डॉ. मधुसूदन

डॉ. मधुसूदन

लेखक के कुल पोस्ट: 213

मधुसूदनजी तकनीकी (Engineering) में एम.एस. तथा पी.एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त् की है, भारतीय अमेरिकी शोधकर्ता के रूप में मशहूर है,
हिन्दी के प्रखर पुरस्कर्ता: संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती के अभ्यासी, अनेक संस्थाओं से जुडे हुए। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति (अमरिका) आजीवन सदस्य हैं; वर्तमान में अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्‍था UNIVERSITY OF MASSACHUSETTS (युनिवर्सीटी ऑफ मॅसाच्युसेटस, निर्माण अभियांत्रिकी), में प्रोफेसर हैं।

लेखक - डॉ. मधुसूदन - के पोस्ट :

विविधा

२०१७ की  वेदान्त कॉंग्रेस  के अवसर पर प्रश्नोत्तरी (१) 

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डॉ. मधुसूदन प्रवेश: २०१७  की वेदान्त  कॉंग्रेस Vedanta Congress of 2017 -August 10 to 13 २०१७  की वेदान्त  कॉंग्रेस (अगस्त १० से १३ ) मॅसॅच्युसेट्ट्स विश्वविद्यालय डार्टमथ में सम्पन्न हुयी। लेखक ने  *राष्ट्रीय एकता में संस्कृत पारिभाषिक शब्दावली का योगदान* इस विषय पर प्रस्तुति की थी।  पर अलग अलग वैयक्तिक वार्तालाप में  अनेक  हिन्दी से सम्बधित प्रश्न भी […]

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समाज

अमरिका में प्रवासी भारतीय सद्भाव कैसे बढाएँ ?

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आपको बडा योगदान करने की आवश्यकता नहीं है।जहाँ आप रहते हैं, उस आस पडोस के परिवारों को किसी न किसी रूपमें सहायता करने का काम होना चाहिए। यदि, हमारे विषय में भ्रांत धारणा है, कि, हमारे कारण देश में समस्याएँ हैं, तो उसका निर्मूलन यथा संभव हो जाना चाहिए, तो जो छुट पुट हत्त्याओं की घटनाएँ हो रही है; उनकी मात्रा में कमी की संभावना बढ जाएगी। कुछ अज्ञानियों की ईर्ष्या भी ऐसी घटनाओं के पीछे काम करती है।ध्यान अवश्य रहे; बिल्कुल भूले नहीं।अपने हक की लडाई शत्रुता जगाती है। संघर्ष समाधान नहीं है। समन्वयता, सहकार, भाईचारा, ॥कृण्वन्तोऽविश्वमार्यम्‌॥

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विविधा

डॉ. हरि बाबु बिन्दल को प्रवासी भारतीय सम्मान

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आपकी कुल विशेषताओं में, हिन्दी के पक्षधर पुरस्कर्ता और कवि, पर्यावरण विशेषज्ञ अभियंता, हिन्दुत्व के स्वाभिमानी, और हिन्दी कविताओं में छः पंक्तियों के छन्द लिखने में सिद्धहस्त कवि , ऐसी अनेक उपलब्धियाँ और विशेषताएँ गिनाई जा सकती हैं। मेरे लिए , आपका संपर्क और संबंध प्रोत्साहक है। आप की गणना उन मित्रों में है, जिनसे मिलना मुझे सदैव उत्साह और उष्मा अनुभव कराते हैं। और ऐसे भारतीय संस्कृति ्के और हिन्दी के संवाहक मित्रों में डॉ. हरि बिन्दल मेरे लिए अनोखा स्थान भी रखते हैं।

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समाज

स्वस्थ बहस

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एक अनोखा उदाहरण स्मरण हो रहा है; हमारी सत्यान्वेषी परम्परा का। उस के ऐतिहासिक अंशपर संदेह हो ही नहीं सकता। उसके काल के विषय में दो मत हैं; पर ऐतिहासिकता पर संदेह नहीं है। आदि शंकर और मण्डन मिश्र के बीच बहस हुयी थी जो २१ दिन चली थी; जिसे स्वस्थ बहस कहना ही उचित होगा। और अचरज! मिश्रजी की पत्‍नी इस बहस की निर्णेता थीं। जी हाँ; बहस में मण्डन मिश्र की हार और शंकर की जीत का निर्णय देनेवाली निर्णेता मण्डन मिश्र की पत्‍नी उभय भारती थीं।आचार्य शंकर से मण्डन मिश्र काफी बडे भी थे। बडा हारा, छोटा शंकर जीता। और बडे की पत्‍नी थी, निर्णेता?

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विविधा

बर्लिन अकादमी:*आदर्श-भाषा-स्पर्धा-(१७९४)* का इतिहास

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भाषा, उसके प्रयोगकर्ताओं की मानसिकता का दर्पण होता है। उस में, उस भाषा के प्रयोग-कर्ताओं का, बौद्धिक एवं नैतिक सार व्यक्त होता है। संक्षेप में, जंगली भाषाएं स्थूल और रूक्ष, होती हैं; और सभ्य भाषाएँ कोमल, और परिमार्जित होती है। (२)आगे कहता है, *क्षण-विशेष की माँग के अनुरूप अर्थ व्यक्त करने की क्षमता भाषा में होनी चाहिए। * उसी प्रकार *सूक्ष्म भाव एवं विचारों को भी अभिव्यक्त करे ऐसी भाषा ही आदर्श भाषा का पद प्राप्त कर सकती है।* (३) येनिश भाषा के चार गुण गिनाता है।

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