धर्म-अध्यात्म “देश में जन्मना जाति व्यवस्था 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” August 3, 2018 / August 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और जो गुण रहित है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। […] Read more » 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द चाणक्य देश में जन्मना जाति व्यवस्था धर्म पिता पूर्व परजन्म ब्राह्मण माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” August 1, 2018 / August 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह होती हैं जो मनुष्यों के द्वारा असम्भव होने से नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए सूर्य, चन्द्र व पृथिवी सहित पृथिवी पर वायु, जल, अग्नि आदि की उत्पत्ति मनुष्य कदापि नहीं कर […] Read more » “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” Featured अनादि अमर अविनाशी आचार्य नित्य पिता माता राजा व न्यायाधीश सर्वान्तर्यामी ईश्वर सर्वाव्यापक संसार संस्कृत सच्चिदानन्दस्वरूप
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का वर्ण व्यवस्था पर महत्वपूर्ण उपदेश” July 17, 2018 / July 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व प्रसिद्ध ‘सत्यार्थप्रकाश’ ग्रन्थ में वर्ण व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला है और वेदानुकूल ग्रन्थों के बुद्धि व तर्क संगत प्रमाण भी दिये हैं। हम यहां सत्यार्थप्रकाश के चतुर्थ समुल्लास से उनके कुछ विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि जो शूद्र कुल में […] Read more » Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द धर्म पिता पूर्व जन्म माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म आदर्श गुरु स्वामी विरजानन्द और आदर्श शिष्य स्वामी दयानन्द April 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आदर्श मनुष्य का निर्माण आदर्श माता, पिता और आचार्य करते हैं। ऋषि दयानन्द ने लिखा है कि वह सन्तान भाग्यशाली होती है जिसके माता, पिता और आचार्य धार्मिक होते हैं। धार्मिक होने का अर्थ है कि जिन्हें वेद व वेद परम्पराओं का ज्ञान होता है। ऋषि दयानन्द भाग्यशाली थे कि उन्हें […] Read more » Featured असमानता आदर्श ऋषि दयानन्द छूआछूत ज्योतिष पिता . आचार्य माता सामाजिक स्वामी विरजानन्द
धर्म-अध्यात्म तीन चेतन देवता माता, पिता और आचार्य April 13, 2018 / May 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों में देव और देवता शब्द का प्रयोग हुआ है। देव दिव्य गुणों से युक्त मनुष्यों व जड़ पदार्थों को कहते हैं। परमात्मा अर्थात् ईश्वर परमदेव कहलाता है। देव शब्द से ही देवता शब्द बना है। देवता का अर्थ होता है जिसके पास कोई दिव्य गुण हो और वह उसे दूसरों को […] Read more » Featured आचरण आदरणीय गुरुकुलों पिता भाषा मनुष्य माता वैदिक साहित्य शब्द सम्मानीय सामाजिक व राजनैतिक
धर्म-अध्यात्म पूजा क्या, किसकी, कैसे व क्यों करें? April 9, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जानता है कि वह अपूर्ण हैं। उसे अपने कार्यों को पूरा करने में दूसरे मनुष्यों की सहायता लेनी पड़ती है। कुछ काम ऐसे भी होते हैं, जहां मनुष्यों की सहायता से काम नहीं चलता क्योंकि मनुष्य वह कार्य नहीं कर सकते जिसकी हमें अपेक्षा होती है। ऐसा देखा गया है कि […] Read more » Featured अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर आचार्य दयालु निराकार निर्विकार न्यायकारी परिवार व समाज पिता मनुष्य माता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर सृष्टिकर्ता
समाज सन्तान को जन्म देकर निर्माण करने में माता का सर्वाधिक योगदान December 6, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य जन्म देने वाली सत्ता व शक्ति का नाम माता है। सारा संसार वा मनुष्य अपनी अपनी माताओं से उत्पन्न होते वा जन्म लेते हैं। यदि मां न होती तो संसार में कहीं मनुष्य व अन्य प्राणी जो माताओं से उत्पन्न हुए हैं, दिखाई न देते। यह सृष्टि यदि चल रही है तो […] Read more » Featured Mother mother and child mother in upbringing of child role of mother माता
कला-संस्कृति जन-जागरण तीन माताएं: May 12, 2015 / May 12, 2015 by डॉ. मधुसूदन | 1 Comment on तीन माताएं: -डॉ. मधुसूदन- जावे त्याच्या वंशा तेव्हां कळे।-(मराठी) -सन्त तुकाराम जन्मोगे उस वंश में तो ही समझ पाओगे।–सन्त तुकाराम सुना होगा आपने, कि, भगवान हर व्यक्ति के जीवन में प्रकट होना चाहता था, पर, जब नहीं पहुंच पाया, तो प्रत्येक के जीवन में उसने एक एक माँ को भेज दिया। माँ की करुणा और प्रेम की […] Read more » Featured तीन माताएं: मां माता मौसी
परिचर्चा विविधा सुरक्षित मातृत्व स्वास्थ्य की चुनौतियां May 12, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment –उपासना बेहार- इस बार 10 मई को मदर्स-डे के रुप में मनाया जा रहा है, बाजार गिफ्टों से पटा पड़ा है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी इस दिन के लिए खास तैयारी कर ली है। कहते हैं कि जब महिला बच्चे को जन्म देती है तो वह इतनी पीड़ा से गुजरती हुई कि एक […] Read more » Featured मां माता मातृ दिवस सुरक्षित मातृत्व स्वास्थ्य की चुनौतियां
विविधा भूले नहीं कि एक मां गंगा भी है May 11, 2015 / May 11, 2015 by अरुण तिवारी | 1 Comment on भूले नहीं कि एक मां गंगा भी है -अरुण तिवारी- लोग कहते हैं कि भारतीय संस्कृति, अप्रतिम है। किंतु क्या इसके वर्तमान को हम अप्रतिम कह सकते हैं ? मां और संतान का रिश्ता, हर पल स्नेह और सुरक्षा के साथ जिया जाने वाला रिश्ता है। क्या आज हम इस रिश्ते को हर पल स्नेह और साझी सुरक्षा के साथ जी रहे हैं […] Read more » Featured गंगा भूले नहीं कि एक मां गंगा भी है मां माता
परिचर्चा विविधा अलहड़ जीवन की सृजन की पाठशाला ! मां की भूमिकाएं May 11, 2015 / May 11, 2015 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment -लक्ष्मी नारायण लहरे- समाज की परिकल्पना करना मां के बगैर अधूरा है । मां समाज की नींव है। शसक्त समाज की कुंजी है ,जो अपने सहजता ,सरलता ,अपनापन ,प्रेम ,स्नेह ,ममता की मीठी अनुभवों को जन्म देती है। मां मात्र एक शब्द नहीं है ,एक अनुभूति है जो परिभाषाओं से परे है । ऐसा एक […] Read more » Featured अलहड़ जीवन की सृजन की पाठशाला ! मां की भूमिकाएं मां माता मातृ दिवस