भारत में सर्जिकल स्ट्राईक सबूत की मांग से क्या सेना का मनोबल नहीं गिरेगा ?

collagae_chidamabaram_sanjay_nirupamसर्जिकल स्ट्राईक सबूत के बहाने मोदी पर निशाने

अपने ही देश के लोग सेना की सर्जिकल स्ट्राईक का सबूत मांग रहे हैं । यह सेना और देश दोनों को शर्मशार करने वाली बात है । किसी पार्टी या नेता विशेष पर आरोप-प्रत्यारोप पुरानी कहानी है लेकिन इस बहाने से देश की सेना पर अविश्वास की नई तस्वीर बनाई जा रही है । इससे सेना का मनोबल तो गिरता ही है साथ में देश की छवि को पाकिस्तान में जमकर उछाला जा रहा है । हाल ही के एक वीडियो संदेश में अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुये जो सर्जिकल स्ट्राईक के सबूत देकर पाकिस्तान को चुप करने की सामान्य सी बात कही वह असल में इतनी गंभीर साबित हुई कि पाकिस्तान में अरविन्द हीरो बनकर आॅनएयर हो रहे हैं । उनके बाद सरकार से सर्जिकल स्ट्राईक का सबूत मांगने के लिये कई कांगे्रसी नेताओं सहित कथित बुद्धिजीवियों की कतार बढ़ती जा रही है । इससे पाकिस्तान को जबरदस्त कूटनीतिक लाभ पहुँच रहा है । वहां का मीडिया भारतीय नेताओं के इन बयानों के हवाले से भारतीय सैन्य कार्यवाही की हवा निकालने में लगा है । हाल ही में उसने विदेशी मीडिया को उस क्षेत्र का दौरा करा कर भारत के दावे को झूठा साबित करने की कोशिश की थी जहाँ भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राईक अंजाम दी गई ।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश के अन्दर ही सेना की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगाकर भारत की कूटनीतिक लड़ाई को पलीता लगाया जा रहा है । सामान्य रूप से अन्य देशों में वहां के नेता दूसरे देश के प्रति सैन्य कार्यवाही के विरोध में बयानबाजी से बचते हैं । खासकर पाकिस्तान में तो सरकार और विपक्षी नेता वहां की सेना और खूफिया ऐजंसी आइएसआई के पक्ष में आगे बढ़कर उसके भारत विरोधी कारनामों पर परदा तक डालती है । लेकिन भारत में ऐसी स्थिति नहीं है । फिलहाल जरूरत से ज्यादा विचार व्यक्त करने की आजादी की मिसाल इस समय हिन्दोस्तान में ही कायम हो रही है । जिसे जो बोलना है वह बोल रहा है । ना न्यूज चैनलों के कंटैट पर रोक है कि उन्हें सैन्य अभियान की प्लानिंग, हथियार और क्षमता से जुड़ी खबरें कितनी हद तक दिखानी है कि दूसरा देश उनका लाभ ना ले पाये । और ना ही नेताओं में इतनी समझ नजर आती है कि सेना और उसके अभियान को लेकर उनके किसी सतही बयान को पाकिस्तान की मीडिया तोड़ मरोड़कर भारत के विरोध में ही प्रचारित कर सकती है । इसका ताजा उदाहरण केजरीवाल की मोदी को बधाई है । वीडियो में भले ही वे पाकिस्तान को सबूत देकर उसके झूठ को बेनकाब करने की मोदी को सलाह दे रहे हैं लेकिन बहुत आसानी से अपने स्वार्थ के लिये उस वीडियो के यह मायने निकाले जा सकते हैं कि मुख्यमंत्री केजरीवाल भारत की सर्जिकल स्ट्राईक पर सवाल उठा रहे हैं । इसके विरोध में लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या आगे से सेना जब भी आतंकवादियो को मारने या किसी गुप्त सैन्य अभियान पर जाये तो अपने साथ कैमरामैन ले जाये या फिर सभी न्यूज चैनलों के रिपोटरों को साथ में ले ले । या फिर यूँ ही सेना इस कार्यवाही की पूरी गुप्त जानकारी किसी को भी पकड़ा दें चूंकि उसके देशवासी ही उससे इस कार्यवाही का सबूत मांग रहे हैं ।
फौरी तौर पर देश के अंदर इस सर्जिकल स्ट्राईक के सबूत मांगने का कारण नरेन्द्र मोदी का विरोध करना माना जा रहा है । विपक्षी पार्टियों के नेता सरकार के साथ तो खड़े हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी की टांग खिचाई का भी कोई मौका जाने नहीं देना चाहते । भले ही उनकी इस चाहत से देश और सेना की छवि से खिलवाड़ क्यूँ ना हो जाये । क्या सेना की कार्यवाही पर संदेह जताया जाना सही है ? विपक्षीदलों का कहना है कि मोदी सीमा पर तनाव और ऐसे सैन्य अभियानों की खबरों से आने वाले समय में पंजाब और यूपी के चुनावों में भाजपा को लाभ दिलाना चाहते हैं । अगर इन आरोपों में जरा भी सच्चाई है तो भारतीय राजनीति के लिये इससे बुरी बात क्या होगी कि किसी राज्य का चुनाव जीतने के लिये राष्ट्रीय पार्टी ने देश की सुरक्षा को ताक पर रखने का गन्दा काम किया । लेकिन सोचने वाली बात ये है कि अगर इन राजनैतिक आरोपों में सच्चाई नहीं है, और सेना अपनी भूमिका निभा रही है तो क्या ऐसे आरोप लगाकर देश की छवि और सेना के मनोबल से खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है ।
किसी देश की सेना का मनोबल उस देश का सबसे बड़ा हथियार होता है । इस हथियार के बल पर ही सारे युद्ध जीते जा सकते हैं और बड़े से बड़े बमों के जखीरे भी बिना मनोबल वाली सेना के किसी काम नहीं आते । ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि सैन्य अभियानों को किसी पार्टी विशेष पर आरोपों से जोड़ने से पहले देश की सुरक्षा और सेना के मनोबल को ध्यान में रखा जाये । चिंतको का मानना है कि मौजूदा भारत-पाक की तनावपूर्ण परिस्थितियों में ऐसे बयानों से देश को सिवाय नुकसान के कुछ हासिंल नहीं हो सकता है । वैसे इतिहास बताता है कि अपने देश में आत्मकथा लिखने का क्रेज है । हो सकता है देर सवेर कोई जिम्मेदार अधिकारी या राजनैतिक व्यक्तित्व इस समय घट रही घटनाओं और अंदरूनी कूटनीति को लेकर अपनी किताबों में खुलासा करें । यह मौजूदा सरकार के पक्ष में भी हो सकता है और विपक्ष में भी ।
देश में इतना अपरिपक्व माहौल इससे पहले शायद ही देखने को मिला हो । बिन बातों के महल तैयार हो रहे हैं । असल मुद्दों की जगह आरोप और लोगों की कुछ क्षणों की भावनाओं को कैश कराकर चुनाव जीतने का कार्य चल रहा है । इसमें कोई दो राय नहीं है कि सीमा पर तनाव और सर्जिकल स्ट्राईक की कार्यवाही मोदी सरकार के पक्ष में जा रही है । इसका कारण भी तुरन्त पैदा नहीं हुआ है । लम्बे समय से पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी कार्यवाही की मांग भारत की जनता करती आ रही थी । लेकिन ऐसा भी पहली बार हुआ है कि सेना के ऐसे आॅपरेशन को इस तरह खुले भोजन की तरह परोस दिया गया है जिसे जो भाये वो खा ले और उल्टी कर दे । गुप्त अभियान गुप्त ही रहने चाहियें । फिलहाल कूटनीति का युद्ध चल रहा है शुरूआत में भारत इसमें पूरी तरह जीत गया था लेकिन पिछले दिनों से पाकिस्तान इसमें आगे बढ़नें की कोशिश में सफल हो रहा है । विदेश मीडिया को पीओके सीमा पर ले जाकर सच को झूठ साबित करना उसकी इसी कूटनीति का हिस्सा था । पाकिस्तान की इस कूटनीति में भारत के नेताओं के आरोप की राजनीति से प्रेरित अपरिपक्व बयान सहायक की भूमिका ही निभा रहे हैं । सवाल है कि क्या इस पर रोक लगेगी ?

1 COMMENT

  1. इनके और पाकिस्तान के क्रोध से स्पष्ट है कि जोरदार सर्जिकल स्ट्राइक हुयी थी। ये केवल पाकिस्तान के आदेश से उसकी पूरी खबर लेना चाहते हैं जिससे अगली बार पाकिस्तान इसका मुकाबला कर सके। यदि कांग्रेस शासन में भी ऐसा हुआ था तो उस समय ऐसी स्ट्राइक से पाकिस्तान या उसके भारतीय नौकर क्यों नहीं गुस्से से बौखलाते थे? या यह बताने में पाकिस्तान के बदले कांग्रेस सरकार को यह कहने में क्यों डर था?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here