
राहुल गांधी, अपनी चंपू कमेटी के लैपटॉपी ब्यान न पढ़ो
Updated: December 19, 2011
-संजीव पांडेय कुछ दिन पहले जब कांग्रेस के युवराज बिहार में थे तो लोगों को अंदाज लग गया था, वो जो कुछ बोलते है, उसका…
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वर्चुअल ममता और वाम उत्पीडन का सार्वजनिक आख्यान
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी रेलमंत्री ममता बनर्जी की मीडिया इमेजों ने वामपंथियों की नींद गायब कर दी है। एक जमाना था पश्चिम बंगाल में ममता को अधिकांश…
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व्यंग्य / चक्कर करोड़पति बनने का
Updated: December 19, 2011
-गिरीश पंकज हम अपने मित्र लतखोरीलाल के घर पहुँचे। देखा तो वे सामान्य ज्ञान की किताबों से घिरे हुए हैं। मैं चकराया। इस प्रौढ़ावस्था में…
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व्यंग्य/ स्थितप्रज्ञ हुए मनमोहन
Updated: December 19, 2011
-पवन कुमार अरविंद देश के जाने माने अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जब से प्रधानमंत्री बने हैं तभी से ‘स्थितप्रज्ञ’ गति को प्राप्त हो गए हैं।…
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उत्तर मार्क्सवाद के दौर में क्रांति का मार्ग
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी उत्तर आधुनिकतावाद दौर में क्रांति पर सबसे तेज हमले हुए हैं। इन हमलों के आंतरिक और बाह्य दोनों ही किस्म के रूप रहे…
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मुर्दों का शहर हो गया भोपाल एक दिन
Updated: December 19, 2011
-केशव आचार्य तेग मुंसिफ हो जहां दारो रसन हो शाहिद बेगुनाह कौन है इस शहर में कातिल के सिवा…..? एक तरफ आंसूओं से डबडबाई आंखें……पिछले…
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भूखा किसान, नीतीश की जीत और मीडियाखेल
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी बिहार में नीतीश बाबू विधानसभा चुनाव जीत गए लेकिन किसान पर कोई कृपादृष्टि किए बगैर। लालू यादव ने इसे एनडीए की रहस्यमय जीत…
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वी एस नायपॉल प्रसंगः फंडामेंटलिज्म के प्रतिवाद में
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी वी एस नायपाल बड़े लेखक हैं । उन्हें बुकर पुरस्कार और नोबुल पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके विचार अनेक धर्मनिरपेक्ष विचारकों और…
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भारत के नव्य उदार नंगे अमीर
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी मीडिया में अद्भुत दृश्य चल रहा है। टाटा से लेकर अनिल अम्बानी तक ,देशी-विदेशी राजनयिकों से लेकर अमेरिका के महान ताकतवर लोगों तक…
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उत्तरआधुनिकतावाद का प्रधान फिनोमिना है व्यवस्थागत भ्रष्टाचार
Updated: December 19, 2011
-जगदीश्वर चतुर्वेदी उत्तर आधुनिकतावादी विकास का प्रधान लक्षण है व्यवस्थागत भ्रष्टाचार,नेताओं में संपदा संचय की प्रवृत्ति, अबाधित पूंजीवादी विकास,उपभोक्तावाद की लंबी छलांग और संचार क्रांति।…
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व्यंग/ रिश्तों का सुपरपावर देश भारत
Updated: December 19, 2011
पंडित सुरेश नीरव ये कितनी नाइंसाफी है कि बेचारा आदमी एक और उसकी जान को रिश्ते अनेक। बेचारा कहां जाए। और कितने रिश्ते निभाए। एक…
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व्यंग/ परंपरा की परंपरा
Updated: December 19, 2011
पंडित सुरेश नीरव हमें गर्व है कि हम हिंदुस्तानी हैं। जहां आज भी परंपराओं को निभाने की परंपरा जिंदा है। भले ही आदमियत मर चुकी…
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