कहानी कहानी – वत्सला October 31, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment मंगलवार को साप्ताहिक बाजार बंदी के कारण कुछ फुर्सत रहती है। कल भी मंगलवार था। शाम को मैं अपनी पत्नी राधा के साथ चाय पी रहा था कि देहरादून से शिबू का फोन आ गया। – कैसे हो भाई.. ? – भगवान की दया है। – एक शुभ समाचार है। तुम्हारी सोनचिरैया के पर निकल […] Read more » Featured कहानी वत्सला
कहानी आंटी नहीं फांटी… June 10, 2015 / June 10, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- “चार समोसे पैक कर देना.” जी, और कुछ? और…ये क्या है? ये साबुदाना वड़ा है. ये भी चार दे देना. नाश्ते की दुकान पर खड़ा लड़का ग्राहक के कहे मुताबिक चीजें पैक कर रहा है. ग्राहक नज़र घुमा के चीजों को देख रहा है. दुकान में बहुत कुछ है. जलेबी…लाल इमिरती…और वो क्या […] Read more » Featured आंटी नहीं फांटी कहानी
कहानी चेहरा June 2, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मोनी सिंह- सुबह उठते ही शीशे में मैं अपना चेहरा देखा करती हूं। हर दिन की शुरूआत मेरी वहीं से होती है। जिस दिन न देखूं कुछ अधूरा सा लगता है। ऐसा लगता है जैसे मैने खाना न खाया हो। किसी से बात करने का मन नही होता। अजीब से ख्याल आते मेरे मन में। […] Read more » Featured कहानी चेहरा
कहानी खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी May 12, 2015 / May 12, 2015 by सुधीर मौर्य | Leave a Comment -सुधीर मौर्य- बहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते हैं। क्या लड़के, क्या लड़कियां। पर वो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी। वो लड़की जो थी। लड़कियां हर हाल में लड़कों से ज्यादा खूबसूरत होती है। ये मैंने सुना था। लोगोंं से, कई लोगों से। कुछ माना, कुछ नहीं माना। फिर […] Read more » Featured अंजलि कहानी खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी स्टोरी
कहानी विविधा रुमाल खो गया April 29, 2015 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment -रवि कुमार छवि- शनिवार का दिन था। शाम के 5 बज चुके थे। दफ्तर के ज्यादातर कमरे बंद होने शुरु हो गए थे। रवि अपना बचा हुआ निपटाने में लगा हुआ था। इतने में पीछे से आवाज़ आती है अरे दोस्त चलना नहीं है क्या, कुछ देर अपनी उंगुलियों को थामते हुए ने कहा बस […] Read more » Featured कहानी रुमाल खो गया
कहानी कहानी – शौक March 21, 2012 / March 21, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो शाम का वक्त था, सूरज अपनी दिन भर की मेहनत करके घर वापसी की ओर लोट रहा था। ठीक उसी तरह जैसे कोई दिहाडी मजदूर शाम होते ही अपने घर की राह पकडने की ओर आतुर रहता है। कोई 70-72 साल का एक बुजुर्ग अपनी एक टूटी सी साईकिल पर अपने भविष्य की धरोहर, एक […] Read more » stories Story कहानी कहानी - शौक
कहानी कहानी ; एक मुट्ठी खुशी March 9, 2012 / March 12, 2012 by राजकुमार सोनी | Leave a Comment – राजकुमार सोनी मिस्टर और मिसेज रायजादा बगीचे में बैठे हैं। जब से सरकारी नौकरी में आए थे लोग मिस्टर रायजादा के नाम से ही उनको पहचानते हैं। बगीचे में बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं और हम दोनों इन्हीं में अपने बच्चों का बचपन याद करके हंस रहेथे। ये हम दोनों की ही आदत […] Read more » stories Story एक मुट्ठी खुशी कहानी
कहानी कहानी ; मैं जिंदा हूं March 7, 2012 / March 7, 2012 by राजकुमार सोनी | Leave a Comment – राजकुमार सोनी बचपनसे शायद जब मैं 7-8 साल की रही हूंगी तब से ही अछूत थी। मुझे छूने सेलोगों में वायरस फैल जाता था। वायरस भी कोई साधारण नहीं बहुत भयानक था।इसलिए लोग मुझसे ज्यादा बात नहीं करते थे। वैसे तो हम दो बहनें और एक भाईथा। भाई हम दोनों बहनों के बीच में […] Read more » stories Story कहानी मैं जिंदा हूं
धर्म-अध्यात्म कहानी / खड़ेसरी बाबा January 3, 2012 / January 4, 2012 by आर. सिंह | 2 Comments on कहानी / खड़ेसरी बाबा आर. सिंह यह खड़ेसरी महाराज उर्फ़ खड़ेसरी बाबा की कहानी है.खड़ेसरी बाबा एक ऐसे पहुँचे हुए संत कहे जाते थे जिन्होंने बारह वर्ष खड़े रह कर हठयोग साधना की थी.कहा जाता है कि वे लगातार बारह वर्ष खड़े रहे थे.खड़ेसरी बाबा ने जब निर्वाण प्राप्त किया था,तब तक उनके भक्तों की संख्या लाखों में पहुँच […] Read more » story-khadseri baba कहानी खड़ेसरी बाबा
प्रवक्ता न्यूज़ कहानी December 8, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 37 Comments on कहानी आलोक कुमार सातपुते फ़र्क़ एक शेरनी अपने बच्चों को शिकार सीखा रही थी,तभी उसकी नज़र महुआ बीनती हुई एक औरत पर पड़ी और उसने उस पर हमला करके उसे गिरा दिया और कहा-मैं तुम्हें खा जाऊँगी । इस पर उस औरत ने हाथ जोड़कर कहा-बहन,तुम मुझे छोड़ दो। मेरे बच्चे भूख से बिलबिला रहे […] Read more » Story कहानी
कहानी वह कहानी लेखक बनना चाहता था. September 22, 2011 / December 6, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment देव को बचपन से हीं पुस्तकें पढने का बहुत शौक था.अब तो उसे यह भी याद नहीं है कि कौन कौन सी पुस्तकें पढी उसने उन दिनों.आज वह सोचता है कि न जाने कब और कैसे चाट पडी उन पुस्तकों की. पुस्तकों की चाट ने उसके जीवन में नाटकीयता का समावेश भी कर दिया.अनजाने में […] Read more » R Singh आर सिंह कहानी कहानी लेखक
कहानी संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन April 26, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | 3 Comments on संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन जिन्दगी के पथ पर चलते हुए बहुत सी एैसी घटनाएं घटित हो जाती हैं जो यादगार ही बनकर नहीं रह जाती,वल्कि हमेशा कुरेदती भी रहती है दिलों दिमाग को.क्या उम्र रही होगी मेरी उस समय?यही तेरह या चौदह वर्ष की.वयःसन्धि के उस मोड पर मन की उमंगें आसमान छूने की तम्मना रखती हैं.आज फिर जब […] Read more » कहानी संस्मरण