कविता स्वच्छता अभियान December 19, 2024 / December 19, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment प्रतिदिन उज्वल राखिये, अपने गृह के पासअगर गंदिगी जो रहे, तो व्याधि करेगी वासव्याधि करेगी वास, चित्त में चैन न पाओगेहकीम – डॉक्टर – वैद्यों पर धन खूब लुटाओगेकह पौरुष (मोदी) समझाए, सुनो ओ मूरख बन्देरहोगे सदा बीमार अगर जो रहते हो गंदे देश स्वच्छ बनाने को हो जाओ तैयारस्वच्छ भारत का करें सपना हम […] Read more » स्वच्छता अभियान
आर्थिकी राजनीति सांस्कृतिक संगठनों के नेतृत्व में स्वच्छता अभियान को दी जा सकती है गति December 16, 2024 / December 16, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment आज पूरे देश के विभिन्न नगरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इन नगरों में प्रतिदिन सैकड़ों/हजारों टन कचरा उत्पन्न होता है, जिसे इन नगरों की नगर पालिकाओं/नगर निगमों द्वारा एकत्र किया जाता है। कचरे की मुख्य श्रेणियों में जैविक अपशिष्ट, प्लास्टिक, कागज, धातु और कांच शामिल रहते हैं। कुछ नगरों में संग्रहण के पश्चात, कचरे को प्रसंस्करण संयंत्रों में भेजा जाता है, परंतु कुछ नगरों में नागरिकों की भागीदारी और कचरे के उचित निपटान की कमी एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। इस प्रकार देश के विभिन्न नगरों में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या के रूप में विद्यमान है। भारत में कचरे का मुख्य निपटान लैंडफिल साइटों पर किया जाता है, लेकिन यहां कचरे की सॉर्टिंग का अभाव है। अधिकांश कचरे को बिना छांटे सीधे लैंडफिल में डाला जाता है, जिससे पुनर्चक्रण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके अलावा, लैंडफिल साइट्स पर कचरे का उचित प्रबंधन नहीं किया जाता और इसका प्रदूषण मिट्टी और जल स्रोतों तक फैलता है। कुछ नगरों में कई कॉलोनियों में सीवेज का पानी खुले में बहाया जाता है। इससे जल स्रोतों का प्रदूषण होता है और जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ता है। खुले में सीवेज के निस्तारण से दुर्गंध और अस्वच्छ वातावरण भी उत्पन्न होता है, जिससे नागरिकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई नगरों में नागरिक अक्सर सड़कों, सार्वजनिक स्थानों, पार्कों और धार्मिक स्थलों पर कचरा फेंक देते हैं। यह शहर की स्वच्छता को प्रभावित करता है और प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है। खासकर धार्मिक आयोजनों और प्रसाद वितरण के बाद खुले में कचरा फैलाने की आदत अधिक देखी जाती है। इससे न केवल गंदगी फैलती है, बल्कि यह धार्मिक स्थलों की पवित्रता और स्थानीय पारिस्थितिकी को भी प्रभावित करता है। इसी प्रकार, कई नगरों में वायु प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई बार 200 से 300 के बीच रहता है, जो “अस्वस्थ” श्रेणी में आता है। इसके कारणों में प्रमुख हैं: (1) औद्योगिक प्रदूषण – विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले वेस्ट पदार्थों का उचित निपटान नहीं होने के चलते विभिन्न उद्योग नगरों में प्रदूषण फैलाते हैं। (2) वाहनों से प्रदूषण – बढ़ते वाहनों की संख्या और पुराने वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। (3) धूल – सड़क निर्माण और निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल भी वायु प्रदूषण को बढ़ाती है, जो सांस के रोगों को जन्म देती है। आज भारत में विभिन्न नगरों में स्वच्छता की समस्याओं के हल में नागरिकों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गई है। नागरिकों द्वारा खुले में कचरा फेंकने, जानवरों को खुले में खाना देने और धार्मिक आयोजनों में प्रदूषण फैलाने जैसी आदतें स्वच्छता की स्थिति को और अधिक खराब करती हैं। (1) सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फेंकना – लोग अक्सर सड़कों, पार्कों और धार्मिक स्थलों पर कचरा छोड़ देते हैं। (2) जानवरों को खाना देना – नागरिकों द्वारा सड़क पर गायों और कुत्तों को खाना देना एक सामान्य प्रथा है, लेकिन इसके बाद कचरे का सही निपटान नहीं किया जाता। पन्नियां भी यदा-कदा फेंक दी जाती हैं। (3) धार्मिक आयोजनों में प्रदूषण – धार्मिक स्थानों पर पूजा सामग्री और प्रसाद के पैकेट खुले में फेंके जाते हैं, जिससे स्वच्छता की स्थिति बिगड़ती है।इसमें भंडारे वाले स्थान प्रमुखता से हैं। हालांकि भारत सरकार द्वारा स्वच्छता के लिए पूरे देश में ही अभियान चलाया जा रहा है, परंतु इस कार्य में विभिन्न सरकारी विभागों के अतिरिक्त समाज को भी अपनी भूमिका का निर्वहन गम्भीरता से करना होगा। यदि समाज और सरकार इस क्षेत्र में मिलकर कार्य करते हैं तो सफलता निश्चित ही मिलने जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान के तहत विभिन्न नगरों में कई प्रयास किए गए हैं। घर-घर शौचालय का निर्माण कराया गया है एवं कचरा संग्रहण की व्यवस्था की गई है इससे कुछ हद्द तक स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम सफल रहे हैं, लेकिन कचरे का निपटान और सार्वजनिक स्थलों की सफाई में अभी भी सुधार की बहुत अधिक गुंजाइश है। कुछ नगरों को तो स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत भी कई अतिरिक्त योजनाएं मिली हैं। इन योजनाओं में स्मार्ट कचरा प्रबंधन, स्मार्ट पार्किंग, और डिजिटल स्वच्छता निगरानी जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। इन कदमों से कचरे के प्रबंधन में सुधार और स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिली है। कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में विभिन्न नगरों के सामने आ रही विभिन्न समस्याओं के हल हेतु समाज द्वारा दिए गए कई सुझावों पर अमल किया जाकर भी अपने अपने नगर में स्वच्छता के अभियान को सफल बनाया जा सकता है। विभिन्न नगरों को आज स्वच्छता के लिए 3R (Reduce, Reuse, Recycle) के सिद्धांत को अपनाने की महती आवश्यकता है। प्लास्टिक कचरे से सड़कें बनाना (Plastic Waste Roads) का कार्य बड़े स्तर पर हाथ में लिया जा सकता है। कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने (Waste-to-Energy Projects) के सम्बंध में विभिन्न प्राजेक्ट्स हाथ में लिए जा सकते हैं। इको-फ्रेंडली शौचालयों (Eco-Friendly Toilets) का निर्माण भारी मात्रा में होना चाहिए। कचरे से धन उत्पन्न करने (Waste-to-Wealth) सम्बंधी योजनाओं को गति दी जा सकती है, इससे न केवल कचरा प्रबंधन में मदद मिलेगी बल्कि इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी। त्यौहारों के समय भारी मात्रा में बनाई जा रही भगवान की मूर्तियों का विसर्जन करते समय नगर स्तर पर स्वयसेवकों की टोलीयां बनाई जानी चाहिए जो विसर्जन सम्बंधित गतिविधियों पर अपनी पारखी नजर बनाए रखें ताकि भगवान की मूर्तियों का विसर्जन न केवल पूरे विधि विधान से सम्पन्न हो बल्कि इन मूर्तियों के अवशेष किसी भी प्रकार से कचरे का रूप न ले पायें, इसका ध्यान भी रखा जाना चाहिए। अफ्रीकी देश रवांडा में, प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को एक घंटे के लिए पूरा देश अपने सभी कार्य रोककर सामूहिक सफाई में हिस्सा लेता है। इसे उमुगांडा कहा जाता है, और यह एक सामाजिक पहल है जिसका उद्देश्य न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देना है, बल्कि समुदाय में एकजुटता और जिम्मेदारी की भावना को भी प्रोत्साहित करना है। इस एक घंटे के दौरान, नागरिक सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और अन्य सामुदायिक क्षेत्रों को साफ करते हैं। यह पहल सरकार से लेकर स्कूलों के बच्चों तक सभी को शामिल करती है, और यह सामूहिक सफाई का एक बड़ा अभियान बन जाता है। उमुगांडा केवल स्वच्छता तक सीमित नहीं है; यह सामाजिक एकता और सामूहिक प्रयास को बढ़ावा देने का एक तरीका है। भारत के विभिन्न नगरों में भी इस प्रकार की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है एवं विजयादशमी 2025 को 100 वर्ष का महान पर्व सम्पन्न होगा। संघ के स्वयंसेवक समाज में अपने विभिन्न सेवा कार्यों को समाज को साथ लेकर ही सम्पन्न करते रहे हैं। अतः इस शुभ अवसर पर, भारत के प्रत्येक जिले को, अपने स्थानीय स्तर पर समाज को विपरीत रूप से प्रभावित करती, समस्या को चिन्हित कर उसका निदान विजयादशमी 2025 तक करने का संकल्प लेकर उस समस्या को अभी से हल करने के प्रयास प्रारम्भ किए जा सकते हैं। किसी भी बड़ी समस्या को हल करने में यदि पूरा समाज ही जुड़ जाता है तो समस्या कितनी भी बड़ी एवं गम्भीर क्यों न हो, उसका समय पर निदान सम्भव हो सकता है। अतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एक सांस्कृतिक संगठन होने के नाते, समाज को साथ लेकर पर्यावरण में सुधार हेतु विभिन्न नगरों में स्वच्च्ता अभियान को चलाने का लगातार प्रयास कर रहा है। इसी प्रकार, अन्य धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों को भी आगे आकर विभिन्न नगरों में इस प्रकार के अभियान चलाना चाहिए। प्रहलाद सबनानी Read more » Cleanliness campaign can be given momentum under the leadership of cultural organizations स्वच्छता अभियान
विविधा धराशाई होता स्वच्छता अभियान September 16, 2020 / September 16, 2020 by निर्मल रानी | 1 Comment on धराशाई होता स्वच्छता अभियान निर्मल रानीसरकार द्वारा गत छः वर्षों से जिस स्वच्छता अभियान का बिगुल बजाया जा रहा था,जिस स्वच्छता अभियान के नाम पर अब तक हज़ारों करोड़ रूपये ख़र्च किये जा चुके,जिस महत्वाकांक्षी योजना के लिए अनेक नामचीन हस्तियों को ब्रांड अम्बेस्डर बनाया गया और देश को यह दिखाने की कोशिश की गयी कि देश में पहली बार […] Read more » स्वच्छता अभियान
राजनीति सरकार के ‘स्वच्छता अभियान’ में खामियां November 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  हमारे देश को प्रयोगशाला बनाकर नये-नये प्रयोग करते जाने की राजनीतिज्ञों की पुरानी परम्परा है। जब किसी प्रयोग पर करोडों-अरबों रूपया व्यय हो जाता है तो फिर उसे भुला दिया जाता है या जब उस प्रयोग के गलत परिणाम राजनीतिज्ञों को मिलने लगते हैं तो उन्हें जनता को न बताकर चुपचाप […] Read more » clean india drawbacks drawbacks of swachta abhiyan Featured प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार स्वच्छता अभियान स्वच्छता अभियान में खामियां
राजनीति विकृत मानसिकता और कांग्रेस के नेता September 18, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी भारतीय संस्कृति से साक्षात्कार करने वाला व्यक्ति कभी अपशब्द नहीं बोल सकता, जो अपशब्द बोलता है, वह भारतीय संस्कृति का संवाहक हो ही नहीं सकता। भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव समाहित है। इस कारण कहा जासकता है कि भारत विश्व के लिए कल्याण का भाव रखता है, लेकिन हमारे देश के […] Read more » Featured कांग्रेस कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मनीष तिवारी वसुधैव कुटुम्बकम् विकृत मानसिकता स्वच्छता अभियान
विविधा स्वच्छता अभियान और मोदी सरकार October 8, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment पुराने समय में लोग खुले में शौच जाते थे तो अपने मल को खेत में मिट्टी से दबाकर आते थे इससे उत्तम 'मल विनष्टीकरण' का कोई अन्य ढंग नही हो सकता। इस क्रिया से मल की बदबू वातावरण में नही फैलती थी। पर मल मिट्टी के साथ मिलकर 24 घंटे में ही खाद बन जाता था, जिससे खेत की उत्पादन क्षमता बढ़ती थी। इसके अतिरिक्त आजकल शौचालय में जिन सीटों को हम बैठने के लिए प्रयोग करते हैं-उन्होंने हम सबको बीमार कर दिया है। Read more » Featured मोदी सरकार स्वच्छता अभियान
जन-जागरण राजनीति स्वच्छता अभियान में हरीश सरकार का संदेश October 3, 2015 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी राजनीति में रहकर राजनीतिक पार्टी से ऊपर उठकर देशहित में विचार करते हुए राजनीति के जरिए केंद्र में मोदी सरकार की देश को स्वच्छ बनाने और सभी घरों में आवश्यक रूप से शौचालयों के निर्माण को हकीकत में बदलने के लिए जिस प्रकार का अनोखा प्रयोग करने का निर्णय उत्तराखण्ड की हरीश […] Read more » Featured स्वच्छता अभियान हरीश सरकार का संदेश
जन-जागरण स्वच्छता अभियान : दिखावे की नहीं संस्कारित करने की ज़रूरत October 13, 2014 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत् 2 अक्तूबर को गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर प्रतीकात्मक रूप से स्वयं अपने हाथों से झाड़ू लगाकर पूरे देश में स्वच्छता अभियान शुरु किए जाने की औपचारिक घोषणा की गई। देश के सभी सरकारी विभागों,शिक्षण संस्थाओं आदि को इस अभियान में भाग लेने का निर्देश दिया गया। इसमें […] Read more » स्वच्छता अभियान
जन-जागरण स्वच्छता अभियान का सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ October 12, 2014 / October 12, 2014 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment मृत्युंजय दीक्षित विगत 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किया गया स्वच्छता अभियान अब रंग दिखाने लग गया है। प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता अभियान केवल सड़क की गंदगी हटाने तक ही सीमित नहीं रह गया है अपितु इस अभियान के काफी गहरे राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ भी है। जो […] Read more » स्वच्छता अभियान स्वच्छता अभियान का सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ
व्यंग्य व्यंग्य बाण : स्वच्छता अभियान October 7, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment नरेन्द्र भाई ने पिछले दिनों अमरीका से लौटकर झाड़ू क्या उठाया, पूरा देश झाड़ूमय हो गया। वैसे तो वे अमरीका में ही नवाज शरीफ के इरादों पर झाड़ू फेर आये थे; पर असली काम तो भारत में होना था। हमारे मोहल्ले में भी लोगों ने सुबह कुछ देर सफाई की। फिर उसके फोटो फेसबुक पर […] Read more » स्वच्छता अभियान