Tag: ऋषि दयानन्द

धर्म-अध्यात्म

“विद्यायुक्त सत्य वैदिक धर्म की उन्नति में बाधायें”

/ | Leave a Comment

–मनमोहन कुमार आर्य,  वैदिक धर्म संसार का सबसे प्राचीनतम एवं ज्ञान विज्ञान से युक्त प्राणी मात्र का हितकारी धर्म है। यही एक मात्र धर्म है जो मनुष्यों को श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने की प्रेरणा करता है। वैदिक धर्म से इतर हिन्दू, जैन, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम आदि मत-मतान्तर हैं। धर्म श्रेष्ठ गुण–कर्म–स्वभाव […]

Read more »

धर्म-अध्यात्म

“चलो, स्वाध्याय करें”

/ | Leave a Comment

मनमोहन कुमार आर्य,  हमारा जहां तक ज्ञान है उसके अनुसार संसार में केवल वैदिक मत ही एकमात्र ऐसा धर्म वा मत है जहां प्रत्येक मनुष्य को वेद आदि सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय को नित्य कर्तव्य कर्मों से जोड़ा गया है। वैदिक काल में प्रमुख ग्रन्थ ‘चार वेद’ थे और आज भी संसार के साहित्य में चार […]

Read more »

धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है, क्यों व कैसे?”

/ | Leave a Comment

  मनमोहन कुमार आर्य,  हम पृथिवी पर रहते हैं जिसका एक चन्द्रमा है और सुदूर एक सूर्य है जिससे हमें प्रकाश व गर्मी मिलती है। विज्ञान से सिद्ध हो चुका है कि सूर्य अपनी धूरी पर गति करता है और अन्य सभी ग्रह व उपग्रहों को भी गति देता है। पृथिवी अपनी धूरी पर घूमती […]

Read more »

धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये”

/ | Leave a Comment

–मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […]

Read more »

धर्म-अध्यात्म

“गुरुकुल पौंधा जाकर वहां आचार्यादि मित्रों से शिष्टाचार भेंट”

/ | Leave a Comment

  –मनमोहन कुमार आर्य,  गुरुकुल पौंधा-देहरादून हमारे निवास से 15 किमी. की दूरी पर है। जब भी मन होता है हम महीने में एक या दो बार वहां जाकर गुरुकुल देखने सहित सभी आचार्यगणों से मिल आते हैं। आज भी हम वहां गये। गुरुकुल में हमें आचार्य चन्द्रभूषण शास्त्री, श्री शिवदेव आर्य तथा आचार्य श्री […]

Read more »