राजनीति बदली वैश्विक परिस्थितियों में भारत की सधी चाल वैश्विक नेता बना सकती है  

बदली वैश्विक परिस्थितियों में भारत की सधी चाल वैश्विक नेता बना सकती है  

पंकज गांधी जायसवालवर्तमान में पूरी दुनिया में अमेरिकी टैरिफ के कारण जो उथल पुथल दिखाई दे रही है और वैश्विक शेयर बाज़ारों में जो हलचल…

Read more
लेख प्राइवेट सिस्टम का खेल: आम आदमी की जेब पर हमला

प्राइवेट सिस्टम का खेल: आम आदमी की जेब पर हमला

भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं।  प्राइवेट स्कूल सुविधाओं की आड़ में…

Read more
कविता ज्योतिबा फुले: क्रांति की मशाल

ज्योतिबा फुले: क्रांति की मशाल

 समर्पित—ज्योतिराव फूले, जिन्होंने समाज को आँखें दीं। -प्रियंका सौरभ धूप थी अज्ञान की, अंधकार था घना,उग आया फूले-सा एक सूर्य अनमना।ज्योति बनी वह वाणी, दीप…

Read more
कविता फूले का भारत

फूले का भारत

शूद्र अछूत कहे जिन्हें, जीवन भर लाचार।फूले ने दी सीख तो, खोला ज्ञान-द्वार॥ यज्ञ-जपों की आड़ में, होता रहा प्रपंच।फूले ने जब कहा ‘नहीं’ ,…

Read more
लेख हिन्दी की गिनतियों को सरल बनाने, सुधार आवश्यक !

हिन्दी की गिनतियों को सरल बनाने, सुधार आवश्यक !

                        आत्माराम यादव वरिष्ठ पत्रकार                 संसार की प्रचलित भाषाओं का वर्गीकरण करें तो देवभाषा संस्कृत सभी की जननी है जिसके वंशानुगत अन्य सभी भाषाएँ सहित…

Read more
खान-पान नकली/मिलावटी दूध का खेल: अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को चंपत !

नकली/मिलावटी दूध का खेल: अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को चंपत !

दूध सदियों सदियों से हमारी सनातन भारतीय संस्कृति और खान-पान का बहुत ही अहम् हिस्सा रहा है। वास्तव में दूध शुद्धता और पोषण का प्रतीक…

Read more
लेख जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी

जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी

आस्था पेशाब तक पिला देती है, जाति पानी तक नहीं पीने देती।  कैसे लोग अंधभक्ति में बाबा की पेशाब को “प्रसाद” मानकर पी सकते हैं,…

Read more
प्रवक्ता न्यूज़ चमत्कारी ‘पूर्णागिरी’ से होती हैं सभी मुरादें पूरी

चमत्कारी ‘पूर्णागिरी’ से होती हैं सभी मुरादें पूरी

डॉ. रमेश ठाकुर 51 शक्तिपीठों में शामिल उत्तराखंड का ‘पूर्णागिरी मंदिर’ का मेला लग चुका है। देशभर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मान्यताओं के मुताबिक यह ऐसा स्थान है, जहां सच्चे मन से मांगी हुई प्रत्येक मुराद पूरी होती है। मंदिर उत्तराखंड के चंपावत जिले और नेपाल की सीमा से सटा है। देश के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में शुमार पूर्णागिरी का मंदिर जमीन से करीब साढ़े पांच हजार मीटर ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। 12 से 15 किमी की चढ़ाई के बाद दर्शन नसीब होते हैं। मंदिर चारों तरफ से प्राकृतिक सुंदरताओं से घिरा है। मंदिर के कपाट इस समय खुले हैं। चैत्र नवरात्र से शुरू होकर जून की पहली बारिश तक खुलते हैं। बता दें, यह इलाका उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा ‘खटीमा’ से सटा हुआ है। मेले के वक्त राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा-व्यवस्था हर वर्ष चाक चौबंद की जाती है। सालाना करीब 10 लाख से अधिक देश-विदेश से श्रद्धालु मंदिर में मन्नत मांगने पहुंचते हैं। दैवीय चमत्कारी गाथाओं से संबंध रखने वाला यह मेला करीब दो माह तक चलेगा। मार्च-अप्रैल में भीड़ ज्यादा रहती है। सदियों पुरानी मान्यताओं के मुताबिक जो भक्त सच्चे मन से मंदिर में चुन्नी से गांठ बांधकर कुछ मांगता, तो उसकी मुराद तकरीबन पूरी होती है। मंदिर में मुंडन कराने से बच्चा दीर्घायु और बुद्धिमान बनता है। इसी विशेष महत्वता के चलते लाखों तीर्थ यात्री वहां बच्चों का मुंडन कराने जाते हैं। पूर्णागिरी धाम में प्राकृतिक सुंदरता और अध्यात्म के मिलन का एहसास होता है। जहां हरियाली, शीतल हवा और शारदा नदी के साथ प्राकृतिक सौंदर्य हर ओर फैली हुई है।  पुराणों में जिक्र है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहां विष्णु चक्र से कटकर गिरा था। उसके बाद वहां 51 सिद्ध पीठों की स्थापना हुई और मां पूर्णागिरि मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ। मां पूर्णागिरि के मंदिर के लिए सड़क, रेल व वायु मार्ग से पहुंच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से ठूलीगढ़ तक जा सकते हैं। इसके अलावा वायु मार्ग से जाने के निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। बरेली-पीलीभीत से मंदिर पहुंचने के लिए तमाम सुगम पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं। पुराणों में ये भी बताया है कि महाभारत काल में प्राचीन ब्रह्मकुंड के निकट पांडवों द्वारा देवी भगवती की आराधना तथा बह्मदेव मंडी में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा द्वारा आयोजित विशाल यज्ञ में एकत्रित अपार सोने से वहां सोने का पर्वत भी निकला था, जो अदृश्य है। व्यवस्थापक बताते हैं, सोने का मंदिर 100 साल में एक बार दर्शन देता है। सोने का विशालकाय मंदिर धरती फाड़कर उपर निकलता है और थोड़ी देर दिखने के बाद औछल हो जाता है। इसलिए देश के चारों दिशाओं में स्थित कालिका गिरि, हिमगिरि व मल्लिका गिरी में पूर्णागिरि का ये शक्तिपीठ बहुत महत्व रखता है।वेदों में ज्रिक है कि एक समय दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें देवी-देवताओं का बुलाया गया लेकिन शिव भगवान को नहीं? तभी, सती द्वारा अपने पति भगवान शिव शंकर का अपमान सहन न होने के कारण अपनी देह की आहुति उसी यज्ञ में दे दी। सती की जली हुई देह लेकर भगवान शिव आकाश में विचरण करने लगे। जब भगवान विष्णु ने शिव शंकर को ताण्डव नृत्य करते देखा, तो उन्हें शांत करने के लिए सती के शरीर के सभी अंगों को पृथक-पृथक कर दिया। उसके बाद जहां-जहां सती के अंग गिरे, वहां शांति पीठ स्थापित हो गए। पूर्णागिरी में सती की नाभि गिरी थी। नाभि चंपावत जिले के “पूर्णा” पर्वत पर गिरने से मां “पूर्णागिरी मंदिर” की स्थापना हुई। ‘मल्लिका गिरि’ ‘कालिका गिरि’ ‘हमला गिरि’ में भी यही मान्यताएं हैं लेकिन पूर्णागिरि का स्थान सर्वोच्च है। डॉ. रमेश ठाकुर

Read more
लेख भारतीय जनमानस कहां जा रहा है

भारतीय जनमानस कहां जा रहा है

शिवानंद मिश्रा भारत जैसा देश जहां विभीषण और जामवंत जैसे नीतिज्ञ हुए जिनकी परंपरा का निर्वहन करते हुए विदुर से लेकर कौटिल्य तक हमारे आदर्श हुए,आज उन्हीं मनीषियों के देश का युवा निर्णयहीन सा दिखता है। पंचतंत्र और हितोपदेश पढ़ने वाले देश का युवा आज तर्कशीलता और वाक्पटुता का आचरण तक नहीं जानता। ध्रुव, प्रह्लाद, नचिकेता और आदिशङ्कर के देश में जन्मा युवा आज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। जिस देश में ‘यत्र नार्यस्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता’ पढ़ाया जाता हो,उस देश में महिला अपराध का वर्ष दर वर्ष बढ़ना एक खतरनाक संकेत है। जिस देश में स्त्री का उदाहरण सीता, सती और सावित्री हों, वहां की नारी दहेज और एल्युमनी का केस करती है । जिस देश में राम,शिव और कृष्ण जैसे पुरुष का उदाहरण हो जिन्होंने स्त्री को सदैव पुरुष के समतुल्य माना, उस देश में पुरुष का स्त्री को सिर्फ घर और भोग तक सीमित रखना अजीब लगता है । रामायण और गीता पढ़ने वाले देश में अवसादग्रस्त युवा, योद्धाओं के वाङ्मय पढ़कर जवान हुआ युवा अपने अंतर्द्वंद्व से हार जा रहा है। भारत में बीते दशकों में हुई संचार क्रांति ने भारत के संयुक्त परिवार को एकल परिवार और परिवार नियोजन से लेकर आईवीएफ तक पहुँचा दिया है। सभी के हाथ का फोन स्मार्ट हो गया और सब भोले बन गए। फोन पतला होकर स्लिम ट्रिम और फिट हो रहा है और युवा बेडौल होते जा रहे हैं।  खुद के शरीर में जंक फूड डाल रहे हैं और हर हफ़्ते समय से फोन का जंक क्लियर करते हैं।…

Read more
शख्सियत समतावादी समाज के पक्षधर थे महात्मा ज्योतिबा फुले

समतावादी समाज के पक्षधर थे महात्मा ज्योतिबा फुले

महात्मा ज्योतिबा फूले जयंती (11 अप्रेल) पर विशेषडा. वीरेन्द्र भाटी मंगल महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के महान व्यक्तित्वों में से एक थे। ये एक समाज…

Read more
राजनीति वोट बैंक की राजनीति – विशेषाधिकार की ओर

वोट बैंक की राजनीति – विशेषाधिकार की ओर

वीरेन्द्र सिंह परिहार वक्फ बोर्ड की असलियत को सामने लाते हुये सच्चर कमेटी ने वर्ष 2006 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वक्फ की…

Read more
आर्थिकी शेयर मार्केट में निवेशक: धोखे से कैसे बचें

शेयर मार्केट में निवेशक: धोखे से कैसे बचें

पंकज गांधी जायसवाल डिजिटलीकरण ने मोबाइल सबके हाथ में पकड़ा दिया है और इस यंत्र के सहारे शेयर मार्किट अब देश के आम आदमी की…

Read more