Tag: अजन्मा

धर्म-अध्यात्म

“मनुष्य का कर्तव्य सृष्टि के अनादि पदार्थों के सत्यस्वरूप एवं अपने कर्तव्यों को जानना है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  मनुष्य जन्म लेकर माता-पिता व आचार्यों से विद्या ग्रहण करता है। विद्या का अर्थ है कि सृष्टि में विद्यमान अभौतिक व भौतिक पदार्थों के सत्यस्वरूप को यथार्थरूप में जानना और साथ ही अपने कर्तव्य कर्मों को जानकर उनका आचरण करना। संसार में मनुष्यों की जनसंख्या 7 अरब से अधिक बताई जाती है। […]

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धर्म-अध्यात्म

“सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त”

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–मनमोहन कुमार आर्य हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र आदि लोक लोकान्तर विद्यमान है, इसकी रचना वा उत्पत्ति किस सत्ता ने क्यों की, यह ज्ञान हमें होना चाहिये। महर्षि दयानन्द ने जहां अनेक प्रकार का ज्ञान अपने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में दिया […]

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धर्म-अध्यात्म

समय-समय पर आर्यसमाज के नियम पढ़ना व समझना तथा उन्हें जीवन उतारना आवश्यक’

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-मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज की स्थापना महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। स्थापना का मुख्य उद्देश्य वेदों, वैदिक धर्म व संस्कृति का प्रचार व प्रसार करना था। आर्यसमाज के 10 नियम हैं जिन्हें आसानी से कुछ घंटे के परिश्रम से स्मरण किया जा सकता है। आर्यसमाज में […]

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धर्म-अध्यात्म

“देश व विश्व से क्या कभी धर्म विषयक अविद्या दूर होगी?”

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मनमोहन कुमार आर्य,  आज का युग ज्ञान व विज्ञान का युग है। ज्ञान व विज्ञान दिन प्रतिदिन उन्नति कर रहे हैं। मनुष्यों का ज्ञान निरन्तर बढ़ रहा है परन्तु जब सत्य धर्म की बात करते हैं तो हमें दो प्रकार के मत मुख्यतः ज्ञात होते हैं। एक ईश्वर व आत्मा नामी चेतन पदार्थों को मानने […]

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धर्म-अध्यात्म

‘ईश्वर का ध्यान करने से दुःखों की निवृत्ति होती है’

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-मनमोहन कुमार आर्य, वेद और योग-दर्शन सभी मनुष्यों को ईश्वर का ज्ञान कराकर उन्हें ईश्वर की उपासना का सन्देश देते हैं। ईश्वर का ज्ञान व ध्यान करना क्यों आवश्यक है? इसका उत्तर है कि मनुष्य को सृष्टि में विद्यमान सभी सत्तावान पदार्थों का ज्ञान होने से हानि कुछ नहीं अपितु उनसे लाभ होता है। हम […]

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धर्म-अध्यात्म

“धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है”

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–मनमोहन कुमार आर्य,  हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का कारण देश में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की अविद्या है। इस अविद्या के कारण अनेक प्रकार की कुरीतियां भी प्रचलित हैं और सामाजिक विद्वेष उत्पन्न होने सहित किन्हीं दो समुदायों में हिंसा भी होती […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है, क्यों व कैसे?”

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  मनमोहन कुमार आर्य,  हम पृथिवी पर रहते हैं जिसका एक चन्द्रमा है और सुदूर एक सूर्य है जिससे हमें प्रकाश व गर्मी मिलती है। विज्ञान से सिद्ध हो चुका है कि सूर्य अपनी धूरी पर गति करता है और अन्य सभी ग्रह व उपग्रहों को भी गति देता है। पृथिवी अपनी धूरी पर घूमती […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर स्थूल न होकर सूक्ष्मतम होने के कारण आंखों से दीखता नहीं है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हमें किसी बात को सिद्ध करना हो तो हमें लिखित व दृश्य प्रमाण देने होते हैं। ईश्वर है या नहीं, इसका लिखित प्रमाण हमारे पास वेद के रुप में विद्यमान है। वेद ईश्वरीय ज्ञान है अर्थात् वेद ईश्वरप्रोक्त व ईश्वर के कहे हुए हैं। वेदों का ज्ञान ईश्वर से मनुष्यों तक कैसे […]

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