धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” November 30, 2018 / November 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द ने योगेश्वर श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी से विद्या प्राप्त की थी। विद्या पूरी होने पर गुरु दक्षिणा के अवसर पर गुरु विरजानन्द जी ने स्वामी दयानन्द को वेद एवं ऋषियों के बनाये सद्ग्रन्थों का प्रचार और सद्ज्ञान विरुद्ध मिथ्या मतों, […] Read more » “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” अर्थ धर्म बुद्धि मनुष्यों
कविता कहाँ जाने का समय है आया ! September 10, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १८०८०१ अ) कहाँ जाने का समय है आया, कहाँ संस्कार भोग हो पाया; सृष्टि में रहना कहाँ है आया, कहाँ सृष्टि से योग हो पाया ! सहोदर जीव कहाँ हर है हुआ, समाधि सृष्ट कहाँ हर पाया; समादर भाव कहाँ आ पाया, द्वैत से तर है कहाँ हर पाया ! बीज जो बोये दग्ध ना हैं हुए, जीव भय वृत्ति से न मुक्त हुए; भुक्त भव हुआ कहाँ भव्य हुए, मुक्ति रस पिया कहाँ मर्म छुए ! चित्त चितवन में कहाँ है ठहरा, वित्त स्वयमेव कहाँ है बिखरा; विमुक्ति बुद्धि है कहाँ पाई, युक्ति हो यथायथ कहाँ आई ! नयन स्थिर चयन कहाँ कीन्हे, कहाँ मोती हैं हंसा ने बीने; कहाँ ‘मधु’ उनकी शरण आ पाया, पकड़ हर चरण कमल कब पाया ! रचयिता: गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » रस पिया बुद्धि मधु सृष्टि
धर्म-अध्यात्म ब्रह्मा आचार्य रणजीत शास्त्री का सम्बोधन” August 13, 2018 / August 13, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के यशस्वी मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी द्वारा अपने निवास दून विहार, राजपुर रोड, देहरादून के समीप सनातन धर्म के राधाकृष्ण मन्दिर में आठ दिवसीय ‘यजुर्वेद पारायण यज्ञ एवं रामकथा’ का आयोजन किया गया है। यह आयोजन 4 अगस्त, 2018 को आरम्भ हुआ था जिसका समापन […] Read more » Featured आर्यसमाज ईश्वर ज्ञान प्रेमप्रकाश शर्मा बुद्धि ब्रह्मा आचार्य रणजीत शास्त्री का सम्बोधन” महर्षि दयानन्द विद्या विनम्रता वैदिक साधन शिक्षा
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म को यदि बचाना है तो अपने मन से सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करना होगा May 29, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत काल के बाद से वेद और वैदिक धर्म का निरन्तर पतन देखने को मिल रहा है। ऋषि दयानन्द के जीवन में ऐसा भी समय आया जब वेद लुप्त-प्रायः हो गये थे। महाभारत काल के बाद वेदों के सत्य अर्थों का देश व समाज में प्रचार रहा हो, इसका प्रमाणित विवरण […] Read more » Featured ईश्वर ऋषि दयानन्द ऋषि मुनियों चित्त जातिवाद ज्ञानेन्द्रिय पांच कर्मेन्द्रिय बुद्धि मन मनुस्मृति महाभारत व ब्राह्मण रामायण वैदिक साहित्य
धर्म-अध्यात्म “वेदों का आविर्भाव कब, कैसे व क्यों हुआ?” May 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “वेदों का आविर्भाव कब, कैसे व क्यों हुआ?” -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में जितने भी पदार्थ है उनकी उत्पत्ति होती है और उत्पत्ति में कुछ मूल कारण व पदार्थ होते हैं जो अनुत्पन्न वा नित्य होते हैं। इन मूल पदार्थों की उत्पत्ति नहीं होती, वह सदा से विद्यमान रहते हैं। उदाहरण के लिए […] Read more » Featured अथर्ववेद ईश्वर ऋग्वेद ऋषि दयानन्द बुद्धि मन यजुर्वेद वेदों सामवेद
चिंतन समस्याओं का मूल कहां है ? June 17, 2015 / June 17, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिये जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओं रूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती है, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमता को ललकारती है और दूसरे शब्दों में वे हममें […] Read more » Featured जिंदगी जीवन परेशानी बुद्धि समस्याओं का मूल कहां है ? समाधान हल
विविधा पराई बुद्धि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते January 14, 2011 / December 16, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on पराई बुद्धि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते कुसुमलता केडिया कोई भी समाज तब तक स्वस्थ, सबल, स्वाधीन एवं प्रतिष्ठा संपन्न नहीं हो सकता जब तक उसकी सामूहिक बुध्दि जाग्रत एवं प्रदीप्त न हो। उधार की तलवार से लड़ाई तो हो सकती है, परंतु उधारकी बुध्दि से ऐश्वर्य एवं श्री की प्राप्ति असंभव है। पराई बुध्दि से स्वकार्य संपन्न नहीं होते, पराई सेवा […] Read more » Complete बुद्धि