कला-संस्कृति महत्वपूर्ण लेख मगध के पुरावशेषों में बस्तर की तलाश!! July 10, 2012 / July 12, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on मगध के पुरावशेषों में बस्तर की तलाश!! राजीव रंजन प्रसाद राजीवजी कई गुणों के समुच्चय हैं। रंगकर्मी। नाटककार। कवि। उपन्यासकार। और सबसे बढ़कर एक जिंदादिल इंसान। पिछले दिनों उनका नाम चर्चा में तब आया जब उन्होंने एक उपन्यास लिखा – ‘आमचो बस्तर’। यह उपन्यास रचकर उन्होंने बस्तर में कुछ वर्षों से डेरा जमाए हिंसक विचारधारा के अनुयायियों द्वारा छल-प्रपंच के बूते अराजकता […] Read more » बस्तर की तलाश मगध के पुरावशेषों में
कला-संस्कृति प्राचीन है संगीत से बारिश की परंपरा July 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य संगीत की स्वर लहरियों पर रीझते हैं इन्द्रदेव थार संगीत में छिपा है मेघों के आकर्षण का सामथ्र्य बरसात के देवता इन्द्र को प्रसन्न कर बारिश का आवाहन करने में विभिन्न रागों की माधुर्यपूर्ण प्रस्तुति जबर्दस्त सामथ्र्य रखती हैं। प्राचीन काल में बारिश नहीं होने अथवा विलम्ब से होने की स्थिति में […] Read more » monsoon arrival in India Rain
कला-संस्कृति आरक्षण नहीं संरक्षण दो July 5, 2012 / July 5, 2012 by राकेश कुमार आर्य | 4 Comments on आरक्षण नहीं संरक्षण दो राकेश कुमार आर्य भारत की संस्कृति विश्व संस्कृति है। यह करोड़ों वर्ष से मानवता का दिग्दर्शन करती आयी है। संस्कृतियाँ कभी अनेक नहीं होती, अपितु संस्कृति सदा एक ही होती है। चूँकि संस्कृति धर्म-प्रेरित होती है। जैसे मनुष्य का धर्म मानवता एक है, उसी प्रकार उसकी संस्कृति भी सदा एक (मानव संस्कृति) ही रहती है। […] Read more » give reservation आरक्षण
कला-संस्कृति मत बांधो बाबा अमर नाथ की यात्रा को June 5, 2012 / June 5, 2012 by विनोद बंसल | Leave a Comment विनोद बंसल भारत के मुकुट जम्मू-कश्मीर के श्री नगर शहर से 125 किमी दूर हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों के बीच 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का अदभुत ज्योतिर्लिंग बाबा अमरनाथ के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह सिर्फ़ करोडों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष […] Read more » ज्योतिर्लिंग बाबा अमरनाथ
कला-संस्कृति शख्सियत ‘सृष्टि सृजक‘ महर्षि कश्यप का पौराणिक स्वरूप May 22, 2012 / May 22, 2012 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप हमारे लगभग सभी पौराणिक ग्रन्थों में सृष्टि की रचना का बखूबी उल्लेख मिलता है। पौराणिक ग्रन्थ ‘सुख सागर’ में श्री शुकदेव मुनि जी पाण्डव वंशज एवं प्रतापी राजा परीक्षित को सृष्टि की रचना के बारे में विस्तार से बताते हैं। इस पौराणिक ग्रन्थ के अनुसार, श्री शुकदेव मुनि परीक्षित से कहते हैं: “हे […] Read more » maharshi kshyap महर्षि कश्यप
कला-संस्कृति गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की विरासत May 11, 2012 by राकेश उपाध्याय | Leave a Comment राकेश उपाध्याय भारत की चिरंजीवी-अखंड जीवन शक्ति का रहस्य क्या है, गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 80 साल की जीवन यात्रा के कुछ पन्ने खंगालकर इसे जाना जा सकता है। गुरुदेव उस दौर में पैदा हुए, जब देश न सिर्फ राजनीतिक तौर पर गुलाम था बल्किउसकी प्रतिभा, बौद्धिक क्षमता, उसका संपूर्ण पौरुष और पराक्रम सदियों की […] Read more » गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर
कला-संस्कृति भारतवर्ष के यह स्वयंभू गुरु May 6, 2012 / May 6, 2012 by निर्मल रानी | 1 Comment on भारतवर्ष के यह स्वयंभू गुरु निर्मल रानी कहा जाता है कि हमारा देश किसी युग में विश्वगुरु था। ऐसा कब था तथा भारत रूपी इस विश्वगुरु के कौन-कौन से शिष्य थे यह बातें न तो पता हैं, न ही इसकी गहराई में जाने और जानने से कुछ हासिल होने वाला है। बस एक भारतीय के नाते हम सभी भारतवासियों को […] Read more » india as world guru भारतवर्ष के यह स्वयंभू गुरु विश्वगुरु रूपी भारत स्वयंभू गुरु
कला-संस्कृति संस्कृति ही है भारत की एकता का आधार April 28, 2012 / April 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment सुधांशु त्रिवेदी आज संपूर्ण विश्व एक संक्रमण काल से गुजर रहा है। कहा जा रहा है कि बदलते समीकरणों के अनुसार 21 वीं सदी भारत और चीन की सदी होगी। एक अनुमान के अनुसार भारत आज विश्व की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति ही नहीं है , बल्कि 21 वीं शताब्दी के मध्य तक भारत की […] Read more » संस्कृति सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्तमान समय में राम की प्रासांगिकता April 23, 2012 by राजीव गुप्ता | 2 Comments on वर्तमान समय में राम की प्रासांगिकता राजीव गुप्ता विश्व गुरु बनने का सपना संजोने वाली अधिकांश भारतीय संततियों का ध्येय जब अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए राष्ट्र हितों के मानक मूल्यों से समझौता करने तक की तरफ अग्रसर होने लगे तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हमने अब अपने पुरखों की दी हुए विरासत को नीलाम करना शुरू कर […] Read more » importance of ram in present scenario राम की प्रासांगिकता
कला-संस्कृति शख्सियत शूद्रों को ब्राहमण बनाने वाले परशुराम April 23, 2012 / April 23, 2012 by प्रमोद भार्गव | 5 Comments on शूद्रों को ब्राहमण बनाने वाले परशुराम प्रमोद भार्गव भगवान परशुराम जयंती 24 अप्रेल के अवसर पर :- हमारे धर्म ग्रंथ और कथावाचक ब्राहमण भारत के प्राचीन पराक्रमी नायकों की संहार से परिपूर्ण हिंसक घटनाओं के आख्यान तो खूब सुनाते हैं, लेकिन उनके समाज सुधार से जुड़े जो क्रांतिकारी सरोकार थे, उन्हें लगभग नजरअंदाज कर जाते हैं। विष्णु के दशावतारों में से […] Read more » bhagwan parsuram भगवान परशुराम
कला-संस्कृति मिसाल बन गया गांव बड़ी जाम April 21, 2012 / April 21, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment मनोज कुमार अक्षय तृतीया २४ अप्रेल के लिये मध्यप्रदेश का व्यवसायिक जिला है इंदौर। इंदौर जिले का एक छोटा सा गांव है बड़ी जाम। लगभग गुमनाम सा गांव बड़ी जाम ने आदर्श कायम किया है जिसकी गूंज इंदौर से भोपाल तक और शायद कल पूरे देश में होगी। इस गांव में बाल विवाह का आयोजन […] Read more » अक्षय तृतीया
कला-संस्कृति औषधीय पादपों की खेती April 19, 2012 / April 19, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment कल्पना डिण्डोर जनजाति काश्तकारों की सेहत सँवार रही है औषधीय पादपों की खेती राजस्थान के जनजाति बहुल क्षेत्रों के किसान आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए जिन नवीन योजनाओं को अपनाने लगे हैं उनमें खेती-बाड़ी से जुड़ी योजनाएं अहम् हैं। जनजाति क्षेत्रों के किसानों के लिए अत्याधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीकों से होने वाली खेती के […] Read more » औषधीय पादपों