
हक़ीक़त और सियासत के मध्य मंहगाई का समाधान
Updated: December 18, 2011
तनवीर जा़फरी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में मंहगाई का बढऩा एक सामान्य व साधारण प्रक्रिया है। महंगाई पूरे विश्व में हमेशा से ही बढ़ती…
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भ्रष्टाचार पर उपदेश देती महाभ्रष्टों की टोली
Updated: December 18, 2011
निर्मल रानी भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार ऐसी शर्मनाक घटना घटी कि संसद का सत्रह दिवसीय पूरा का पूरा शीतकालीन सत्र शोर-शराबे व…
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”वर्णसंकर हिन्दु ही नकार सकता है राम का अस्तित्व”
Updated: December 18, 2011
सनातन धर्म हिन्दु समाज के रग-रग में बसे भगवान राम के बारे में शायद ही कोई अभागा व्यक्ति होगा जो नही जानता होगा कि भगवान…
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विनायक सेन, माओवाद और बेचारा जनतंत्र
Updated: December 18, 2011
-संजय द्विवेदी डा. विनायक सेन- एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, पढ़ाई से डाक्टर हैं, प्रख्यात श्रमिक नेता स्व.शंकरगुहा नियोगी के साथ मिलकर मजदूरों के बीच काम…
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हिंदी-संस्कृत-अंग्रेज़ी स्रोत -पहला भाग
Updated: December 18, 2011
डॉ. मधुसूदन (१) कुछ नितान्त सरल सहज समझ में आए ऐसे शब्दों का चयन करते हुए, हिंदी (संस्कृत भी) और अंग्रेज़ी का कुछ अनुसंधान करने…
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धार्मिक प्रसारण की साम्प्रदायिक रंगतें
Updated: December 18, 2011
जगदीश्वर चतुर्वेदी धर्म को जनमाध्यमों के जरिए प्रक्षेपित करने के साथ ही, धर्म अब निजी मसला नहीं रह जाता। यह अंधलोकवाद का अंग बनकर लोकवादी…
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साइबर वर्ल्ड वार
Updated: December 18, 2011
ना गोली चलेगी, ना बहेगा खून, फिर भी लड़ेगी दुनिया चण्डीदत्त शुक्ल अब नाम तो याद नहीं है, शायद शंकर दादा था उस पुरानी फ़िल्म…
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देश के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं सर्वमान्य नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी (87 वें जन्म दिन पर विशेष)
Updated: December 18, 2011
अशोक बजाज देश और दुनिया की राजनीतिक क्षितिज पर ध्रुव तारे की तरह अटल एक सितारा कोई है तो वह है हमारे अपने तथा देश…
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आस्था तत्व के बिना तो साहित्य रचना ही असंभव है
Updated: December 18, 2011
डॉं. मनोज जैन सारांश : भारतीय दर्शन में परमात्मा को समस्त क्लेशों की शान्ति का उपाय स्वीकार किया है, और आस्था तत्व से ऐसा ही…
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माननीय सभासदों-कृपया संसद तो चलने दीजिए….
Updated: December 18, 2011
श्रीराम तिवारी संसद का शीत कालीन अधिवेशन तथाकथित -२ जी स्पेक्ट्रम काण्ड की भेंट चढ़ गया. विपक्ष अर्थात भाजपा और तीसरे मोर्चे (वामपंथ भी) का,…
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और कितने घोटाले…?
Updated: December 18, 2011
रामबिहारी सिंह वर्तमान में देश जिस दौर से गुजर रहा है वह समय किसी भी मुल्क के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। एक ओर…
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पैसे की भाषा
Updated: December 18, 2011
विजय कुमार इन दिनों शादी-विवाह का मौसम है। जिधर देखो उधर ‘आज मेरे यार की शादी है’ की धुन पर नाचते लोग मिल जाते हैं।…
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