कला-संस्कृति हनुमान जी की गदा September 24, 2014 by बी एन गोयल | 5 Comments on हनुमान जी की गदा बी एन गोयल गत कुछ दिनों से हमारी मित्र मंडली में हनुमान जी के बारे में काफ़ी चर्चा चल रही है। इस का कारण है – श्री लंका में एक खुदाई के दौरान एक भारी भरकम गदा मिली है जिसे हनुमान जी की गदा माना जा रहा है। इस का वज़न इतना अधिक है इसे उठाने के […] Read more » हनुमान जी की गदा
कला-संस्कृति श्राद्ध क्या है, पितृपक्ष क्यों ??? September 20, 2014 by शिवेश प्रताप सिंह | Leave a Comment “श्रद्धया इदं श्राद्धम्” भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। “भरत किन्ही दशगात्र विधाना” ऐसा रामचरित मानस में भी वर्णन आता है | जो इस धार्मिक क्रिया का सबसे सटीक प्रमाण है | हिन्दू धर्म में पितरों को एक पक्ष क्यों […] Read more » पितृपक्ष
कला-संस्कृति ‘ईश्वर व ऋषियों के प्रतिनिधि व योग्यतम् उत्तराधिकारी महर्षि दयानन्द सरस्वती’ September 18, 2014 / September 18, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् क्या कोई ईश्वर तथा सृष्टि की आदि व महाभारत काल से सन् 1883 तक हुए ऋषियों का कोई प्रतिनिधि व योग्यतम् उत्तराधिकारी हुआ है? इसका उत्तर है कि हां, इनका उत्तराधिकारी हुआ है और वह केवल महर्षि दयानन्द सरस्वती हैं। इसका क्या प्रमाण है कि महर्षि दयानन्द इन सबके और मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम […] Read more » महर्षि दयानन्द सरस्वती
कला-संस्कृति राष्ट्रभक्ति सनातन की मूल वैदिक परंपरा है September 18, 2014 by शिवेश प्रताप सिंह | Leave a Comment भारतीय सांस्कृतिक वैभव और दर्शन की मन्दाकिनी “श्री दक्षिणेश्वर मंदिर” के दीवारों पर वेद शास्त्रों के सुभाषित अंकित हैं उनमे से एक वैदिक ऋचा ने मुझे आकर्षित किया; ये यजुर्वेद का “राष्ट्राभिवर्द्धन मन्त्र” है जो इस प्रकार है —– आ ब्रह्यन् ब्राह्मणो बह्मवर्चसी जायताम् आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यः अति व्याधी महारथो जायताम् दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः […] Read more » राष्ट्रभक्ति सनातन की मूल वैदिक परंपरा है
कला-संस्कृति ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’ September 16, 2014 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’ ओ३म् –सत्यासत्य का विचार व चिन्तन – मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। विकासवाद का सिद्धान्त संसार में ऐसे समय पर आया जब विज्ञान विकासशील अवस्था में था। विकासवाद का सिद्धान्त इंग्लैण्ड में जन्में चार्ल्स राबर्ट डारविन (जन्म 12 फरवरी, 1809 तथा मृत्यु 19 अप्रैल, 1882) ने दिया। इसका आधार क्या था? इसका उत्तर यही है कि […] Read more » ‘विकासवाद बनाम् वैदिक धर्म (वेदों का त्रैतवाद)’
कला-संस्कृति ‘वेद और धर्म’ September 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य संसार की अधिकांश जनसंख्या धर्म पारायण या धर्म को मानने वाली है। धर्म क्या है? धर्म सत्य व असत्य के ज्ञान, असत्य को छोड़ने व सत्य को ग्रहण करने, उसका पालन, आचरण व धारण करने को कहते हैं। संसार के सभी धार्मिक ग्रन्थों में धर्म व सत्य का ज्ञान पूर्ण रूप […] Read more » ‘वेद और धर्म’
कला-संस्कृति ‘वेदालोचन के बिना संस्कृत शिक्षा व मनुष्य जीवन व्यर्थ है September 15, 2014 / September 15, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य कहा जाता है कि ज्ञान की पराकाष्ठा वैराग्य है। इसका अर्थ यह लगता है कि जिस व्यक्ति को जितना अधिक ज्ञान होगा वह उतना ही अधिक वैराग्य को प्राप्त होगा। अब विचार करते हैं कि एक व्यक्ति के अन्दर ज्ञान बहुत ही कम है। इस पहली परिभाषा के अनुसार कहना होगा […] Read more »
कला-संस्कृति वेद भाषा का प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य September 10, 2014 / September 10, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘संसार की भाषाओं में वेद भाषा ईश्वर प्रदत्त होने से सबसे प्राचीन और महान तथा इसका सम्मान, प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य’ मनमोहन कुमार आर्य संसार के सारे शिशु माता से जन्म लेकर जिस भाषा को सीखते व बोलते हैं तथा कुछ काल पश्चात जिस भाषा में व्यवहार करते हैं वह उनकी मातृ-पितृ भाषा का […] Read more » वेद भाषा का प्रयोग व प्रचार सबका कर्तव्य
कला-संस्कृति जन-जागरण गौमाता: क्या केवल हिंदुओं की ही आराध्य ? September 5, 2014 by निर्मल रानी | 2 Comments on गौमाता: क्या केवल हिंदुओं की ही आराध्य ? -निर्मल रानी- आयुर्वेदाचार्योंं के अनुसार गाय में हज़ारों प्रकार के गुण प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। हिंदू धर्म में चूंकि धरती, मानवता तथा सृष्टि को लाभ पहुंचाने वाली प्रत्येक प्राकृतिक उत्पत्ति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उसे देवता अथवा भगवान का दर्जा दिया जाता रहा है। लिहाज़ा गाय जैसे लाभकारी पशु को भी उसकी […] Read more » गाय गौमाता गौमाता: क्या केवल हिंदुओं की ही आराध्य ? हिन्दू
कला-संस्कृति वैदिक साहित्य का एक प्रमुख ग्रन्थ – संक्षिप्त महाभारत August 29, 2014 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on वैदिक साहित्य का एक प्रमुख ग्रन्थ – संक्षिप्त महाभारत -मनमोहन कुमार आर्य- महाभारत विश्व में आज से 5115 वर्ष से पूर्व घटित इतिहास विषयक घटनाओं की प्रसिद्ध पुस्तक है। इसके मूल लेखक महर्षि वेद व्यास थे। आर्य जाति एवं विश्व का सौभाग्य है कि विगत अवधि में घटी वैदिक ज्ञान विरोधी घटनाओं के बावजूद महाभारत पूर्णतः नष्ट होने से बच गया और हमारे पास […] Read more » ग्रन्थ महाभारत वेद वैदिक साहित्य
कला-संस्कृति वैदिक संस्कृति विश्व में प्रथम व श्रेष्ठ है – ‘विश्ववरणीय हमारी संस्कृति’ August 29, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- विश्व के सभी मानवों की संस्कृति क्या है? इसका उत्तर है कि संसार की सबसे प्राचीन एवं सब सत्य विद्याओं सहित जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश डालने वाली ईश्वर प्रदत्त दिव्य ज्ञान की पुस्तक ‘वेद’ सारे विश्व की धर्म, संस्कृति, शिक्षा, संस्कार व सभ्यता का मूल है। वेदों के अनुरूप कार्य, […] Read more » वेद वेद श्रेष्ठ वैदिक संस्कृति श्रेष्ठ वेद संस्कृति
कला-संस्कृति जन-जागरण अस्पृश्यता – सामाजिक विकृति August 28, 2014 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on अस्पृश्यता – सामाजिक विकृति -राजीव गुप्ता- भारत एक प्राचीन देश है. यहां की सभ्यता – संस्कृति अपेक्षाकृत अत्यंत पुरानी है. साथ ही प्रकृति सम्मत होने के कारण भारत का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है. भारत के रंग – बिरंगे त्योहारों, यहां की अनेक बोलियां, विभिन्न प्रकार के परिधानों इत्यादि के कारण इसे बहुधा विविधताओं का देश कहा जाता […] Read more » अस्पृश्यता छुआछूत सामाजिक विकृति