अक्ल बड़ी या भैंस
प्रभुदयाल श्रीवास्तव अक्ल बड़ी या भैंस मेंडम ने मुन्ना से पूछा, जरा दिमाग लगाओ|
प्रभुदयाल श्रीवास्तव अक्ल बड़ी या भैंस मेंडम ने मुन्ना से पूछा, जरा दिमाग लगाओ|
उड़ते उड़ते तितली बोली, दादाजी क्या हाल चाल है| सुबह सुबह से लिखते रहते, यह
रोज रोज का खाना खाना. बड़ी चकल्लस है| दादी दाल भात रख देती.करती फतवा जारी|
तूम तड़क्का धूम धड़क्का. सुन्ने का है वादा पक्का| तू तू तू तू तू तू
-प्रभूदयाल श्रीवास्तव- मोबाइल से पानी मोबाइल का बटन दबा तो, लगा बरसने पानी। धरती
सूरज चाचा कैसे हो, क्या पहले के जैसे हो, बिना दाम के काम नहीं, क्या
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- लगा रहे अविरल परिकम्मा, हलुवा मुझे खिला दे अम्मा| राम शरण बोले ज्वर
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- अपनी प्यारी बहनों को अब, भैया कभी सताना मत| तिरस्कार करके उनका हर,
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- मुझको मिले मुसद्दीलाल, लगे सुनाने अपने हाल| बोले कल लखनऊ में था, अभी-अभी
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- हाथीजी के न्यायालय में, एक मुकदमा आया। डाल हथकड़ी इक चूहे को, कोतवाल
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- अच्छे लोगॊं की अच्छाई चिड़ियों के गीतों को सुनकर, पत्ते लगे नांचने राई|
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- आई चिपक पसीने वाली, गरमी मई की जून की| चैन नहीं आता है