राजनीति मोदी फिर बने जीत की गारंटी

मोदी फिर बने जीत की गारंटी

सुरेश हिंदुस्थानी चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद तस्वीर उभरी है, उससे एक बात फिर साबित हो गई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र…

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राजनीति भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे राजाजी

भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे राजाजी

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जन्म जयन्ती- 10 दिसम्बर 2023-ः ललित गर्गः-भारतीय राजनीति का एक ऐसा स्वर्णिम पृष्ठ है चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, जो उस युग के नहीं, बल्कि किसी भी युग…

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आर्थिकी भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार पवित्र शादियों के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से दो आत्माओं का मिलन कराया जाता है। कहा तो यहां तक भी जाता है कि दूल्हा और दुल्हन शादी के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से सात जन्मों तक के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं। इसलिए, शादी के समय विभिन्न अध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांसारिक संस्कारों को सम्पन्न कराने के लिए समाज के गणमान्य नागरिकों, नाते रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों को साथ लेकर विभिन्न प्रकार के भव्य आयोजन सम्पन्न किए जाते हैं। इन आयोजनों में विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं एवं आजकल तो ऐसे शुभ अवसरों पर भारी मात्रा में व्यय भी किया जा रहा है। शादी के विभिन्न आयोजनों पर किए जाने वाले भारी भरकम खर्च से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में नवम्बर 2023 माह से लेकर आगामी लगभग 4 माह के दौरान 38 लाख से अधिक शादियों के आयोजन सम्पन्न होने जा रहे हैं। केवल 4 माह की इस अवधि में लगभग 4.75 लाख करोड़ की राशि का व्यय होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 35 लाख शादियों पर 3.75 लाख करोड़ रुपए की राशि का व्यय हुआ था। कन्फेडरेशन ओफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, भारत में इस वर्ष शादियों के मौसम में सबसे अधिक खर्च करने का विश्व रिकार्ड बनाया जा सकता है। पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष एक लाख करोड़ रुपए अधिक राशि शादियों पर खर्च होने जा रही है। शादी के विभिन्न कार्यक्रमों में विभिन्न मदों पर होने वाले खर्च के सम्बंध में भी अनुमान लगाए गए हैं। इन अनुमानों के अनुसार, इस वर्ष नए कपड़े और नई ज्वेलरी को खरीदने की मद पर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होने वाली है, मेहमानों की खातिरदारी पर 60,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होने जा रही है, शादी समारोह से जुड़े कार्यक्रमों पर 60,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होने जा रही है। विश्व का कोई भी देश शादियों के मौसम में इतनी भारी भरकम राशि का खर्च नहीं करता दिखाई दे रहा है क्योंकि अन्य देशों में शादी के समारोहों पर इतना खर्च किया ही नहीं जाता है। यह तो भारतीय सनातन संस्कृति ही है जिसके अंतर्गत शादी के समय विभिन प्रकार के संस्कार सम्पन्न कराने के उद्देश्य से कई प्रकार के आयोजन सम्पन्न किए जाते हैं। आज विकसित देशों में तो विवाह नामक संस्था उपलब्ध ही नहीं है और “लव मैरिज” नामक रिवाज का पालन किया जा रहा है। साथ ही अब तो बगैर विवाह के “लिव इन रिलेशन” नामक रिवाज ही चल पड़ा है। विकसित देशों के युवा इस प्रकार के रिवाजों के चलते बच्चे भी पैदा नहीं कर रहे हैं और कुछ समय पश्चात ही आपस में रिश्तों को “तलाक” का रूप दे देते हैं। यदि इस बीच किसी जोड़े को बच्चा हो भी जाता है तो उसे “सिंगल पेरेंट” के रिवाज के तहत केवल मां के पास ही रहना होता है। इस प्रकार वह बच्चा अपने पिता के प्यार से वंचित रहता है और उस बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इन्हीं कारणों के चलते आज विश्व के कई देशों में बुजुर्गों की संख्या तो बढ़ती जा रही है परंतु युवाओं की संख्या कम होती जा रही है, जिसका सीधा सीधा प्रभाव इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।    अतः कुल मिलाकर यह सनातन संस्कृति के संस्कार ही हैं जो भारत में आज भी कुटुंब व्यवस्था को जीवित रखे हुए हैं। संयुक्त परिवार सामान्यतः केवल भारत में ही दिखाई देते हैं, जहां बुजुर्गों की देखभाल इन संयुक्त परिवारों में बहुत ही सहज तरीके से होती है। अन्यथा, विकसित देशों में चूंकि संयुक्त परिवार का चलन नहीं के बराबर है अतः बुजुर्गों की देखभाल इन देशों की सरकार को “सोशल बेनीफिट्स” योजना के अंतर्गत करनी होती है। आज कुछ देशों में तो “सोशल बेनीफिट्स” की मद पर इतना अधिक खर्च होने लगा है कि इन देशों की बजट व्यवस्था ही भारी दबाव में आ गई है। इसके ठीक विपरीत, भारत में विभिन्न त्यौहार भी बड़े ही उत्साह से मनाए जाते है जिसके कारण भारत में सामाजिक तानाबाना ठीक बना हुआ है। इसी सामाजिक तानेबाने के ठीक अवस्था में रहने के चलते ही इस वर्ष, दीपावली एवं धनतेरस के त्यौहारी मौसम में भारत में 3.75 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ है। साथ ही, केवल करवा चौथ के दिन 15,000 करोड़ रुपए का व्यापार सम्पन्न हुआ था।  भारत में त्यौहारी मौसम में अक्टोबर 2023 माह में 23 लाख वाहनों की बिक्री हुई है। 4 लाख चारपहिया वाहन एवं 19 लाख दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई है। आने वाले शादियों के मौसम में भी इस वर्ष वाहनों की जबरदस्त बिक्री होने की सम्भावना है। उक्त वर्णित कारणों के चलते ही भारत में तेजी से गरीबी एवं बेरोजगारी भी कम हो रही है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2022-23 में दक्षिण अफ्रीका में बेरोजगारी की दर 32.8 प्रतिशत रही है और ईरान में 9.4 प्रतिशत, ब्राजील में 8.3 प्रतिशत, पाकिस्तान में 8.5 प्रतिशत, फ्रान्स में 7.4 प्रतिशत, इटली में 7.9 प्रतिशत, चीन में 5.3 प्रतिशत, ब्रिटेन में 4.2 प्रतिशत और अमेरिका में 4 प्रतिशत बेरोजगारी की दर पाई गई है। उक्त आंकड़ों के विपरीत भारत में इस अवधि के दौरान बेरोजगारी की दर में बहुत कमी दृष्टिगोचर हुई है। आज भारत में उच्च निवल सम्पत्ति वाले नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अतः समस्त मेहमानों सहित अब विदेश में जाकर शादी की रस्में सम्पन्न करने का प्रचलन भारत में बहुत बढ़ गया है। अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को देश के नागरिकों से यह अपील करनी पड़ी है कि विदेश में जाकर शादी की रस्में पूर्ण नहीं करे क्योंकि इससे शादी की रस्मों पर होने वाले व्यय का लाभ उस देश को मिल रहा है जबकि भारत में ही पर्याप्त मात्रा में पर्यटन स्थल उपलब्ध हैं, जहां आसानी से शादियां विधि विधान से सम्पन्न कर विवाह समारोह भी आयोजित किए जा सकते हैं। इससे शादी पर होने वाले खर्च का लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा और देश का पैसा भी देश में ही बना रहेगा। आज भारतीय नागरिकों द्वारा सनातन संस्कृति के संस्कारों के पालन का लाभ भी भारतीय अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से स्पष्टत: मिलता दिखाई दे रहा है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की दर को लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मोनेटरी फंड ने केलेंडर वर्ष 2024 के लिए भारत में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है, जबकि अमेरिकी में यह वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत, जर्मनी में 0.9 प्रतिशत, फ्रान्स में 1.3 प्रतिशत, जापान में रिणात्मक 1 प्रतिशत, चीन में 4.2 प्रतिशत और रूस में 1.1 प्रतिशत विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया है।

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राजनीति भ्रष्टाचार का मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की

भ्रष्टाचार का मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की

विश्व भ्रष्टाचार निरोधी दिवस – 9 दिसम्बर 2023 पर विशेष -ललित गर्ग- दुनियाभर में 9 दिसंबर  को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य भ्रष्टाचार…

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राजनीति ऋषि परंपरा वाहक अभाविप का सत्तरवां सोपान 

ऋषि परंपरा वाहक अभाविप का सत्तरवां सोपान 

यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक परिवार है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का छात्र समूह इस परिवार का युवावर्ग है। इस युववर्ग के आदर्श स्वामी…

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पर्यावरण दुनिया तबाही और बर्बादी की कगार पर

दुनिया तबाही और बर्बादी की कगार पर

इन दिनों चल रहे COP28 के मौक़े पर जारी ग्लोबल टिपिंग पॉइंट्स रिपोर्ट – दुनिया की तबाही और बर्बादी की कगार पर पहुँचने की दास्तान बयान करती…

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आर्थिकी बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद, विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होता भारत

बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद, विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होता भारत

वैश्विक स्तर पर भारत एक बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद अब एक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है। आज चीन के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर कम हो रही है, इसके ठीक विपरीत भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर लगातार बढ़ रही है। चीन में हाल ही के समय में कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी निवेश चीन से बाहर निकाल लिया है। ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चीन में अपनी विनिर्माण इकाईयों को बंद कर अन्य देशों की ओर रूख कर रही हैं। इनमें से अधिकतर बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत की ओर भी आ रही हैं एवं अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना यहां कर रही हैं। अब तो भारत का “मेक इन इंडिया” ब्राण्ड चीन के “मेड इन चाइना” ब्राण्ड पर भारी पड़ता दिखाई दे  रहा है।     विभिन्न प्रकार के आईफोन, लैपटॉप, टेबलेट आदि उच्चत्तम स्तर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद का निर्माण करने वाली विश्व की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक “ऐपल” भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही है एवं आईफोन का निर्माण तो भारत में प्रारम्भ भी कर दिया है। वर्ष 2024 में ऐपल कम्पनी भारत में एक लाख करोड़ रुपए के आई फोन का उत्पादन करेगी, ऐसी योजना इस कम्पनी ने बनाई है। इन आईफोन का न केवल भारत में निर्माण किया जा रहा है बल्कि भारत में निर्मित इन आईफोन को विश्व के कई देशों, विकसित देशों सहित, को निर्यात भी किया जा रहा है। वर्ष 2014 में भारत में केवल 6 करोड़ मोबाइल फोन का निर्माण प्रतिवर्ष हो रहा था जो आज बढ़कर 30 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन प्रतिवर्ष हो गया है। इसी प्रकार चीन, जापान एवं दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक “सैमसंग” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी भी भारत में ही मोबाइल फोन का निर्माण कर रही है और अपने ही देश यथा जापान एवं दक्षिण कोरिया को मोबाइल फोन का भारत से निर्यात भी कर रही है। अर्थात, इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा भारत में उत्पादों का निर्माण कर अपने ही देश को भारत से निर्यात किया जा रहा है। 4 वर्ष पूर्व तक भारत अपनी मोबाइल फोन की कुल आवश्यकता का 81 प्रतिशत भाग अन्य देशों से आयात करता था परंतु अब अपने देश में 100 प्रतिशत आपूर्ति करने के बाद अपने कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत भाग निर्यात करता है।  अमेरिका की “डेल” एवं “एचपी” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी भारत में आईटी हार्डवेयर का निर्माण करने हेतु विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही हैं। अमेरिका की इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करने हेतु अनुमति भी मिल चुकी है। चीन की एक “लेनोवो” नामक कम्पनी भी भारत में आईटी हार्डवेयर निर्माण हेतु एक इकाई की स्थापना करने जा रही है। जबकि उक्त समस्त बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की चीन में विनिर्माण इकाईयां पूर्व से ही स्थापित हैं, परंतु अब चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के उद्देश्य से चीन+1 पॉलिसी के तहत यह समस्त कम्पनियां भारत में भी अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही हैं।       इसी प्रकार, ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भी भारत विनिर्माण केंद्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। अब भारत में निर्मित कारें पूरी दुनिया में बिक रही हैं। जापान की बहुत बड़ी कार निर्माता कम्पनी “सुजुकी” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी भारत में कारों का निर्माण कर विश्व के 100 से अधिक देशों को निर्यात कर रही है। जापान की हुण्डाई, होण्डा एवं सुज़ुकी नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत को अपना ऑटोमोबाइल केंद्र बना रही हैं। हुण्डाई तो भारत में अपने कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत भाग निर्यात कर रही है। ये समस्त कम्पनियां जापान की हैं और भारत में करों का निर्माण कर जापान को ही निर्यात कर रही हैं। कपड़ों के निर्माण करने वाले बड़े बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्राण्ड भी कपड़ों का उत्पादन करने हेतु अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना भारत में कर रही हैं। आज भारत से भारी मात्रा में कपड़ों का निर्यात पूरे विश्व को किया जा रहा है। दवाईयों एवं टीकों के निर्माण के क्षेत्र में भारत पहिले से ही वैश्विक स्तर पर एक शक्ति के रूप में अपने आप को स्थापित कर चुका है। हाल ही के समय में, भारत सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपनी पैठ बना रहा है एवं भारत ने 85 देशों को 16,000 करोड़ रुपए के उपकरण एवं हथियार निर्यात किए हैं। सेमी-कंडकटर चिप का निर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी अब भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने जा रही हैं। “मेक इन इंडिया” अब बहुत बड़ी ताकत बनता जा रहा है। उक्त वर्णित कारकों के चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 की द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2023) के दौरान भारत में उद्योग के क्षेत्र में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि विनिर्माण के क्षेत्र में 13.9 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज हुई है और इससे उद्योग के क्षेत्र में भी अब रोजगार के भरपूर अवसर निर्मित हो रहे हैं। चीन से विनिर्माण इकाईयों के अन्य देशों में स्थानांतरित होने के पीछे दरअसल चीन की नीतियां ही अधिक जिम्मेदार हैं। एक तो चीन में श्रम की लागत बहुत तेजी से बढ़ी है और अब कई कम्पनियों की इसके चलते उत्पादन लागत बढ़ रही है और उनकी लाभप्रदता पर विपरीत असर पड़ रहा है। दूसरे, चीन में सस्ते युवा श्रम की संख्या लगातार कम हो रही है क्योंकि चीन में जन्म दर बहुत निम्न स्तर पर पहुंच गई है और बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चीन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर पैनी नज़र रखता है और कब किस कम्पनी पर किस कारण से किस प्रकार का जुर्माना लगाया जाएगा, कुछ पता नहीं रहता है। इस कारण से कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की चीन पर विश्वसनीयता भी कम हो रही है। चीन के अपने लगभग समस्त पड़ौसी देशों के साथ सम्बंध अच्छे नहीं है तथा चीन कई छोटे छोटे देशों पर अपनी चौधराहट स्थापित करना चाहता है इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन ने विभिन्न देशों के बीच अपनी साख खोई है। इस समस्त कारणों से आज कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चीन से अपना व्यवसाय समेट कर अन्य देशों की ओर रूख कर रही हैं। इस सबका फायदा अन्य देशों के साथ साथ भारत को भी हो रहा है और कई नामी ग्रामी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में अपने विनिर्माण इकाईयां स्थापित कर रही हैं। दरअसल भारत में केंद्र सरकार की उद्योग मित्र नीतियां भी इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत की ओर आकर्षित कर रही हैं। साथ ही, भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान आधारभूत सुविधाएं बहुत  तेजी से विकसित हुई हैं तथा भारत में सस्ता श्रम भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।     कभी अमेरिका भी वैश्विक स्तर पर विनिर्माण इकाईयों का केंद्र हुआ करता था। बाद में यूरोप भी विनिर्माण इकाईयों का केंद्र बन गया था। आज चीन विनिर्माण इकाईयों का केंद्र बना हुआ है। अब आगे आने वाले समय में भारत विनिर्माण इकाईयों का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। अमेरिका एवं यूरोप के विकसित देश आज सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च स्तरीय तकनीक के उपयोग में बहुत आगे हैं, परंतु, इन देशों को इस स्थिति में पहुंचने के पूर्व अपने विनिर्माण इकाईयों के केंद्र के रुतबे को खोना पड़ा था। वही स्थिति अब चीन की भी होती दिख रही है। परंतु, भारत के साथ एक लाभ यह भी है कि भारत पहिले से ही सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी धाक वैश्विक स्तर पर स्थापित कर चुका है अतः भारत यदि विनिर्माण इकाईयों का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है तो यह भारत के लिए एक अतिरिक्त उपलब्धि मानी जानी चाहिए।  प्रहलाद सबनानी 

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राजनीति एग्जिट पोल, बड़ा झोल

एग्जिट पोल, बड़ा झोल

– योगेश कुमार गोयल तेलंगाना विधानसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया के समापन के साथ ही पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम सर्वे एजेंसियों…

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लेख दशरथ का श्राद्ध करने पर नहीं दी गवाही-सीता ने दिया श्राप

दशरथ का श्राद्ध करने पर नहीं दी गवाही-सीता ने दिया श्राप

आत्‍माराम यादव पीव        चित्रकूट में भरत श्री राम को राज्य सौंपने पहुचते है जहां राम भरत से अयोध्या का राज्य स्वीकार कर भरत की…

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पर्यावरण इस साल रिकॉर्ड स्‍तर पर था फॉसिल फ्यूल जनितकार्बन एमिशन

इस साल रिकॉर्ड स्‍तर पर था फॉसिल फ्यूल जनितकार्बन एमिशन

फॉसिल फ्यूल से वैश्विक स्तर पर होने वाले एमिशन में वर्ष 2023 में एक बार फिर उछाल आया है और अब यह रिकॉर्ड स्‍तर पर…

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लेख ये प्रवृत्ति समाज और राष्ट्र को कहां लेकर जाएगी ?

ये प्रवृत्ति समाज और राष्ट्र को कहां लेकर जाएगी ?

~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल  व्यक्ति को अक्सर सत्ता और पद अधिक लुभाते हैं । प्रायः ‘पाॅवर’ की हनक -सनक और सत्ता की चाबी को  एक…

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राजनीति बौखलाहट है हिंदी पट्टी के राज्यों को ‘गौमूत्र राज्य’ की संज्ञा देना

बौखलाहट है हिंदी पट्टी के राज्यों को ‘गौमूत्र राज्य’ की संज्ञा देना

-ललित गर्ग- तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक एवं शानदार जीत से इंडिया गठबंधन के विभिन्न राजनीतिक दलों एवं…

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