साहित्य कहो कौन्तेय-२६ September 14, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (कपटद्यूत की पृष्ठभूमि) कार्य पूर्ण होने के पश्चात अग्निदेव पुनः ब्राह्मण के वेश में प्रकट हुए। देवराज इन्द्र भी देवताओं के साथ प्रकट हुए। हमारे पुरुषार्थ और पराक्रम से प्रसन्न हो, उन्होंने वर मांगने का आग्रह किया। मैंने उनके और अन्य देवताओं के दिव्य अस्त्र पाने का वर मांगा। उन्होंने उचित समय […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-२६
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२५ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) September 12, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (खाण्डववन-दाह) विपिन किशोर सिन्हा खाण्डववन दाह! संरक्षक देवराज इन्द्र की सत्ता को सीधे चुनौती देने का यह कार्य था। स्वीकार करना सरल था, पूरा करना अत्यन्त कठिन। इन्द्र के वज्र का प्रत्युत्तर मेरे पास नहीं था। श्रीकृष्ण कुछ कर सकते थे। उन्होंने गोकुल में गोवर्धन पर्वत को तर्जनी पर धारण कर इन्द्र का दर्प चूर्ण […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय खाण्डववन-दाह
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२४ (महाभारत पर आधारित अपन्यास) September 4, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (सुभद्रा के साथ अर्जुन का इन्द्रप्रस्थ में पुनरागमन) विपिन किशोर सिन्हा बलराम हतप्रभ रह गए। वे इस प्रस्ताव के लिए प्रस्तुत न थे। राजक्रोध पर नियंत्रण नहीं करते तो सुभद्रा के साथ कृष्ण से भी हाथ धोना पड़ता। शीघ्र ही निर्णय लिया गया – सुभद्रा सहित मुझे द्वारिका ससम्मान लौटा लिवाने का। योजनानुसार मैं रथ […] Read more » Kaho Kauntey अर्जुन कहो कौन्तेय सुभद्रा
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय (महाभारत पर आधारित उपन्यास) September 3, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (सुभद्रा-हरण) विपिन किशोर सिन्हा मेरे वनवास का अन्तिम चरण प्रारंभ हो चुका था। मैं हृदय से चाहता था कि यह चरण समाप्त ही न हो। इतने लंबे समय तक श्रीकृष्ण का सत्संग! मैं अभिभूत था। मैं भूल गया था कि मुझे इन्द्रप्रस्थ वापस भी लौटना है। श्रीकृष्ण मेरे ज्ञानवर्द्धन और मनोरंजन की ऐसी व्यवस्था करते […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय सुभद्रा-हरण
प्रवक्ता न्यूज़ कहो कौन्तेय-२१ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 28, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (पाण्डवों का हस्तिनापुर में प्रत्यागमन) विपिन किशोर सिन्हा हस्तिनापुर नगर के प्रवेश द्वार पर आचार्य द्रोण और कृपाचार्य हमलोगों के स्वागत के लिए स्वयं उपस्थित थे। उनके पीछे दुर्योधन, दुशासन, विकर्ण, चित्रसेन इत्यादि समस्त कौरव भी मुस्कुराते हुए, हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। मुझे आश्चर्यमिश्रित हर्ष हुआ। दोनो गुरुवर के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-२० August 26, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (पाण्डवों का हस्तिनापुर में प्रत्यागमन) कांपिल्यनगर में कृष्णा का स्वयंवर समारोह समाप्त हो गया, विवाह समारोह भी संपन्न हो चुका था किन्तु श्रीकृष्ण द्वारिका जाने का नाम नहीं ले रहे थे। वे हमारे सान्निध्य में एक लंबी अवधि तक महाराज द्रुपद के राजकीय अतिथि के रूप में कांपिल्यनगर में रहे। मेरे जीवन […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-१९ August 25, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (द्रौपदी स्वयंवर के उपरान्त हस्तिनापुर की राजसभा) मंत्रणा-समिति की सलाह दुर्योधन और कर्ण को सह्य नहीं थी। किन्तु सब मौन थे। निर्णय का अधिकार धृतराष्ट्र का था। निर्णय के पूर्व ही कर्ण बोल पड़ा – “महाराज! भीष्म और द्रोणाचार्य को आपने सदैव धन और सम्मान प्रदान किया है। यही नहीं, उन्हें अपना […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१८ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 25, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (पाण्डवों के विवाहोपरान्त हस्तिनापुर की राजसभा) विपिन किशोर सिन्हा पिछला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें द्रौपदी से हमारे विवाह का समाचार हस्तिनापुर में सबसे पहले महात्मा विदुर को प्राप्त हुआ। विश्वस्त गुप्तचरों के माध्यम से हमारा संपर्क उनसे निरन्तर बना हुआ था। उन्होंने पितामह भीष्म और महाराज धृतराष्ट्र को हमारे जीवित बच जाने […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१७ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 23, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on कहो कौन्तेय-१७ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) (द्रौपदी-विवाह) विपिन किशोर सिन्हा स्मृति पटल पर साकार हो उठती है – द्रौपदी से मिलन की प्रथम रात्रि – जैसे स्वर्ग शयन-कक्ष में सिमट आया हो। भार्यारूप में पांचाली कृष्णा, मेरे विजयगान की तरंगिणी, मेरे भाग्यसूर्य की प्रथम नवकिरण ने मेरे मरुभूमि सम जीवन शैली में सावन की रिमझिम की भांति प्रवेश किया। शयनागार को […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-१७
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१५ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 22, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा पिछला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें “ये हैं मेरे मित्र अंगराज कर्ण।” दुर्योधन का अहंमन्य उत्तर सभामण्डप में गूंजा। द्रौपदी ने त्रियक दृष्टि से श्रीकृष्ण की ओर दृष्टिपात किया। उन्होंने सहज स्मित बिखेरते हुए आंखों ही आंखों में द्रौपदी से ठीक वैसे ही बात की जैसे धनुष के समीप पहुंचकर, […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-१५
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१४ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 19, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा पिछला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें हम स्वयंवर में आमंत्रित तो नहीं थे, लेकिन ब्राह्मणों के छद्मवेश में वहां पहुंच ही गए। स्वयंवर के लिए नगर से ईशानकोण में रंगमण्डप का निर्माण कराया गया था। आंखें चौंधिया रही थीं, उसकी भव्यता निरखकर। सुना था पांचाली को श्वेत रंग बहुत भाता […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१३ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 18, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on कहो कौन्तेय-१३ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) विपिन किशोर सिन्हा हम लाक्षागृह पहुंचे। नए राजभवन का नाम “शिवभवन” था। बाहर और अंदर से अत्यन्त भव्य इस महल का निरीक्षण हमने अत्यन्त सूक्ष्मता से किया। महात्मा विदुर द्वारा भेजे गए कुशल शिल्पियों के अनवरत श्रम द्वारा, गुप्त रूप से शिवभवन से गंगा किनारे तक धरती के भीतर एक सुरंग का निर्माण कराया गया। […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय