धर्म-अध्यात्म “सृष्टि रचना का उद्देश्य जीवों को भोग व अपवर्ग प्रदान कराना” November 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य चेतन प्राणी है। मनुष्य का शरीर पंच भौतिक तत्वों से बना है। पृथिवी (सूर्य, चन्द्र, सभी ग्रह व उपग्रह), अग्नि, वायु, जल, आकाश पंच भौतिक पदार्थ हैं। यह सभी पदार्थ जड़ हैं। इनका उपादान कारण त्रिगुणात्मक प्रकृति है जो कि जड़ है। यह प्रकृति अनादि? नित्य व अविनाशी तत्व है।सृष्टि में […] Read more » अजर अमर अल्पज्ञ आनन्द रहित आनन्द व सुखाभिलाषी ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप एकदेशी चेतन निराकार न्यायकारी परिमाण पवित्र सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म “सही विधि से ईश्वरोपासना न करने पर उसका लाभ नहीं होता” October 26, 2018 / October 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आस्तिक लोग ईश्वर की पूजा व उपासना करते हैं। पूजा व उपासना को भक्ति का नाम भी दिया जाता है। हम जानते हैं कि हमें हर काम को सीखना पड़ता है। हम यह प्रयास करते हैं कि हमें सीखाने वाला व्यक्ति उस विषय का पूर्ण जानकार हो। अपूर्ण जानकार से कोई भी […] Read more » अजन्मा अनन्त दयालु धर्त्ता निराकार न्यायकारी सब सृष्टि का कर्त्ता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान हर्त्ता
धर्म-अध्यात्म “क्या व्यवहार में हम ईश्वर को अपने सभी कर्मों का साक्षी मानते व बुरे कर्मों से डरते हैं?” October 20, 2018 / October 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम यह लेख लिख रहे हैं इसलिये कि हमारे मन में यह विचार आया है। हमने अपने जीवन में इस विषय का लेख नहीं पढ़ा हां वैदिक साहित्य में इससे सम्बन्धित प्रचुर सामग्री अवश्य मिलती है। आर्यसमाज व हम ईश्वर, जीव तथा प्रकृति के नित्यत्व व अनादित्व के सिद्धान्त को मानते हैं। […] Read more » अनादि अविनाशी आधिदैविक आधिभौतिक ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप नित्य निराकार सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” October 18, 2018 / October 18, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है” मनमोहन कुमार आर्य, हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों की मृत्यृ का समाचार सुनते रहते हैं। हम जब जन्में थे तो हमारे माता-पिता, चाचा, चाची, मौसी, मौसा, मामा-मामी व बुआ-फूफा आदि लोग संसार में थे। हमने उनके साथ समय बिताया है। आज […] Read more » अनन्त अनादि धार्मिक गुरुओं नित्य निराकार महात्माओं सच्चिदानन्दस्वरुप सन्त सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर-मनुष्य संबंध व्याप्य-व्यापक, स्वामी-सेवक और पिता-पुत्र का है” October 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ईश्वर इस संसार की रचना करने वाले, पालन करने वाले तथा सृष्टि की अवधि पूरी होने पर इसकी प्रलय करने वाली सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, अजन्मा, नित्य व अविनाशी सत्ता को कहते हैं। मनुष्य का आत्मा एक अल्प परिमाण, चेतन, अल्पज्ञ, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी, कर्म-फल के बन्धनों में आबद्ध, कर्मानुसार […] Read more » अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न वा अजन्मा अनुपम अभय दयालु निराकार निर्विकार पवित्र व सृष्टिकर्ता अविनाशी सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर
प्रवक्ता न्यूज़ “मन को वश में करना कठिन है परन्तु इसकी साधना आवश्यक है” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य का मन ही बन्धन व मोक्ष का कारण है। यह दर्शन शास्त्र का वचन है और यह सत्य सिद्धान्त है। मनुष्य जो भी कर्म करता है वह शुभ व अशुभ होने से दो प्रकार के कहे जाते हैं। शुभ कर्म करने का परिणाम शुभ व सुख होता है और अशुभ कर्म […] Read more » घूम्रपान चाय निराकार न्यायकारी मदिरापान मांसाहार सच्चिदानन्दस्वरूप सद्कर्मों सर्वज्ञ सर्वव्यापक
धर्म-अध्यात्म “भौतिकवाद से हमारी मानवीय संवेदनायें घटती हैं जिन्हें आध्यात्मिकता से सन्तुलित कर जीवन को सुखी बना सकते हैं” September 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, भौतिकवाद आध्यात्मवाद का विलोम शब्द है। पृथिवी, अग्नि, जल, वायु और आकाश को भौतिक पदार्थ कहते हैं। इसमें ईश्वर व जीवात्मा सम्मिलित नहीं हैं। यह दोनों पदार्थ भौतिक न होकर चेतन वा आत्मतत्व हैं जो ज्ञान व कर्म गुणों वाले होते हैं। भौतिक पदार्थ ज्ञान व सम्वेदनाशून्य होते हैं। इनकी अधिक संगति […] Read more » “भौतिकवाद अनादि अविनाशी से सन्तुलित आध्यात्मिकता आनन्द-स्वरूप मानवीय संवेदनायें सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान
धर्म-अध्यात्म “प्रातः सायं ईश्वर की उपासना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है” August 24, 2018 / August 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। हम मननशील हैं, अतः हमारा प्रमुख कार्य मनन पूर्वक सभी कार्यों को करना है। मनुष्य संसार में आता है तो वह वह संसार को देख कर जिज्ञासा करता है कि यह संसार किसने बनाया है? सूर्य, चन्द्र, पृथिवी, ग्रह-उपग्रह तथा लोक लोकान्तर किसने बनाये हैं? पृथिवी […] Read more » Featured अन्तर्यामी ईश्वर कर्म गुण परमेश्वर शुद्ध सनातन सर्वज्ञ सर्वोपरि विराजमान स्वभाव स्वयंसिद्ध
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार” July 27, 2018 / July 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन हैं तथा प्रकृति जड़ जड़ सत्ता है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, न्यायकारी तथा जीवों के कर्मों के अनुसार उनके जन्म व मृत्यु की व्यवस्था करने वाला है। हमें अपने मनुष्य […] Read more » “मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार” Featured कृष्ण गुरुदत्त विद्यार्थी चाणक्य दयानन्द निराकार न्यायकारी राम लेखराम श्रद्धानन्द सच्चिदानन्दस्वरुप सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी हंसराज
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि में ईश्वर का अस्तित्व सत्य व यथार्थ है” July 13, 2018 / July 13, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हम जिस संसार को देखते हैं वह अति प्राचीन काल से विद्यमान है। यह कब बना, इसका प्रमाण हमें वेद, वैदिक साहित्य एवं इतिहास आदि परम्पराओं से मिलता है। आर्य लोग जब भी कोई पुण्य व शुभ कार्य करते हैं तो वह संकल्प पाठ का उच्चारण करते हैं। इसमें कर्मकर्त्ता यजमान […] Read more » “सृष्टि में ईश्वर का अस्तित्व सत्य व यथार्थ है” Featured अजन्मा अनादि अनुत्पन्न आनन्दयुक्त ईश्वर ऋषि दयानन्द नित्य निराकार विराट सर्वव्यापक सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान सर्वातिसूक्ष्म
धर्म-अध्यात्म “वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय शिक्षा से ही सम्भव” June 27, 2018 / June 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, गुरुकुल एक लोकप्रिय शब्द है। यह वैदिक शिक्षा पद्धति का द्योतक शब्द है। वैदिक धर्म व संस्कृति का आधार ग्रन्थ वेद है। वेद चार हैं जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। यह चार वेद सृष्टि के आरम्भ में सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, अनन्त, न्यायकारी, सृष्टिकर्ता और जीवों के […] Read more » “वैदिक धर्म का समग्रता से ज्ञान व प्रचार गुरुकुलीय Featured अनन्त अनादि ऋग्वेद निराकार न्यायकारी यजुर्वेद शिक्षा से ही सम्भव” सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सामवेद सृष्टिकर्ता
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर का अवतार क्यों नहीं होता?’ June 25, 2018 / June 25, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है? ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वशक्तिमान, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अनादि, अजर, अमर, अनन्त, नित्य एवं सृष्टिकर्ता आदि असंख्य गुण, कर्म व स्वभाव से युक्त दयालु व धर्म में स्थित सत्ता है। हमारे देश में पाषाण व धातुओं की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करने की परम्परा विगत दो या ढ़ाई हजार […] Read more » ‘ईश्वर का अवतार क्यों नहीं होता?’ Featured चन्द्र निराकार पृथिवी महर्षि दयानन्द महर्षि वेदव्यास राम व कृष्ण ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी सूर्य