व्यंग्य साहित्य वाद, विवाद और विकासवाद February 10, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment सिरदर्द के अनेक कारण होते हैं। कुछ आतंरिक होते हैं, तो कुछ बाहरी। पर मेरे सिरदर्द का एक कारण हमारे पड़ोस में रहने वाला एक चंचल और बुद्धिमान बालक चिंटू भी है। उसके मेरे घर आने का मतलब ही सिरदर्द है। कल शाम को मैं टी.वी. पर समाचार सुन रहा था कि वह आ धमका। […] Read more » Featured पूंजीवाद वाद विकासवाद विवाद विवाद और विकासवाद समाजवाद
आर्थिकी राजनीति पूँजीवाद की कोई और शक्ल ? September 22, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान आदिकालीन साम्यवादी समाज में मनुष्य पारस्परिक सहयोग द्वारा आवश्यक चीजों की प्राप्ति और प्रत्येक सदस्य की आवश्यकतानुसार उनका आपस में बँटवारा करते थे। परंतु यह साम्यवाद प्राकृतिक था; मनुष्य की सचेत कल्पना पर आधारित नहीं था। आरंभ के ईसाई पादरियों के रहन-सहन का ढंग बहुत कुछ साम्यवादी था, वे एक साथ और समान […] Read more » capitalis Featured पूंजीवाद
आर्थिकी पूंजीवाद जी का जंजाल… महंगाई-भ्रष्टाचार से दुनिया बदहाल….. February 12, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | 2 Comments on पूंजीवाद जी का जंजाल… महंगाई-भ्रष्टाचार से दुनिया बदहाल….. श्रीराम तिवारी आधुनिकतम उन्नत सूचना एवं प्रौद्द्योगिकी के दौर में विश्व-रंगमंच पर कई क्षणिकाएं-यवनिकाएं बड़ी तेजी से अभिनीत हो रहीं हैं . २१ वीं शताव्दी का प्रथम दशक सावधान कर चुका है कि दुनिया जिस राह पर चल रही है वो धरती और मानव मात्र की जिन्दगी को छोटा करने का उपक्रम मात्र है .जीवन […] Read more » Capitalism पूंजीवाद
राजनीति पूंजीवाद से बेहतर है साम्यवाद -रूमानियाई रिफ्रेंडम का सार … February 10, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment श्रीराम तिवारी वैश्विक आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप जनांदोलनों की दावाग्नि वैसे तो सारी धरती को अंदर से धधका रही है. आधुनिकतम सूचना एवं संचार माध्यमों की भी जन-हितकारी भूमिका अधिकांश मौकों पर द्रष्टव्य रही है. इस आर्थिक संकट की चिंगारी का मूल स्त्रोत पूर्वी यूरोप और सोवियत साम्यवाद के पराभव में सन्निहित है. दुनिया भर […] Read more » Capitalism पूंजीवाद साम्यवाद
विविधा साम्यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्प है एकात्म मानवतावाद December 10, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on साम्यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्प है एकात्म मानवतावाद -राजीव मिश्र स्वतंत्रता के उपरांत के अपने आर्थिक इतिहास के खतरनाक दौर में हम पहूंच गए हैं जबकि सारी व्यवस्था ही टूटती हुई दिखायी पड़ रही है। आज भारत एवं संपूर्ण विश्व एक चौराहे पर किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा है उसे मार्ग नहीं दिख रहा है। उसके सामने यह यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि वास्तविक […] Read more » communism एकात्म मानववाद पूंजीवाद साम्यवाद
राजनीति बुरे को अच्छा बनाने की कारपोरेट कला August 13, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on बुरे को अच्छा बनाने की कारपोरेट कला -जगदीश्वर चतुर्वेदी हमें बार-बार यही बताया जा रहा है कि हम पूंजीवाद का समर्थन करें। हमें सहनशील बनने की सीखें प्रदान की जा रही हैं। हमें कहा जा रहा है कि हम तटस्थ रहें, विवादों, संघर्षों, मांगों के लिए होने वाले सामूहिक संघर्षों से दूर रहें, सामूहिक संघर्ष बुरे होते हैं। आम आदमी को तकलीफ […] Read more » Capitalism कॉरपोरेट पूंजीवाद
विश्ववार्ता बर्बर पूंजीवाद का मॉडल है रूस-चीन का June 24, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on बर्बर पूंजीवाद का मॉडल है रूस-चीन का -जगदीश्वर चतुर्वेदी सोवियत संघ और चीन का समाजवाद से पूंजीवाद में रूपान्तरण हो चुका है। आज रूस और चीन बदल गए हैं। वे वैसे नहीं है जैसे समाजवाद के जमाने में थे। सामाजिक जीवन में पहले की तुलना में असुरक्षा बढ़ी है। पहले राजसत्ता से मानवाधिकारों को खतरा था आज लुंपनों ,कारपोरेट घरानों और पार्टी […] Read more » Capitalism चीन पूंजीवाद रूस