पर्यावरण लेख प्रकृति ओर पर्यावरण के सुरक्षा कवच वृक्षों को बचाए रखें March 4, 2025 / March 4, 2025 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव आज हमें प्रकृति की आवश्यकता है, प्रकृति का सुरक्षा कवच वनक्षेत्र है, वनों की पहचान वहाँ उगने वाले वृक्षों से है ओर यही वृक्ष हमारे पर्यावरण के लिए हमे जीवांदायिनी वायु प्रदान कर हमारी सुरक्षा के कवच बने हुये है। हम परंपरागत होली का पर्व मनाने के लिए हर साल लाखों वृक्षों का विनाश […] Read more » प्रकृति ओर पर्यावरण
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति तथा इतिहास February 27, 2025 / February 27, 2025 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव पृथिव्यां कुम्भयोगस्य चतुर्धा भेट उच्यते। चतुस्थले च पतनात् सुधाकुम्मस्य भूतले ।। विष्णुद्वारे तीर्थराजेऽपन्त्यां गोदावरी तटे। सुधाबिन्दुविनिक्षेपात् कुम्मपर्वेति विश्रुतम्।।” अर्थात अमृतकुम्भ के छलकने पर पृथ्वीतल में चार स्थानों-हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन तथा गोदावरी तट अर्थात् नासिक में अमृतकण गिरने से कुंभपर्व शुरू हुआ। दूसरे श्लीक में प्रयाग में होने वाले कुम्भपर्व की ग्रहस्थिति और महिमा के बारे में उद्धृत किया हैं- मकरे च दिवाकरे यूपगे […] Read more » प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति
शख्सियत समाज साक्षात्कार सहकारिता को समर्पित युगपुरुष लीलाधर पंडित February 26, 2025 / February 26, 2025 | Leave a Comment मध्यप्रदेश अपेक्स बैंक के रिटायर्ड केडर आफिसर ओर सहकारिता विशेषज्ञ लीलाधर पंडित जो एल डी पंडित के नाम से पहचाने जाते है से विगत 30 वर्षों से संपर्क में हूँ। सहकारी साख एवं बैंकिंग के क्षेत्र में उन्होंने काम करते 60 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत किया है ओर उनकी पूरी सेवाकाल एक निष्ठावान […] Read more »
कविता नर्मदा जल को देते उतरनों की वसीयत February 14, 2025 / February 14, 2025 | Leave a Comment माँ नर्मदा तू पतित पावनी है, तेरा शीतल जल देता है पाप से छुटकारा तेरे दर पर बिन बुलाये चले आते है, स्नान करने नर-नारी ही नहीं भूत पिशाच भी वे अपने सिर का पाप तुझे अर्पण करते है। किसी के अन्दर होता है मलबा किसी के अन्दर चाहे-अनचाहे कुकर्मबोध तो कुछों के मन में […] Read more » नर्मदा जल को देते उतरनों की वसीयत
कला-संस्कृति तीर्थशिरोमणि प्रयागराज का पौराणिक इतिहास February 11, 2025 / February 11, 2025 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन है ओर इन संस्कृतियों का प्रमुख केंद्र स्थान प्रयाग है जो तीरथों का राजा माना जाता है तथा प्रयागराज तीर्थशिरोमणि के गौरव से अपनी पहचान बनाए हुये है। हमारे पुराणों में तीर्थराज प्रयाग को जितना महिमा मंडित किया है उतना ही […] Read more »
कविता मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना ! January 31, 2025 / January 31, 2025 | Leave a Comment मुझे याद आता है अपना बचपन सुहानानानी की कथडी वो बिस्तर पुराना।नांद में नहाना, कुए से पानी लानादूध छिरिया का पीना मस्ती में जीनावो लालटेन,चिमनी, वो चूल्हे का जमाना।।1।।मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना ; ; ; ; ; नर्मदा पार ननिहाल जाना, आम-महुआ के नीचे समय बितानानाव का सफर बड़ा सुहाना, उफनती नर्मदा […] Read more » मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना !
कला-संस्कृति पांडव देवों के अंशावतार होने से प्रकृतिसिद्ध थे January 27, 2025 / January 27, 2025 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव सत्य स्वयं प्रतिष्ठित होता है ओर सब कुछ सत्य का आधार पाकर प्रतिष्ठित होता है। आज विश्व में प्रतिष्ठित होने वाला यह मनुष्य दुखी क्यों है? चारों युगों में सुख दुख असमान रूप से प्रतिष्ठित रहा है जिसमें अगर द्वापरयुग का प्रकरण लिया जाए तो यह सभी के लिए प्रासंगिक होगा। […] Read more »
लेख औरंगजेब ने 3 लाख सैनिको सहित किया था मथुरा पर हमला -20 हजार किसानों ने 4 दिनों तक लड़ा युद्ध हजारो महिलाए जौहर की आग में खाक हुई January 27, 2025 / January 27, 2025 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार भारत के इतिहास में ऐसे-ऐसे योद्धा हुए हैं, जिनकी वीरता पूरे देश के लिए आदर्श एवं प्रेरणादायी रही है किन्तु यह हमारा दुर्भाग्य ही कि उन वीर सपूतों के बलिदान ओर देश के लिए अपना सर्वस्य लुटा देने के बाद भी वे आज गुमनामी के अंधेरे में है। हमारी शिक्षा […] Read more » Aurangzeb attacked Mathura with 3 lakh soldiers - 20 thousand farmers fought for 4 days thousands of women were burnt to ashes in the fire of Jauhar. गोकुलसिंह जाट
धर्म-अध्यात्म ईश्वर’ शब्द के शासक से शिव होने की यात्रा ! January 23, 2025 / January 23, 2025 | Leave a Comment ‘ आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार ईश्वर सत्य है सत्य ही शिव है शिव ही सुंदर है? ईश्वर सत्य है, अपने इस विचार को महात्मा गांधी ने वर्ष 1929 में पलटकर सत्य ही ईश्वर है, करते हुये तर्क दिया कि […] Read more » ईश्वर' शब्द के शासक से शिव होने की यात्रा !
धर्म-अध्यात्म कर्मफल भोगे बिना जीव को छुटकारा नहीं । November 4, 2024 / November 4, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव महाकवि कालिदासकृत के द्वारा रचित ’’कुमारसंभव’’ के पॉचवे सर्ग में भगवान शंकर की प्राप्ति के लिये पार्वती जी हिमालय पर तप कर रही है, तब शंकर जी उनके निश्चय की परीक्षा करने के लिये एक ब्रम्हचारी के वेश में आकर कुशल क्षेम पूछने के बाद कहते […] Read more » there is no salvation for the living being. Without suffering the consequences of karma
धर्म-अध्यात्म लेख विश्वरूप धरती ओर मिट्टी के दीये October 21, 2024 / October 21, 2024 | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव मिट्टी तो मिट्टी है, हमें इसी तात्विक ज्ञान का परिचय है लेकिन परमात्म विषयक चिंतन की मान्यता है कि मिट्टी के कण-कण में परमतत्व प्राण व्याप्त है। मिट्टी जो पृथ्वी तत्व है ओर पृथ्वी में स्थित सर्वन्त्यामी है। पृथ्वी अखिल विश्व की सृष्टि को धारण करती है अर्थात अपने वक्षस्थल […] Read more » मिट्टी के दीये
व्यंग्य पंच में परमेश्वर की आत्मा कहीं खो गई ? May 22, 2024 / May 22, 2024 | Leave a Comment भारत की आत्मा गांवों में बसी है इसलिए देश के सभी गांवों में सर्वसमाज पृथक या सार्वजनिक रूप से अपने यहां के सभी प्रकार के विवादों को पंच परमेश्वर की न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास कर पंचायत के द्वारा दिये गए निर्णय को स्वीकार कर पंच परमेश्वर की जयकारा के नारे लगाता था, पर यह व्यवस्था अनेक […] Read more » Is the Spirit of God lost somewhere in Punch पंच में परमेश्वर की आत्मा