लेख अहिंसा के सिवाय कोई सौन्दर्य नहीं October 8, 2020 / October 8, 2020 by आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि | Leave a Comment – आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-आज समूची दुनिया संकटग्रस्त है, अब तक के मानव जीवन में ऐसे विकराल एवं विनाशक संकट नहीं आये। एक तरफ कोरोना महामारी का संकट है तो दूसरी ओर विश्व-युद्ध का माहौल बना है। हमें उन आदतों, वृत्तियों, महत्वाकांक्षाओं, वासनाओं, इच्छाओं को अलविदा कहना होगा जिनका हाथ पकड़कर हम उस ढलान पर उतर गये जहां […] Read more » No beauty except non-violence अहिंसा
राजनीति नए नजरिए से गांधी October 2, 2018 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment अरविंद जयतिलक आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। वे भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत भी हैं और सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य भी। सत्यशोधक संत भी और शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी और मानववादी विश्व […] Read more » अपरिग्रह अभय अस्तेय अहिंसा आस्वाद ब्रहमचर्य महात्मा गांधी शरीर श्रम सत्य सर्वधर्म समानता स्वदेशी
धर्म-अध्यात्म आचार्य महाश्रमणः धरती पर थिरकता अध्यात्म का जादू April 24, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment आचार्य महाश्रमण के 57वें जन्म दिवस, 24 अप्रैल 2018 पर विशेष -ललित गर्ग- आचार्य महाश्रमण एक ऐसी आलोकधर्मी परंपरा का विस्तार है, जिस परंपरा को महावीर, बुद्ध, गांधी, आचार्य भिक्षु, आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने अतीत में आलोकित किया है। अतीत की यह आलोकधर्मी परंपरा धुंधली होने लगी, इस धुंधली होती परंपरा को आचार्य […] Read more » Featured अहिंसा आचार्य श्री महाश्रमण आत्मविश्वास जाति धर्म नेपाल पुरुषार्थी प्रयत्न प्रांत वर्ग वर्ण समर्पण
समाज अहिंसा है सुखी समाज का आधार October 12, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment शोषण विहीन समाज की रचना के लिए संग्रह स्पर्धा और उपभोग वृत्ति पर रोक आवश्यक है। इससे न केवल स्वयं के जीवन में संतुलन एवं संयम आएगा, समाज में भी संतुलन आएगा। शोषण की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी और इस चक्की में पिस रहे लोगों को राहत मिलेगी। इसलिए भगवान महावीर ने अपरिग्रह को धर्मयात्रा का अभिन्न अंग माना। अपरिग्रह का अर्थ है संग्रह पर सीमा लगाना। इससे शोषण की आधारशिला कमजोर होगी तब हिंसा का ताण्डव नृत्य भी कम होगा। अपरिग्रह के बिना अहिंसा की सही संकल्पना हो ही नहीं सकती और न इसकी सही अनुपालना हो सकती है। Read more » अहिंसा सुखी समाज का आधार
बच्चों का पन्ना अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाली पाठशालाएं हिंसा का पर्याय बनती जा रही हैं December 11, 2010 / December 19, 2011 by अखिलेश आर्येन्दु | Leave a Comment अखिलेश आर्येन्दु सात महीने पहले कोलकाता के मार्तिनेर स्कूल के एक छात्र रौवनजीत रावला की स्कूल के अध्यापकों द्वारा बेंतों से बेतहाशा पिटाई करने के बाद आत्महत्या कर ली थी। तब पुलिस प्रशासन ने दोषी प्रिंसिपल और अध्यापकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। लेकिन सामाजिक संगठनों और राश्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने […] Read more » School अहिंसा पाठशाला हिंसा
विविधा अहिंसा के हिंसक अनुयायी July 26, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 7 Comments on अहिंसा के हिंसक अनुयायी – शाक्त ध्यानी गांधी अपने हीरो कभी नहीं रहे। विद्यार्थी जीवन में जब प्रत्येक छात्र अपना एक वैचारिक शरीर खड़ा कर उसे ओढ़ता है तो उसमें जीवन के प्रति चौबीस कैरेट की शुचिता होती है। वह समाज, राष्ट्र के लिये अर्पित होने को आतुर होता है, उन दिनों अपने कमरे में सुभाष, भगत सिंह और […] Read more » Violence अहिंसा हिंसा