समाज
भारत के गांव जीवमान कविता है
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काव्य में रस होता है, छन्द होता है, प्राण होता है, प्रीति होती है, अक्षर काया होती है और एक आत्मा होती है। अपने गांव भी कुछ समय पहले तक रस थे, छन्द थे, प्रीति थी, प्यार थे, रिश्ते नातों के अटूट बंधन थे। उत्सव थे, नृत्य थे, गीत थे, पुलक थी। होली के रंग थे, […]
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