कविता
मन
/ by आर के रस्तोगी
मन ही मन को जानता,मन को मन से प्रीत।मन ही मनमानी करे,मन ही मन का मीत।मन झूमे,मन बांवरा,मन की है अद्भुत रीत।मन के हारे हार है,मन के जीते है जीत।। मन को कैसे मनाए,मन है बड़ा अधीर।मन के मानने से,मनुष्य होता राजा फकीर।मन बड़ा चलायमान है,मन न माने कोई बात।मन अगर मान जाए ये मन […]
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