
गलत शब्द से गलत परिणाम
Updated: December 24, 2011
हमारे गृहमंत्री श्री चिदम्बरम महोदय देखने में तो बहुत सौम्य हैं, पर आजकल वे काफी परेशान हैं। दंतेवाड़ा कांड के कारण न केवल देश की…
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कुश्ती का नया सौंदर्यशास्त्र
Updated: December 24, 2011
यह 1996 का वाकया है। जब स्कॉट हॉल उछलकर रिंग के अंदर दाखिल हुआ तो किसी ने नहीं सोचा था कि अमेरिकी कुश्ती की दुनिया…
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फ़िल्में नहीं हैं मुंबई की बपौती…अमर है सिनेमा!
Updated: December 24, 2011
जयपुर में अजय ब्रह्मात्मज के साथ ‘समय, समाज और सिनेमा’ संवाद अजय ब्रह्मात्मज कौन हैं? जाने-माने फ़िल्म पत्रकार, `ऐसे बनी लगान’, `समकालीन सिनेमा’ और `सिनेमा…
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लोकतंत्र को सार्थक बनाएगा पंचायती राज
Updated: December 24, 2011
महात्मा गांधी जिस गांव को समर्थ बनाना चाहते थे वह आज भी वहीं खड़ा है। ग्राम स्वराज्य की जिस कल्पना की बात गांधी करते हैं…
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श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के संघर्ष की गौरवगाथा
Updated: December 24, 2011
चम्पत राय ”अयोध्या” यह नाम पावनपुरी के रूप में विख्यात नगर का नाम है। अयोध्या का इतिहास भारतीय संस्कृति का इतिहास है। इसकी गौरवगाथा अत्यन्त…
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मूल्यांकन के पोंगापंथी मॉडल के परे हैं तुलसीदास
Updated: December 24, 2011
परंपरा और इतिहास के नाम पर हिन्दी का समूचे विमर्श के केन्द्र में तुलसीदास के मानस को आचार्य शुक्ल ने और कबीर को आचार्य हजारी…
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दहेज की बलि चढ़ रही हैं महिलाएं
Updated: December 24, 2011
हम आदिकाल को बहुत पीछे छोड़ आए हैं। रहन-सहन और खान-पान के मामले में भी हम आधुनिक हो गए हैं। यहां तक कि चांद और…
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अक्षय की मदद के लिए आगे आइए
Updated: December 24, 2011
बात अक्षय की, जो एक बीमारी से पीडित है बीमारी ने उसे ऐंसा जकडा कि इलाज में पिता की जीवन भर की पूंजी खर्च हो…
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मुस्लिम राजनीतिः नए रास्तों की तलाश
Updated: December 24, 2011
भारतीय समाज से अलग नहीं हैं मुसलिम समाज के संकट मुस्लिम राजनीति के संकट पर बातचीत करते समय या तो हम इतनी संवेदनशीलता और संकोच…
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आस्तीनों में ना अपने सांप पालो दोस्तों / पंकज झा
Updated: June 6, 2012
कथित माननीय अरूप जी और तथाकथित श्रीमान राष्ट्रवादी जी……! कथित इसलिए कि अगर आपको लगे कि आपके विचारों में दम है तो खुल कर हमारी…
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बाजार की चुनौतियों से बेजार हिन्दी पत्रकारिता
Updated: December 24, 2011
आज भूमंडलीकरण के दौर में हिन्दी पत्रकारिता की चुनौतियां न सिर्फ बढ़ गई हैं वरन उनके संदर्भ भी बदल गए हैं। पत्रकारिता के सामाजिक उत्तरदायित्व…
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देश की सुरक्षा में सेंध लगाते नक्सलवादी-माओवादी
Updated: December 24, 2011
नक्सलवाद की त्रिमूर्ती चारु मजूमदार, जंगल संथाल और कानू सान्याल में से केवल सान्याल ही जिंदा बचे थे। यह आंदोलन उन्होंने पिछली शताब्दी के मध्य…
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