लाल चौक पर राष्ट्र-ध्वजा हम, जा करके फहराएंगे….
गिरीश पंकज किसी भी राष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक है उसका ध्वज, उसकी भाषा, उसका
गिरीश पंकज किसी भी राष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक है उसका ध्वज, उसकी भाषा, उसका
गिरीश पंकज नक्सलियों के समर्थन के आरोप में डॉ. विनायक सेन और अन्य लोगों को
गिरीश पंकज गाय के सवाल पर मैं निरंतर कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ. यह
-गिरीश पंकज हम अपने मित्र लतखोरीलाल के घर पहुँचे। देखा तो वे सामान्य ज्ञान की
पुलिस विभाग की कुछ महान आत्माओं का अपना एक गीत है—”इस वर्दी में बड़े-बड़े गुण”.
जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा दैत्य हुंकारें अगर तो देव को
दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने जा रहे है. खेल के पहले भ्रष्टाचार के तरह-तरह के
-गिरीश पंकज साहित्य में इन दिनों ” छिनालवाद” का सहसा नव-उदय हुआ है. इसके आविष्कर्ता
-गिरीश पंकज सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की कुछ कविताओं को सामने रख कर तथाकथित
-गिरीश पंकज वरिष्ठतम पत्रकार और लेखक रामशंकर अग्निहोत्रीजी का अचानक यूं चला जाना हजारों लोगों
अबला गैया हाय तुम्हारी है यह दुखद कहानी.. गिरीश पंकज आलेख के साथ गीत. यानी
-गिरीश पंकज देश जब गुलाम था, तब महात्मा गाँधी ने विश्वास जताया था कि आजादी