पुस्तक समीक्षा मन को तृप्त करने वाली पुस्तक; भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप

मन को तृप्त करने वाली पुस्तक; भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप

समीक्षक – सचित्र मिश्रा विगत दिनों डॉ. सौरभ मालवीय जी की पुस्तक ‘भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप’ पढ़ने का सुअवसर मिला। इस पुस्तक…

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राजनीति एससीओ में रक्षामंत्री का चीन-पाक को कड़ा संदेश

एससीओ में रक्षामंत्री का चीन-पाक को कड़ा संदेश

– ललित गर्ग  – भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के पोर्टे सिटी किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद…

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लेख हिन्दी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है

हिन्दी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है

भारत विश्व का एक ऐसा देश है, जहां भाषाओं की विविधता पाई जाती है। यहां अलग-अलग समूहों द्वारा अनेक भाषाएं बोली,पढ़ी,लिखी व समझी जाती हैं,…

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राजनीति दुश्मन की नींद उड़ाने वाला स्वदेशी चमत्कार- भारत का ‘आकाशतीर’ ड्रोन

दुश्मन की नींद उड़ाने वाला स्वदेशी चमत्कार- भारत का ‘आकाशतीर’ ड्रोन

शिवानन्द मिश्रा “आकाशतीर” नाम का यह स्वदेशी ड्रोन हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान इस्तेमाल हुआ और इसकी ताकत देखकर पाकिस्तान ही नहीं, चीन…

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राजनीति क्या अमेरिका-इजरायल खामेनेई को सत्ता से हटाने में सफल हो पाएंगे !

क्या अमेरिका-इजरायल खामेनेई को सत्ता से हटाने में सफल हो पाएंगे !

रामस्वरूप रावतसरे अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ‘मेक ईरान ग्रेट अगेन’ ये बयान दिया था। दरअसल अमेरिका…

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राजनीति रूस-चीन असंभव काम करने की कोशिश कर रहे हैं

रूस-चीन असंभव काम करने की कोशिश कर रहे हैं

राजेश कुमार पासी वैश्विक राजनीति आज ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां कोई भी देश दूसरे देश पर विश्वास करने को तैयार नहीं है और दूसरी तरफ दुनिया एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था से निकलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर चल पड़ी है । अब भी अमेरिका अकेली महाशक्ति है लेकिन रूस, चीन और भारत उसे चुनौती दे रहे हैं । अमेरिका को यह बर्दाश्त नहीं है इसलिए वो रूस और चीन के रास्ते में रोड़े अटका रहा है । अमेरिका पहले भारत को साथ लेकर चीन को आगे बढ़ने से रोकना चाहता था लेकिन अब उसे भारत से भी डर लगने लगा है। अमेरिका सोचता है कि अगर भारत को नहीं रोका गया तो वो दूसरा चीन बन सकता है। अमेरिका ने रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझाया हुआ है लेकिन वो रूस को आगे बढ़ने से रोक नहीं पा रहा है। भारत और चीन की मदद से रूस न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने में कामयाब रहा है बल्कि युद्ध भी जारी रखे हुए है ।  अमेरिका चीन को तो रूस की मदद करने से नहीं रोक सकता लेकिन भारत को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। रूस को यह बात समझ आ गई है कि अगर अमेरिका का मुकाबला करना है तो उसे चीन और भारत को साथ लाना पड़ेगा. तभी अमेरिका का मुकाबला किया जा सकता है । रूस की सोच अपनी जगह सही हो सकती है लेकिन वर्तमान हालातों में यह काम असंभव लगता है कि चीन और भारत को साथ लाया जा सके । कुछ मुद्दों पर भारत चीन के साथ मिलकर काम कर सकता है लेकिन उसके साथ भारत के हितों का इतना टकराव है कि एक सीमा से आगे भारत नहीं बढ़ सकता । वास्तव में भारत के लिए चीन से ज्यादा अमेरिका के साथ मिलकर चलना ज्यादा आसान है । इसके अलावा भारत के अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ भी अच्छे सम्बन्ध हैं ।                 भारत और चीन की दोस्ती कितनी मुश्किल है, ये बात चीन में चल रही एससीओ संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक से पता चल जाती है । इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या दस है और इसमें पाकिस्तान और ईरान भी शामिल हैं । चीन आजकल पाकिस्तान को अपने प्राक्सी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. अब ये अलग बात है कि अमेरिका की भी यही कोशिश है । पाकिस्तान का भी अजीब है . वो कभी चीन की गोदी में बैठ जाता है तो कभी अमेरिका की गोदी में चला जाता है । वास्तव में दोनों ही देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं । भारत  का दबाव था कि एससीओ के साझा घोषणापत्र में आतंकवाद का मुद्दा शामिल किया जाए क्योंकि ये बैठक ही क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हो रही थी । चीन ने साझा घोषणा पत्र में बलूचिस्तान का जिक्र करके भारत को घेरने की कोशिश की लेकिन पहलगाम का जिक्र तक नहीं किया । भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन गए हुए हैं, उन्होंने सबके सामने पाकिस्तान को इस वैश्विक मंच पर बेनकाब करने का काम किया । उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा  कि आतंकवाद के अपराधियों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराना ही होगा और इससे निपटने में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए । उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के साथ आतंकवाद को नीतिगत हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है । उनका कहना है कि आतंकवाद को पालना और गलत हाथों में परमाणु हथियार होना दोनों गलत हैं और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए ।  इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो लोग अपने संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और उपयोग करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे । उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि हमने आतंकवाद का समुचित जवाब दिया है और भविष्य में भी देंगे । उन्होंने चीन पर निशाना लगाते हुए कहा कि आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं है । उन्होंने मंच से दोहराया कि भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है । चीन और पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुद्दे से दुनिया का ध्यान हटाना चाहा लेकिन राजनाथ सिंह ने साझा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया जिसके कारण एससीओ का संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका ।                  इससे पहले चीन गए हुए एनएसए अजित डोभाल ने भी चीन को उनके देश में ही सुना दिया कि आतंकवाद के प्रति उसका दोहरा रवैया भारत बर्दाश्त नहीं करेगा । वास्तव में भारत पाकिस्तान के आतंकवादियों के खिलाफ जब भी संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाया है, उसे चीन ने वीटो कर दिया है ।चीन के हथियारों से ही पाकिस्तान भारत से लड़ रहा था और इसके अलावा भी चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसकी मदद की थी । चीन अन्य मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर चल रहा है लेकिन उसके भारत के साथ मतभेद कम नहीं हैं । रूस आरआइसी बनाना चाहता है जिसमें रूस, चीन और भारत शामिल होंगे लेकिन यह रूस की कोई नई सोच नहीं है । पिछले बीस सालों से रूस इसकी कोशिश कर  रहा है लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली है । रूस चाहता है कि भारत और चीन इस तरह से मिल जाएं जैसे अमेरिका और यूरोप मिलकर चलते हैं लेकिन यह असंभव लगता है । वैसे देखा जाए तो रूस की कोशिश से भारत और चीन के बीच विवादों में कमी आती जा रही है । यही कारण है कि चीन ने पिछले वर्ष एक कार्टून बनाया था जिसमें हाथी और ड्रैगन मिलकर नाचते हुए दिखाए गए थे । ड्रैगन चीन का और हाथी भारत का प्रतीक मानते हुए यह दर्शाने की कोशिश की गई थी कि दोनों देश मिलकर चल सकते हैं ।                 चीन के साथ समस्या तब शुरू हो जाती है जब आतंकवाद पर उसके दोहरे रवैये की  बात आती है । वो आज भी हमारे अक्साई चीन पर कब्जा करके बैठा हुआ है । इसके अलावा भी चीन भारत के कई इलाकों पर अपना दावा पेश करता रहता है । अरुणाचल प्रदेश का तो उसने नाम भी बदला हुआ है । इसके अलावा भारत का चीन के साथ व्यापारिक संतुलन भी समस्या है क्योंकि ये बहुत ज्यादा चीन की तरफ झुका हुआ है । भारत चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है क्योंकि चीन पर भारत की निर्भरता बहुत ज्यादा है  लेकिन एक बात तो सच है कि अमेरिका अब दुनिया पर कुछ ज्यादा ही दादागिरी चला रहा है. भारत और चीन की ये साझी समस्या है । पाकिस्तान सिर्फ चीन की तरफ से समस्या नहीं है बल्कि अमेरिका की तरफ से भी है लेकिन भारत ने सिंधु जल समझौते के जरिये पाकिस्तान से निपटने का रास्ता निकाल लिया है । आतंकवाद के प्रति भारत ने बेहद सख्त रवैया अपना लिया है, चीन ज्यादा देर तक पाकिस्तान की मदद नहीं कर सकता । भारत, चीन और रूस के मिलकर चलने को दुनिया के कई देश उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं क्योंकि अमेरिकी दादागिरी से सारी दुनिया  परेशान है । बेशक चीन के साथ भारत का आना असंभव लगता है लेकिन साझे हितों के लिए ये संभव हो सकता है । भारत और चीन दोनों ही जानते है कि अगर वो मिल जाए तो उनकी बहुत सी समस्याएं खत्म हो सकती है । हो सकता है कि दोनों देश दूसरे मुद्दों को को किनारे रखकर आगे बढ़ें । भविष्य में वो हो सकता है जो अभी असंभव लग रहा है और डोनाल्ड ट्रंप के कारण भी ये संभव हो सकता है क्योंकि वो अमेरिका को महान बनाने के चक्कर में दूसरे देशों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं ।  राजेश कुमार पासी

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राजनीति 75 साल: राजनीतिक रूप से आज़ाद लेकिन क्या आर्थिक रूप से अब भी पराधीन!

75 साल: राजनीतिक रूप से आज़ाद लेकिन क्या आर्थिक रूप से अब भी पराधीन!

पंकज जायसवाल  हम भले ही अपने आपको सुपर पावर बोलें लेकिन सच्चाई है कि अभी भी हमारे बाजार में विदेशी कंपनियां ही राज कर रहीं हैं. हर चीज हर संस्थाओं और बिजनेस पर उनका एकाधिकार सा हो गया है. पश्चिम कई मॉडल से दुनिया के बाजार को नियंत्रित करते हैं. वह एसोसिएशन और फोरम बनाते हैं और उसके मार्फ़त दुनिया के बिजनेस को नियंत्रित करते हैं. आज फ़ूड मार्किट देख लीजिये. चाहे वह भारत या अन्य देश हों, वहां आपको मक्डोनाल्ड, केएफसी, सबवे, बर्गर किंग, पिज़्ज़ा हट, डोमिनो, पापा जॉन, बर्गर किंग, डंकिन डोनट्स, हार्ड रॉक कैफ़े, कैफ़े अमेज़न, वेंडिज, टैको बेल, चिलीज़, नंदोस कोस्टा कॉफी या स्टार बक्स हों,  यही छाये हुए मिलेंगे. ये सब विदेशी ब्रांड हैं. आप भारतीय शहरों के किसी भी मॉल या मार्किट में जाइये. भारतीय फर्मों को इनसे छूटा हुआ बाजार ही मिलता है और तकनीक के बल पर इनका ही एकाधिकार है . स्टार बक्स के आने के बाद भारत के शहरों में कॉफ़ी के होम ग्रोन ब्रांड या चाय के कट्टे पर भीड़ कम होती गई. भारतीय बाजार में फ़ूड आइटम को देख लीजिये, क्या हम कोल्ड ड्रिंक में पेप्सी, कोक रेड बुल के इतर किसी ब्रांड को देख पाते हैं ?  फ़ूड एवं FMCG में  देख लीजिये, नेस्ले, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, प्रॉक्टर एंड गैम्बल एवं कोलगेट का   कब्ज़ा है. इनके प्रोडक्ट लाइफबॉय, लक्स , मैग्गी, ले चिप्स, नेस्कैफे, सनसिल्क, नोर सूप ये सब इनके ही ब्रांड हैं. इनके  आगे इंडियन ब्रांड को उड़ान भरने में बहुत ही मशक्कत करनी पड़ती है. इनके   पूंजी और तकनीक के एकाधिकार के कारण भारतीय कंपनियों को लेवल प्लेइंग फील्ड मिल नहीं पाता है. एडवाइजरी एवं ऑडिट के क्षेत्र में एर्न्स्ट एवं यंग, केपीएमजी, प्राइस वाटरहाउस,  डेलॉइट, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, मेकेंजी, बेन एंड कंपनी, ए टी कर्णी, ग्रांट थॉर्टन, बीडीओ, प्रोटीवीटी, जेपी मॉर्गन, मॉर्गन स्टैनले, आर्थर एंडर्सन, एक्सेंचर का लगभग कब्ज़ा है. इन कंसल्टिंग फर्मों में से तो कई सरकारों के कामकाज में अंदर तक घुसी हुईं हैं. कंप्यूटर की दुनिया ले लीजिये. क्या आप आईटी मार्किट में IBM, माइक्रोसॉफ्ट,  एप्पल, इंटेल, डेल, एचपी, सिस्को, लेनोवो के बिना कंप्यूटर की कल्पना कर सकते हैं? आईटी क्षेत्र को लीजिये क्या Adobe Systems, SAP और Oracle को ERP को क्या भारतीय कंपनियां आसानी से बीट कर पा रहीं हैं ? आईटी में IBM, कैपजेमिनी, एक्सेंचर, डेलॉइट का ही दखल प्रभावी है. AI देखिये चैटजीपीटी की ही लीड है. इंटरनेट देख लीजिये किसका एकाधिकार है ? सोशल मीडिया देख लीजिये हम अपने जीवन का सर्वाधिक समय व्हाट्सअप, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर देते हैं और सर्वाधिक चलने वाले जिस जीमेल अकाउंट, गूगल, अमेज़न या एज्युर  क्लाउड का उपयोग करते हैं, सब विदेशी हैं.   इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रॉनिक में देख लीजिये सीमेंस, GE, फिलिप्स, LG, ABB,  सैमसंग, सोनी, फॉक्सवागन, हौंडा, ह्यूंदै, किआ, सुजुकी, टोयोटा, निसान, BMW, मर्सिडीज़, पॉर्श, रीनॉल्ट,  Sony,…

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राजनीति वह काला आपातकाल : बाद में पछताई थी इंदिरा गांधी

वह काला आपातकाल : बाद में पछताई थी इंदिरा गांधी

बाद में पछताई थी इंदिरा गांधी डॉ घनश्याम बादल 25 जून 1975 की रात के 12:02 बजे, आकाशवाणी से एक संदेश प्रसारित हुआ  “राष्ट्रपति ने…

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कविता रिक्त संपादकीय

रिक्त संपादकीय

डॉ. सत्यवान सौरभ स्याही की धार थम गई,शब्दों ने आत्महत्या कर ली,अख़बार का कोना ख़ाली है,जैसे लोकतंत्र ने मौन धर ली। न सेंसर की मुहर…

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लेख बेटियों के लिये मोह बढ़ना संतुलित समाज का आधार

बेटियों के लिये मोह बढ़ना संतुलित समाज का आधार

– ललित गर्ग  – दुनियाभर में माता-पिता आमतौर पर अब तक बेटियों की तुलना में बेटों को ज्यादा पसंद करते आ रहे हैं, लेकिन प्राथमिकताओं…

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लेख स्वस्थ रखें अपना लिवर

स्वस्थ रखें अपना लिवर

डॉ रुप कुमार बनर्जीहोमियोपैथिक चिकित्सक       लिवर हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है जो पेट के दाहिनी ओर नीचे की तरफ होता…

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लेख बंद हो असहमति को अपराध बनाना 

बंद हो असहमति को अपराध बनाना 

कुमार कृष्णन  संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। असहमति और लोकतंत्र का सह अस्तित्व है और दोनों साथ-साथ चलते हैं। इसी तरह के…

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