संजय सक्‍सेना

संजय सक्‍सेना

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मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

लेखक - संजय सक्‍सेना - के पोस्ट :

राजनीति

सपा-बसपा के तीन माननीय भगवा रंग में 

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‘सियासी बाजार‘ में बीजेपी का ‘भाव’ सबसे ऊपर संजय सक्सेना उत्तर प्रदेशविधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके पूर्व सपा नेता यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब और बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह ने अंतत कुछ घंटों की देरी से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ही ली। सदस्यता ग्र्रहण करते समय तीनों ही नेताओं […]

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राजनीति

माया का राज्यसभा से इस्तीफा  : लाचारी भरी ललकार

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  दरअसल, माया को य सूझ ही नहीं रहा था कि कैसे दलितों को अपनी तरफ खींचा जाये ? ऐसे में उन्हें जब राज्यसभा से इस्तीफे के सहारे दलितों को लुभाने की उम्मीद जागी तो उन्होंने इस्तीफे का दंाव चल दिया। दलितों का भाजपा और मोदी केे प्रति बढ़ता लगाव बसपा के लिए बड़ी चुनौती है। रही सही कसर बीजेपी ने दलित राष्ट्रपति बनाकर पूरी कर दी। ऐसे में माया के लियें  दलितों को यह संदेश देना जरूरी था कि वह अपने लोगों के हित में कोई भी कुर्बानी दे सकती हैं।

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