,…
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2010 अलविदा: खु़शामदीद 2011
Updated: December 18, 2011
तनवीर जाफ़री प्रत्येक वर्ष की भांति वर्ष 2010 भी आखिरकार हम सब को अलविदा कह गया और हमेशा की तरह हमने तमाम नई आशाओं व…
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अलविदा -२०१०
Updated: December 18, 2011
श्रीराम तिवारी काल चक्र की गणना, मानव सभ्यता के जिस मुकाम पर प्रारंभ हुई होगी, सम्भवत वह भारत के पूर्व वैदिक काल और अमेरिकी माया…
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खट्टी-मीठी यादों के साथ महाघोटालों के नाम रहा 2010
Updated: December 18, 2011
रामबिहारी सिंह हर साल की तरह यह वर्ष 2010 भी अपने साथ कई मीठी यादों के साथ ही कड़वे दर्द देकर खत्म हो गया। वर्ष…
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वेब पत्रकारिता : चुनौतियाँ और संभावनाएँ- डॉ. सीमा अग्रवाल
Updated: January 11, 2011
डॉ. सीमा अग्रवाल ”सूचना से अधिक महत्वपूर्ण सूचनातंत्र है।” ”माध्यम ही संदेश है” नामक पुस्तक में प्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञ मार्शल मैक्लूहन की लिखी उक्त उक्ति…
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10 जनवरी को घोषित होंगे ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता के परिणाम
Updated: April 9, 2014
‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के दो साल पूरे होने के अवसर पर गत सितम्बर माह में हमने ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया था। लेख भेजने…
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वेब पत्रकारिता: खुद को अपडेट व थोड़ा कनेक्ट कर लो – कीर्ति सिंह
Updated: December 18, 2011
-कीर्ति सिंह वेब पत्रकारिता यानी खुद को अपडेट कर लो थोड़ा नेट से कनेक्ट कर लो। जी हां, लोगों की इस तेज रफ्तार जिदंगी में…
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हिन्दी वेब पत्रकारिता की चुनौतियां – अनिल कुमार बैनिवाल
Updated: December 18, 2011
संचार के संकुचन को तोड़ते हुए इंटरनेट ने एक क्लिक के सहारे सम्पूर्ण विश्व को विजित कर लिया है। सूचना प्रौद्योगिकी की इस महान विजय…
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जिन्दा रहने के लिए किसान संगठित और रचनात्मक संघर्ष करे
Updated: December 18, 2011
गौतम चौधरी खेती कईली जीए-ला, बैल बिकागेल बीए-ला, यह लोकोक्ति मिथिला के ग्रामीण क्षेत्रों में खूब बोली जाती है। इसका अर्थ भी बताना चाहूंगा। किसान…
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अँधेरे तले चिराग
Updated: December 18, 2011
ललित कुमार कुचालिया “कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो”, “जिनके हौसलो में जान होती है, उन्हें…
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