धर्म-अध्यात्म ईश्वर ने हमें मनुष्य क्यों बनाया? January 22, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं इसलिये कि हमारे पास मनन करने के लिए बुद्धि है। बुद्धि से हम अध्ययन कर सकते हैं और सत्य व असत्य का निर्णय करने में सक्षम हो सकते हैं। मनुष्य अपनी बुद्धि की उन्नति किस प्रकार करते हैं, यह प्रायः हम सभी जानते हैं। मनुष्य का जीवन माता के […] Read more » Featured God humans Why did God make us humans ईश्वर ईश्वर ने मनुष्य क्यों बनाया मनुष्य
विविधा आदमखोरों से मुकाबला कौन करेगा? January 22, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग- देश में एक के बाद एक अग्निकांड हो रहे हैं। एक अग्निकांड मुम्बई के पब में हुआ, जहां पन्द्रह लोगों की जान चली गयी है। और अब उससे भी भयानक अग्निकांड बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्टरी में हो गया, जिसने 10 महिलाओं समेत 17 लोगों की जान ले ली। […] Read more » agnikand in delhi Featured Who will fight with man-eaters अग्निकांड अनापत्ति प्रमाणपत्र दिल्ली फायर ब्रिगेड
कविता साहित्य ऋतुराज बसन्त January 22, 2018 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on ऋतुराज बसन्त सखि,बसन्त आ गया । धरती पर छा गया ।। ख़ुशियाँ बरसा गया । सबके मन भा गया ।। सरसों से खेत सजे। सबका मन मोह रहे।। आमों में बौर लदे । कुहू कुहू भली लगे ।। बाग़ों में फूल खिले । भौंरे हैं झूम चले ।। मन्द मन्द पवन चली । मन की कली है […] Read more » Featured ऋतुराज बसन्त
लेख साहित्य ‘बागों में बहार है, कलियों पे निखार है’ January 22, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment बसंत मतलब कवियों और साहित्यकारों के लिए थोक में रचनाएं लिखने का सीजन। बसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने, भौंरे के गुनगुनाने, कामदेव का प्रेमबाण चलाने, खेत में सरसों के चमकने और आम के साथ आम आदमी के बौरा जाने का दिन। बसंत मतलब कवियों व शायरों के लिए सरस्वती पूजन के नाम पर […] Read more » Featured
समाज पाठशालाओं में लिखी जा रही खून की इबारत January 22, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ:- हरियाणा के यमुनानगर में छात्र द्वारा प्राचार्या की हत्या- प्रमोद भार्गव यह सच्चाई कल्पना से परे लगती है कि विद्या के मंदिरों में पढ़ाई जा रही किताबें हिंसा की रक्त रंजित इबारत भी लिखेंगी ? अलबत्ता हैरत में डालने वाली बात यही है कि ये हृदयविदारक घटनाएं एक हकीकत के रूप में सिलसिलेबार सामने […] Read more » Featured Principal of Vivekananda School Principal of Vivekananda School in Yamunagar principal shot dead by a class 12th student Ritu Chabra Yamunagar गुरूग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल छात्र प्रद्युम्न की हत्या छात्र शिवांश प्राचार्या रितु छावड़ा की हत्या स्वामी विवेकानंद विद्यालय
जन-जागरण विधि-कानून विविधा बौनी बगावत! January 21, 2018 by शिव शरण त्रिपाठी | Leave a Comment बीता शुक्रवार आजाद न्यायपालिका के ७० साला इतिहास में एक ऐसी बगावत का साक्षी बनने को मजबूर किया गया जिसकी न ही देश को उम्मीद थी और न ही जरूरत। सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश चेलमेश्वर ने न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ शुक्रवार की सुबह अपने […] Read more » Featured जस्ट्सि लोया की मौत न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई न्यायाधीश चेलमेश्वर सर्वोच्च न्यायालय
समाज शिक्षा के मन्दिरों में बच्चे हिंसक क्यों बन रहे हैं? January 21, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग नये भारत के निर्माण की नींव में बैठा इंसान सिर्फ हिंसा की भाषा में सोचता है, उसी भाषा मेें बोलता है और उससे कैसे मानव जाति को नष्ट किया जा सके, इसका अन्वेषण करता है। बदलते परिवेश, बदलते मनुज-मन की वृत्तियों ने उसका यह विश्वास और अधिक मजबूत कर दिया कि हिंसा हमारी […] Read more » children getting violent in schools Featured student stabbed other student students getting suicidal tendency आत्महत्या शिक्षा के मन्दिरों में बच्चे हिंसक स्कूलों में बढ़ रही हिंसा हिंसक बच्चे
मीडिया टीआरपी की ख़बरों का मिडिया’ January 21, 2018 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार जब समाज की तरफ से आवाज आती है कि मीडिया से विश्वास कम हो रहा है या कि मीडिया अविश्वसनीय हो चली है तो सच मानिए ऐसा लगता कि किसी ने नश्चत चुभो दिया है. एक प्रतिबद्ध पत्रकार के नाते मीडिया की विश्वसनीयता पर ऐसे सवाल मुझ जैसे हजारों लोगों को परेशान करते […] Read more » blue whale games choti katwa Featured media TRP टीआरपी टीआरपी की ख़बर मिडिया
वर्त-त्यौहार समाज उत्साह, उल्लास और प्रेरणा का पर्व : वसंत पंचमी January 21, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करती है। यह ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती (शारदा) का जन्मदिवस है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या; वे कवि हों या लेखक, […] Read more » Featured Festival of excitement Festival of glee Festival of inspiration Vasant Panchami उत्साह उल्लास प्रेरणा का पर्व वसंत पंचमी
लेख साहित्य लघुता पाय प्रभुता पाई January 21, 2018 / January 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गोस्वामी तुलसीदासजी ने ‘रामचरित मानस’ में जिस प्रसंग में यह कहा है कि ‘लघुता पाय प्रभुता पाई’-उसका वहां अर्थ है कि विनम्रता से अर्थात लघुता से मनुष्य बड़प्पन प्राप्त कर लेता है, महानता की प्राप्ति करता है। गोस्वामीजी ने जहां भी जैसे भी जो भीकुछ कहा है उसका विशेष और गम्भीर अर्थ है। अब हम अपने वर्तमान पर दृष्टिपात करेंगे। वर्तमान में यह रीति-नीति पूर्णत: परिवर्तित हो चुकी है। आजकल लघुता को या विनम्रता को लोग दूसरे की दीनता समझते हैं। लघुता के स्थान पर हैकड़ी और मुठमर्दी आ गयी है। लोग दूसरों को सम्मानित करके नहींअपमानित करके प्रसन्न होते हैं। यह व्यवस्था का दोष है जो कि इस समय शीर्षासन कर चुकी है। लघुता का एक अर्थ छोटापन भी है जिसे और भी स्पष्टता से समझने के लिए इसे नीचता अथवा कमीनापन भी कहा जा सकता है। आजकल लोगों ने लघुता का अर्थ इसी प्रकार कर लिया है। राजनीति ने लघुता को इसी रूप में अपनाया और चूंकि राजधर्म काअनुकरण जनसाधारण करता है इसलिए यही अर्थ जनसामान्य ने भी अपना लिया है। राजनीति नीचता को पाकर महानता प्राप्ति की प्रयोगशाला सफलतापूर्वक सिद्घ हुई है। वर्तमान राजनीति में यह दोष कहां से आया? इस पर विचार करेंगे तो इतिहास के कुछ पन्ने पलटने पड़ेंगे। आप वहां से पढना आरम्भ कीजिए जहां नेताजी सुभाष को पीछे धकेलकर कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी उनसे कुछ लोगों ने बलात् खाली करायी थी। वहनीचता थी, देश के लोगों के साथ ही नहीं अपितु कांग्रेसजनों के साथ भी धोखा था, उनकी भावनाओं की हत्या थी क्योंकि नेताजी को सभी लोगों ने अपनाया अध्यक्ष बनाया था। कहना न होगा कि जिन लोगों ने उस समय लघुता का प्रदर्शन किया वही आगेचलकर प्रभुता पा गये। यही सरदार पटेल के साथ किया गया। उन्हें पीछे धकेलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पंडित नेहरू को दे दी गयी। चाटुकारों ने लघुता (विनम्रता) को अपमानित कर लघुता (नीचता) को सम्मानित करने का फतवा इतिहास को सुना दिया औरतब से हम इसी ‘लघुता’ पर पुष्प चढ़ाते आ रहे हैं। उसके पश्चात देश की राजनीति का संस्कार ही हो गया कि अपने प्रतियोगी को रास्ते से हटाओ और प्रभुता पाओ। रास्ते से हटाने की प्रतियोगिता में जो आगे निकल जाए यहां वही ‘मुकद्दर का सिकंदर’ कहलाता है। यह अच्छी बात रही कि सरदार पटेल कोरास्ते से हटाने के लिए उनकी हत्या तो नहीं की गयी पर बाद में यह रास्ते से हटाने की प्रक्रिया हत्या तक पहुंच गयी। कितने ही लोगों को हत्या करके रास्ते से हटाया गया। हटाया जा रहा है। राजनीति इस समय खून से नहा रही है। यह अपना प्रातराश (नाश्ता) भी खून से करती है और दिन भर चाय पानी के स्थान पर भी खून पीती रहती है। हर सफेदपोश की चादर पर खून के धब्बे हैं। गुस्ताख होके अर्ज किया है कि माफ हो। हमने तो एक दिल भी न देखा कि जो साफ हो।। जब मैं किसी राजनीतिज्ञ के भव्य भवन को देखता हूं तो यही सोचा करता हूं कि इस भवन की हर एक ईंट अपराध की ईंट और खून के गारे से चिनी गयी है। इसकी नींव में भी खून है और इसके कंंगूरों पर भी खून के छींटे हैं। यह खेल आजकल देश कीराजधानी से चलकर प्रदेशों की राजधानियों से होते हुए गांव के गली मौहल्लों तक पहुंच गया है। अपराध की एक नई खूनी क्रान्ति को देश देख रहा है और मौन साधकर देख रहा है। व्यवस्था को शीर्षासन करा देना ‘प्रतिगामी क्रान्ति’ होती है और यह ‘प्रतिगामीक्रान्ति’ की रक्तिम भाव भंगिमा का ही परिणाम है कि गांव में ग्राम प्रधान के पद के प्रत्याशियों में भी रक्तिम संघर्ष छिड़ा हुआ है। वहां भी ‘लघुता पाय प्रभुता पाई’ की चौपाई वर्तमान सन्दर्भों में अपना प्रभाव दिखा रही है। लोग एक दूसरे को रास्ते से हटा रहे हैं।राजनीति ने अपने पापों को छिपाने के लिए इस ‘प्रतिगामी रक्तिम क्रान्ति’ को गम्भीरता से न लेकर ‘राजनीतिक रंजिश’ कहना आरम्भ किया है। यह शब्द हल्का है जो हमें लघुता अर्थात राजनीतिक नीचता को नीचता न कहने के लिए प्रेरित करता है। हम इसे‘ऐसा तो होता है’-यह कहकर क्षमा कर देते हैं, हमारी इसी असावधानता ने देश को दुर्दशा ग्रस्त कर दिया है। मानव हत्या तो मानव हत्या है। उसे राजनीतिक हत्या कहकर क्षमा करना तो पूरी मानवता के साथ छल करना है। हर कुर्सी में खून है और खून के दाग। हिंसा इसका धर्म है फर्ज बना है आग।। हमने अपने लोकतंत्र के मंदिर में अनेकों अपूजनीयों का पूजन करना आरम्भ कर दिया है। यह पूजन भी बड़ी संख्या में हो रहा है देश के छह लाख गांवों में लोकतंत्र का दीपक जल रहा है। हर गांव में लोकतंत्र का मंदिर है और हमने वहीं से लोक देवता कोखून से नहलाना आरम्भ कर दिया है। वहीं से देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर अर्थात संसद तक आते-आते राजनीतिक लोग खून से या अपराध से लथपथ हो जाते हैं और फिर प्रभुता पाकर राज करते हैं अर्थात लोकतंत्र के मंदिर में पूजे जाते हैं। अपवादोंका हम वंदन करते हैं। अभिनंदन करते हैं और उन्हें नमन करते हैं। परन्तु कुल मिलाकर जो चित्र देश की राजनीति का बन चुका है वह तो अत्यंत डरावना है। जिस देश का लोकदेवता उसका जनलोकपाल होता था, आज उसको हर स्थान पर खून से नहलायाजा रहा है और देश की चेतना को मौन साधकर सब कुछ सहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह कब तक चलेगा? आज की युवा पीढ़ी को जागना होगा। इस देश की अन्तश्चेतना को उसे समझना होगा। क्योंकि इस देश की अन्तश्चेतना कभी मरी नहीं। इसने अन्याय और अत्याचार की चुनौती को सदा चुनौती दी है। इसके धर्म ने पापाचारी राजनीति से सदा लडऩा सिखाया है। यदि ऐसा न होता तो कृष्ण कंस को नहीं मारते और राम रावण को नहीं मारते। कृष्ण ने कंस को और राम ने रावण को इसीलिए मारा कि राजनीति पवित्र हो जाए, अपना धर्म पहचान ले और सही रास्ते पर आ जाए। उन्होंने रास्ते से उन्हें हटाया जो जनसामान्यका रास्ता रोके खड़े थे। यही भारत का धर्म है। लोकतंत्र के पावन मंदिरों पर बलात् कब्जा करने वाले कंस आज जनसाधारण से पूजा का अधिकार छीन चुके हैं अर्थात उनके मताधिकार को भी छीन चुके हैं। मत को हत्या के आतंक से, लाठी से, बंदूक से, पैसेसे या हैकड़ी से खरीदा जा सकता है या प्रभावित किया जाता है, झूठे और भ्रामक घोषणा पत्रों के माध्यम से प्रभावित किया जाता है। जनसाधारण में से यदि कोई ऐसा करता है तो वह चार सौ बीसी में फंसाया जाता है। पर राजनीतिज्ञों को चार सौ बीसी की भीछूट है। वह झूठे घोषणा पत्र जारी कर पूरे देश को ठग सकते हैं, चारा खा सकते हैं, सीमेंट खा सकते हैं, कोयला खा सकते हैं और फिर भी सफेद पोश रहते हैं। देश के बुद्घिजीवियों! जागो तुम्हारे रहते देश में डाका पड़ रहा है। सांस्कृतिक मूल्यों का अर्थ परिवर्तन हो रहा है। लघुता (विनम्रता) का दूसरी लघुता (नीचता) में रूपान्तरण हो रहा है और आप मौन हैं, ये पदमश्री ये दूसरे ऐसे ही उपहार सम्भवत: तुम्हारे मुंहपर ताले डालने के लिए तुम्हें थमा दिये गये झुंझने हैं कि तुम इन्हें बजाते रहना और देश को लुटते रहने देना। यदि कहीं स्वाभिमान है तो इन झुंझनों को फेंककर मैदान में आके लघुता (विनम्रता) को लघुता (नीचता) पर वरीयता देकर भारत के सांस्कृतिक मूल्योंकी रक्षा के लिए संघर्ष करो। समर शेष है पाप का भागी नहीं है केवल व्याध। जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।। Read more » Featured लघुता पाय प्रभुता पाई
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-42 January 20, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज भारत की ऐसी ही परम्पराओं में से एक परम्परा यह भी है कि जब किसी व्यक्ति को कोई कष्ट होता है तो दूसरा उसके विषय में यह कहता है कि यह कष्ट मुझे ऐसे ही अनुभव हुआ है जैसे कि मुझे ही हुआ हो। लोग […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-41 January 20, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज अब पुन: हम उस आनन्द के विषय में ‘ब्रह्मानन्दवल्ली’ (तैत्तिरीय-उपनिषद) का उल्लेख करते हैं। जिसका ऋषि कहता है कि यदि कोई बलवान युवावस्था को प्राप्त वेदादि शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता सम्पूर्ण पृथ्वी का राजा होकर राज भोगे तो उसे उस राज से जो आनन्द प्राप्त […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज