आस्तीन के सांपों की जहरीली फुंकार

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-प्रवीण दुबे-

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शर्मनाक, अफसोस, दुखदायी, चिन्ताकारक! आखिर किसी देश के लिए इससे घृणित कृत्य क्या हो सकता है? उसी की धरती पर, खुलेआम एक ऐसे देश के समर्थन में नारे बुलंद किए जाएं जिसने विगत 67 वर्षों में भारत के साथ न केवल तीन जंग लड़ी हों बल्कि आज भी भारत माता के आंचल को लहूलुहान करने का लगातार षड्यंत्र रच रहा हो। हाथों में दुश्मन देश का झंडा थाम उसके पक्ष में ‘मेरी जान पाकिस्तान का नारा बुलंद करने वाले ने इस देश के सामने बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत सरकार, कश्मीर की भाजपा-पीडीपी सरकार या कोई अन्य भले ही मसरत आलम को अलगाववादी कहे लेकिन इस तरह की हरकत करने वाले को उस सपोले की संज्ञा दी जाना चाहिए जो आस्तीन के सांप की तरह छुपा बैठा है और मौका मिलते ही भारत माता को डसने से नहीं चूकता। इस देशद्रोही, राष्ट्रहंता मसरत के साथ अब क्या व्यवहार किया जाए? इसे तय करने में ज्यादा देर नहीं होना चाहिए। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न तो यह है कि इतना बड़ा संगीन राष्ट्रविरोधी कृत्य करने वाले को देश विरोधी व्यवहार के अन्तर्गत तुरंत गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? इस घटनाक्रम के बाद सबसे महत्वपूर्ण सवाल तो यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या कश्मीर के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब वहां खुलेआम भारत विरोधी नारे वह भी मीडिया के सामने लगाए जा रहे हैं। वहां पाकिस्तान का झंडा लहराया जा रहा है। वहां भारत के खिलाफ निरंतर जहर उगलने वाले मुम्बई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के कसीदे पढ़े जा रहे हैं। कैसी शर्मनाक बात है कि  आतंकवादी पहले श्रीनगर में भारत विरोधी रैली करते हैं और तुरंत बाद इस राष्ट्रविरोधी कृत्य को अंजाम देने वाला शख्स देश के तमाम खबरिया चैनलों के सामने खुलेआम अपना साक्षात्कार देता है और यह कहता है कि उसने कोई अपराधी, राष्ट्रविरोधी कृत्य नहीं किया बल्कि उसने तो वही किया जो कश्मीर की जनता चाहती है। वास्तव में यह सरासर झूठ है। कश्मीर में हजारों नहीं लाखों देशभक्त भी मौजूद हैं जो कभी नहीं चाहते कि कश्मीर भारत से अलग हो। या तो मसरत जैसे कुछ गिने-चुने पाकिस्तानी पिट्ठू हैं जो कश्मीर को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे पाकिस्तानी पिट्ठूओं को यही सलाह है कि उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं, ऐसी जनता को इस देश का अन्न खाने और इस देश की खुली हवा में सांस लेने का कोई अधिकार नहीं। आखिर ऐसे लोग भारत माता के सीने पर नस्तर बनकर क्यों चुभ रहे हैं? क्यों नहीं जाते अपनी जान पाकिस्तान में। जो लोग मेरी जान पाकिस्तान के नारे बुलंद कर रहे हैं ऐसे आस्तीन के सांपों को वह दिन याद है जब जम्मू-कश्मीर को बाढ़ के पानी ने तबाह कर दिया था। उस समय कहां चली गई थी इनकी जान पाकिस्तान। उस समय गले-गले तक पानी में डूब चुके इन सपोलों को भारत की सेना ने ही अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया था। आज भी अगर भारत में  यह लोग जिंदा हैं तो सिर्फ भारत और भारत सरकार के रहमो-करम पर, करोड़ों रुपए की मदद भारत सरकार कश्मीर को सिर्फ इस कारण देती है कि वह इन्हें भटके हुए लोग मानती है। इन पर सेना इस कारण बंदूकें नहीं चलाती क्योंकि उसे लगता है कि शायद यह सुधर जाएं। लेकिन भारत सरकार की इस दया को मसरत जैसे देशद्रोही मजबूरी मानकर लगातार पाकिस्तान के पक्ष में न केवल नारेबाजी करते हैं बल्कि भारत को अस्थिर और कमजोर करने की पाकिस्तानी साजिश में अपना हाथ बंटाते रहे हैं। बुधवार के घटनाक्रम के बाद अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि न तो पाकिस्तान सुधरने वाला है, न हाफिज सईद सुधरने वाला है अब समय आ गया है कि इस तरह का जघन्य राष्ट्रघाती कृत्य करने के खिलाफ निर्णायक जंग का श्री गणेश किया जाए। जहां तक कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद शहीद की बात हैं उन्होंने इस घटना के बाद यह कहा है कि अब तो हद हो गई। तो इस टिप्पणी पर हम यह कहना चाहेंगे। हद तो उस समय ही हो गई थी जब जेल में बंद मसरत को रिहा करने का निर्णय आपने लिया था। उसी समय यह सवाल उठा था कि आतंकी मसरत अब घाटी का माहौल खराब करेगा। वही सब कुछ सामने भी आ रहा है। अच्छा तो यह है कि मुफ्ती बयानबाजी बंद करें और मसरत को पुन: जेल में डालें।

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