कविता
आधे-अधूरे हम
/ by डा.सतीश कुमार
एक वे हैं जो केवल , अधिकारों की हमेशा करते हैं मांग। अधिकारों के शोर में, भूल जाते है कर्तव्यों को । एक वे हैं, जिनका कर्तव्य पर ही , सदैव रहता ध्यान। अधिकार तो मिल ही जाएंगे, यदि हम, मनसा-वाचा-कर्मणा, अपने कर्तव्य को निभाएंगे। किसी के लेने -देने से, कुछ नहीं मिलता कभी। अगर […]
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