द्विराष्ट्रवाद के जनक सावरकर नहीं सर सैयद अहमद खान थे
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया तो कुछ बरसाती मेंढक बाहर आकर टर्राने…
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हो गया तो कुछ बरसाती मेंढक बाहर आकर टर्राने…
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणापत्र में बीजेपी ने वीर सावरकर को भारत रत्न…
भारत को अजेय शक्ति बनाने के लिए “हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है और राष्ट्रीयत्व ही हिंदुत्व…
कांग्रेस के नेतृत्व की इन भूलों पर सावरकर बहुत खिन्न थे। वह ये नही समझा पा रहे थे कि जब चीन जैसे देश अणुबम बनाने की बात कर रहे हैं, तो उस समय भारत ‘अणुबम नही बनाएंगे’ की रट क्यों लगा रहा है? क्या इस विशाल देश को अपनी सुरक्षा की कोई आवश्यकता नही है? वह नही चाहते थे कि इतने बड़े देश की सीमाओं को और इसके महान नागरिकों को रामभरोसे छोड़कर चला जाए। इसलिए उन्होंने ऐसे नेताओं को और उनकी नीतियों को लताड़ा जो देश के भविष्य की चिंता छोड़ ख्याली पुलाव पका रहे थे।