धर्म-अध्यात्म “प्राचीन भारत सकारण अध्यात्म प्रधान देश था” September 11, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आज हम जिस युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं वह आधुनिक युग कहा जाता है। महाभारत काल से पूर्व का प्राचीन भारत अपने समय में तो आधुनिक ही कहा जाता रहा होगा परन्तु उस समय के विद्वानों व मनीषियों ने आध्यात्म और भौतिकवाद में से अध्यात्म का चयन किया था। यह […] Read more » अज्ञान-अशिक्षा अभाव अवैदिक मूर्तिपूजा अशिक्षा ऊंच-नीच ऋषि दयानन्द कुपोषण धनी-निर्धन बेरोजगारी भेदभाव मत-मतान्तर
राजनीति समाज कंपनियों के कब्जे में बच्चों का पोषण आहार July 31, 2018 / July 31, 2018 by जावेद अनीस | Leave a Comment जावेद अनीस पिछले करीब दो सालों से मप्र में आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाले पूरक पोषण आहार सप्लाई को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जिसकी वजह से पोषण आहार वितरण व्यवस्था प्रभावित रही है. मध्यप्रदेश में इसके करीब 95 लाख हितग्राही हैं जिसमें बच्चे, किशोरियां और गर्भवती महिलायें शामिल हैं. इस दौरान […] Read more » Featured कंपनियों के कब्जे में बच्चों का पोषण आहार कुपोषण पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भ्रष्टाचार महिला और बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस विधानसभा के मानसून सत्र शिशु मृत्यु दर
राजनीति अर्थव्यवस्था की ऊंचाई पर भारत July 16, 2018 / July 16, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव यह भारतवासियों के लिए खुशी की बात है कि भारत फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की आर्थिक रूप से छठी ताकत बन गया है। इसके पहले हम सातवें स्थान पर थे। अब हमसे आगे अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन ही हैं। इसके पहले भारत सातवें स्थान पर था, जिसने फ्रांस को एक सीढ़ी […] Read more » Featured अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश और संयुक्त राष्ट्रसंघ अमेरिका अर्थव्यवस्था की ऊंचाई पर भारत कुपोषण खुशहाली चीन जर्मनी और ब्रिटेन जापान भ्रष्टाचार रोज़गार वैश्विक रेटिंग एजेंसियां विश्व-बैंक शिक्षा स्वास्थ्य
विविधा कैसे मिले भारत को भुखमरी व कुपोषण से मुक्ति October 28, 2017 by विनोद बंसल | Leave a Comment विनोद बंसल पूरी दुनिया 7.30 अरब लोगों की है। 1.40 अरब आबादी के साथ चीन पहले नंबर पर तो भारत 1.28 अरब के कुल जन-धन के साथ दुनिया में दूसरे पायदान पर है। अमेरिका की कुल जनसंख्या 32 करोड़ होने को है। उसके बाद 20.26 करोड़ की आबादी का ब्राजील और 25.36 करोड़ का इंडोनेशिया है। विश्व की 47 प्रतिशत आबादी केवल भारत, चीन, अमेरिका, ब्राजील और इंडोनेशिया में बसती है। अब […] Read more » Featured hunger India India to get rid of hunger India to get rid of mal nutrition mal nutrition malnutrition कुपोषण भुखमरी भुखमरी से मुक्ति
विविधा “मामा राज” में कुपोषण का काल November 15, 2016 by जावेद अनीस | Leave a Comment जावेद अनीस ज्यादा दिन नहीं हुए जब म.प्र. में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने ‘आनंद मंत्रालय’ खोलने की घोषणा की थी, मंत्रालय खुल भी गया. लेकिन अब इसी मध्यप्रदेश सरकार को “कुपोषण की स्थिति” को लेकर श्वेत पत्र लाने को मजबूर होना पड़ा है. करीब एक दशक बाद जब प्रदेश में कुपोषण की भयावह […] Read more » Featured increasing cases of malnutrition increasing cases of malnutrition in madhya pradesh malnutrition in madhya pradesh कुपोषण मध्य प्रदेश में कुपोषण मध्य प्रदेश में कुपोषण की भयावह स्थिति
समाज कुपोषण से मुक्त होगा झारखंड October 6, 2016 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लड़की की कम उम्र में शादी और मां बनने से बच्चे कुपोषित जन्म ले रहे हैं। कम उम्र की मां ने गर्भधारण के मानकों का पालन नहीं किया और 6 माह तक बच्चे को स्तनपान भी नहीं कराया, इस कारण बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि 65 ग्राम दाल बच्चों को दिया जाना चाहिए लेकिन राज्य में 30 ग्राम दाल भी उन्हें नहीं मिल रहा है। Read more » Featured Jharkhand to get rid from Malnutrition malnutrition कुपोषण कुपोषण से मुक्त कुपोषण से मुक्त होगा झारखंड झारखंड
महिला-जगत राजनीति नरेन्द्र मोदी के स्त्री-कुपोषण के पुंसवादी तर्क September 11, 2012 / September 14, 2012 by सारदा बनर्जी | 2 Comments on नरेन्द्र मोदी के स्त्री-कुपोषण के पुंसवादी तर्क सारदा बनर्जी हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दैनिक ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए साक्षात्कार में स्त्री-कुपोषण पर बयान दिया कि गुजराती मध्यवर्गीय औरतें स्वास्थ्य की तुलना में सुंदरता के प्रति ज़्यादा जागरुक है। उन्होंने कहा कि यदि मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पीओ तो वह लड़ती है […] Read more » कुपोषण गुजरात नरेंद्र मोदी महिला सौंदर्य
बच्चों का पन्ना कुपोषण: राष्ट्रीय शर्म बनाम राष्ट्रीय भ्रम January 16, 2012 / January 15, 2012 by राजेश कश्यप | 2 Comments on कुपोषण: राष्ट्रीय शर्म बनाम राष्ट्रीय भ्रम राजेश कश्यप हाल ही में प्रधानमंत्री ने भूख और कुपोषण सर्वेक्षण रिपोर्ट (हंगामा-2011) जारी करते हुए, स्पष्टतः स्वीकार किया कि देश में भूखमरी और कुपोषण की स्थिति राष्ट्रीय शर्म का विषय है। निःसन्देह यह रिपोर्ट दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक और विश्व की दूसरी सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश को हकीकत का आईना दिखाती […] Read more » malnutrition malnutrition a national shame कुपोषण राष्ट्रीय भ्रम राष्ट्रीय शर्म
विविधा खाद्य सुरक्षा से संभव है कुपोषण पर काबू January 13, 2012 / January 13, 2012 by नवनीत कुमार गुप्ता | 4 Comments on खाद्य सुरक्षा से संभव है कुपोषण पर काबू नवनीत कुमार गुप्ता प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने हाल ही में कुपोषण पर एक सर्वे रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार हमारे देश में पांच साल से कम आयु वाले 42 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने चिंता जताते हुए कुपोषण को राष्ट्रीय शर्म बताया। उन्होंने नीति निर्माताओं और कार्यक्रमों को […] Read more » food security malnutrition कुपोषण खाद्य सुरक्षा
विविधा पांच मंत्रालयों पर भुखमरी और कुपोषण से लड़ने की जिम्मेदारी January 21, 2011 / December 16, 2011 by संजय स्वदेश | 3 Comments on पांच मंत्रालयों पर भुखमरी और कुपोषण से लड़ने की जिम्मेदारी संजय स्वदेश देश की जनता को भुखमरी और कुपोषण से बचाने के लिए सरकार नौ तरह की योजनाएं चला रही है। पर बहुसंख्यक गरीबों को इन योजनाओं के बारे में पता नहीं है। गरीब ही क्यों पढ़े-लिखों को भी पता नहीं होगा कि पांच मंत्रालयों पर देश की भुखमरी और कुपोषण से लड़ने की अलग-अलग […] Read more » hunger कुपोषण भूख
विविधा मप्र में कुपोषण के नाम पर किसका ‘पोषण’ December 29, 2010 / December 18, 2011 by रामबिहारी सिंह | 1 Comment on मप्र में कुपोषण के नाम पर किसका ‘पोषण’ रामबिहारी सिंह मध्यप्रदेश के माथे पर लगे चुके कुपोषण के कलंग को मिटाने के लिए प्रदेश सरकार जहां पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं आज भी मप्र में कुपोषण के नाम पर कुपोषित का नहीं, बल्कि किसी और का पोषण हो रहा है। हाल ही में प्रदेश की भाजपा सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च […] Read more » Madhya pradesh कुपोषण मध्यप्रदेश
खेत-खलिहान दाल-रोटी का टूटता जोड़ा और बढ़ता कुपोषण July 10, 2010 / December 23, 2011 by रमेश कुमार दुबे | 2 Comments on दाल-रोटी का टूटता जोड़ा और बढ़ता कुपोषण -रमेश कुमार दुबे दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहां अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रूपये की वृद्धि […] Read more » Daal कुपोषण दाल-रोटी