समाज आगरा में इसाई समाज January 13, 2016 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी इसाई समाज के तीन समूहः- इसाई समाज में उनके धार्मिक मान्यता के अनुसार तीन समूह होते हैं -पहला रोमन कैथलिक होता है, जो मूलतः रोम से निकला है और पूरे विश्व में फैला हुआ है। दूसरा समूह पूर्वी आर्थोडाक्स तथा तीसरा प्रोटेस्टेट। भारत में 1533 ई. में पुर्तगाली ईसाई समाज हिन्द महासागर […] Read more » christians in Agra Featured आगरा में इसाई समाज
प्रवक्ता न्यूज़ अविकसित मानव बच्चों की सच्ची कहानियां January 12, 2016 | Leave a Comment जंगली भेड़ियों द्वारा उठाये गये तथा सिकन्दरा आगरा के अनाथालय में पाले गये बच्चे आदमी अपने परिवेश के अनुसार ही अपना विकास करता है। यदि कोई बच्चा जन्म के तुरन्त बाद से या जब वह संभलने लायक हो जाय तबसे जानवरों के बीच रहने लगे तो वह उसी की तरह आदतें व व्यवहार करने […] Read more » Featured अविकसित मानव बच्चों की सच्ची कहानियां
पर्यावरण समाज मनोरमा नदी का दर्द January 9, 2016 | Leave a Comment डा. राधे श्याम द्विवेदी भारतवर्ष में अवध व कोशल का नाम किसी से छिपा नहीं है। भगवान राम का चरित्र आज न केवल सनातन धर्मावलम्बियों में अपितु विश्व के मानवता के परिप्रेक्ष्य में बड़े आदर व सम्मान के साथ लिया जाता है। उनके जन्म भूमि को पावन करने वाली सरयू मइया की महिमा पुराणों में […] Read more » Featured the tragedy of manorama river मनोरमा नदी का दर्द
राजनीति ’’सबका विकास सबका साथ’’ का नारा कितना हसीन कितना यकीन January 3, 2016 | 2 Comments on ’’सबका विकास सबका साथ’’ का नारा कितना हसीन कितना यकीन डा. राधेश्याम द्विवेदी ’’सबका विकास सबका साथ’’ एक छोटा नारा ही नहीं है, अपितु यह एक नये युग के सूत्रपात की पहली कड़ी एवं मूलमंत्र भी है।ं इस महामंत्र में भाजपा व एनडीए के बहुत सारे अन्य मंत्र व राज तथा उसका राज चलाने की क्षमता व कौशलता भी समाहित हैं। भारत सरकार के प्रधानमंत्री […] Read more » ’’सबका विकास सबका साथ’’ ’’सबका विकास सबका साथ’’ का नारा Featured sabka saath sabka vikas कितना हसीन कितना यकीन
जन-जागरण समाज सौन्दर्य प्रसाधन में मनकों का प्रयोग December 31, 2015 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी मानव जाति आदिकाल से ज्ञान और अन्तर्मन की उच्च अवस्थाओं का प्रदर्शन और प्रकाशन करता चला आ रहा है। इसी क्रम में उसने सौन्दर्य की अभिव्यंजना भी करना प्रारम्भ किया। वह भौतिक आकर्षण के लिए सदैव प्र्रयासरत रहा है। पुरुष और नारी अपने अस्तित्व के साथ-साथ ही अपनी मन की अवस्थाओं में […] Read more » Featured use of gems in beauty मनकों का प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधन में मनकों का प्रयोग
राजनीति उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की नाकामयाबियां, विवाद एव फज़ीहतें December 18, 2015 | Leave a Comment डा.राधेश्याम द्विवेदी उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के दो कार्यकालों को पूरा कर लेने के बाद समाजवादी पार्टी के युवा नेता मा. अखिलेश यादव के अथक प्रचार तथा इसी पार्टी के तीन बार मुख्य मंत्री रहे धरती पुत्र मा. मुलायम सिंह यादव के पुराने कार्यों पर यकीन करते हुए प्रदेश की जनता ने मार्च […] Read more » Featured उत्तर प्रदेश फज़ीहतें विवाद समाजवादी सरकार की नाकामयाबियां
कला-संस्कृति विविधा भारतीय संस्कृति शास्वत है November 30, 2015 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी विश्व की सर्वोत्तम बातें, ज्ञान, विचार चिन्तन और आचरणों को जानना , विचार करना, चिन्तन करना तथा अपने जीवन का अंग बनाना ही संस्कृति होती है । इससे शारीरिक,मानसिक वैचारिक एवं अध्यात्मिक शक्तियों का अर्जन, प्रशिक्षण, दृढीकरण , उन्नयन और विकास होता है । मन आचार आचार और रूचियां परिष्कृत होती हैं […] Read more » Featured भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति शास्वत है
कविता साहित्य ताजमहल एवं मोक्षधाम November 28, 2015 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी मानव जीवन कितना अमोल, ब्रह्माण्ड हेतु कुछ कर जाओ। प्रत्यक्ष स्वर्ग व नरक यहां , दिल से जीयो ना बिसराओ । भारत रहा जगत का गुरु, सोने का चिड़िया कहा जाता। झूठी शान-शौकत में पड़कर , कोई ना इसे समझ पाता।। प्रत्यक्ष खड़े विरासतों को , पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपते चलो । […] Read more » ताजमहल एवं मोक्षधाम
धर्म-अध्यात्म भगवान परशुराम की प्रासंगिकता November 25, 2015 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी भगवान ब्रहमा भगवान रूद्र के वारूणी तथा अग्नि के तेजोमय यज्ञानुष्ठन से इस गौरवशाली वंश का अस्तित्च इस भूमण्डल पर प्रकट हुआ है। महर्षि भृगु इस वंश के आदि संस्थापक थे। बाद में महर्षि च्यवन ,और्व ,ऋचीक, जमदग्नि एवं परशुराम ने अपनी त्याग तपस्या तथा वैदिक संस्कारों से इसे पुष्पित पल्लवित और […] Read more » Featured भगवान परशुराम भगवान परशुराम की प्रासंगिकता
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पारसी धर्मः आर्य धर्म से अनुप्राणित November 25, 2015 | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी पारसी या फारसी धर्म के प्र्रवर्तक या पैगम्बर का नाम जरथुस्त्र या जोरास्टर था। यह धर्म फारस या प्राचीन ईरान में आर्यों के वैदिक धर्म से अनुप्राणित होकर निकला है। परम्परागत रुप में इसका समय 6000 ई.पू. कहा जाता है। इतिहास में सिकन्दर की विजय ( 330 ई.पू.) से 258 साल पहले […] Read more » Featured आर्य धर्म से अनुप्राणित पारसी धर्म
कविता साहित्य पुरा अवशेष November 20, 2015 | 1 Comment on पुरा अवशेष दीखते पुरावशेष निस्तेज ,आज भी करते हैं अट्टहास । नष्ट होते रहते पल पल, गर्व से लेते हैं उच्छवास ।। समाधि में रहे जो लीन, अमर है आज सभी के साथ। शान्त अवशेष सा रहा बैठ, लगाया जादूगर सा आस।। जगी आंखें गई अब खुल, लगी गैंती कुदाल की चोट। पुराना बरसों […] Read more » पुरा अवशेष
कविता राजनीति साहित्य आज की हालत November 20, 2015 | 1 Comment on आज की हालत डा. राधेश्याम द्विवेदी ’नवीन’ कोई गांधी की दुहाई देता कोई अम्बेडकर की , कोई लोहिया का फालोवर है कोई सरियत की। पर इन्सान में इन्सानिसत ढ़ूढ़े नहीं मिलती , अपने मन की सभी करते न फिकर औरों की।। शायद ही कोई कांग्रेसी गांधी को दिल से माने , शायद ही कोई मुस्लिम नारी को अपने […] Read more » Featured आज की हालत