कला-संस्कृति फ़तवा मानो या मत मानो, उलेमा को मत कोसो! April 11, 2012 / April 11, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on फ़तवा मानो या मत मानो, उलेमा को मत कोसो! इक़बाल हिंदुस्तानी तर्क और आस्था में टकराव तो सदियों से चलता आ रहा है? दारुल उलूम देवबंद से कुछ दिन पहले एक फतवा आया था कि शराब के नशे में दी गयी तलाक भी तलाक मानी जायेगी। इस फतवे पर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के नायब सदर और मशहूर शिया नेता मौलाना क़ल्ब ए सादिक़ ने […] Read more » Fatwa muslims उलेमा फ़तवा
कला-संस्कृति लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी जैसे नहीं बन पा रहे हैं उत्तराखंडी लोक कलाकार March 30, 2012 / March 30, 2012 by भार्गव चन्दोला | Leave a Comment भार्गव चन्दोला उत्तराखंड में लोक गायक लगातार प्रसिद्धि पा रहे हैं मगर एक कमी जो इन कलाकारों को नरेंद्र सिंह नेगी जी के आसपास भी नहीं टिकने देती है वो है नरेंद्र सिंह नेगी जी का अपने गानों के माध्यम से उत्तराखंड के जनसरोकारों को प्रमुखता से उठाना| जिस प्रकार समाजसेवी अन्ना हजारे देश हित […] Read more » Lok kalakar Utrakhand उत्तराखंडी लोक कलाकार लोक कलाकार
कला-संस्कृति अलग-अलग हैं शाहबाज लाल कलंदर व झूलेलाल? March 25, 2012 / March 25, 2012 by तेजवानी गिरधर | Leave a Comment तेजवानी गिरधर जिस गीत दमा दम मस्त कलंदर को गा और सुन कर सिंधी ही नहीं, अन्य समुदाय के लोग भी झूम उठते है, उस पर यह सवाल आज भी मौजूं है उसका सिंधी समुदाय से कोई ताल्लुक है भी या नहीं? पाकिस्तान की मशहूर गायिका रेश्मा व बांग्लादेश की रूना लैला की जुबान से […] Read more » jhulelal Shahbaz lal Kalander झूलेलाल शाहबाज लाल कलंदर
कला-संस्कृति अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत March 21, 2012 / March 21, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 7 Comments on अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत – विश्वजीत सिंह ‘अनंत’ अरब देश का भारत, भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पोत्र और्व से ऐतिहासिक संबंध प्रमाणित है, यहाँ तक कि “हिस्ट्री ऑफ पर्शिया” के लेखकसाइक्स का मत है कि अरब का नाम और्व के ही नाम पर पड़ा, जो विकृत होकर “अरब”हो गया। भारत के उत्तर-पश्चिम में इलावर्त था, जहाँ दैत्य […] Read more » India vaidic culture अरब की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति और भारत भारत
कला-संस्कृति भक्ति, संगीत, सौहाद्र एवं कला का केंद्र बना बराड़ा February 28, 2012 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी भारतवर्ष जिसे पर्वों व उत्सवों का देश भी कहा जाता है, निस्संदेह अपने-आप में अनेकानेक ऐसे धार्मिक त्यौहारों, सामाजिक आयोजनों तथा परंपराओं को समेटे हुए है जो हमें अपनी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता की समय-समय पर याद दिलाती रहती हैं। निश्चित रूप से भारतवर्ष दुनिया का अकेला एक ऐसा देश है जिसमें न […] Read more »
कला-संस्कृति भक्ति परम्परा का प्राचीनतम प्रतीक शबरी February 25, 2012 / February 25, 2012 by राजेश कश्यप | 1 Comment on भक्ति परम्परा का प्राचीनतम प्रतीक शबरी राजेश कश्यप रामायण भगवान श्रीराम के सम्पूर्ण जीवन का दर्पण है। विष्णु के अवतार रूपी श्रीराम की सम्पूर्ण कार्यकलापों व लीलाओं के प्रसंग श्रीमद्वाल्मीकीय ‘रामायण’, गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘श्रीराम चरितमानस’ आदि पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित हैं। इन ग्रन्थों में श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशिष्टता एवं महत्ता रही। कई व्यक्ति तो […] Read more » shabri and Ram भक्ति परम्परा शबरी
कला-संस्कृति आओ मनाऐं नया साल-विक्रमी संवत 2069 February 3, 2012 / July 5, 2012 by विनोद बंसल | 4 Comments on आओ मनाऐं नया साल-विक्रमी संवत 2069 विनोद बंसल पाश्चात्य देशों के अंधानुकरण व अंग्रेजियत के बढते प्रभाव के बावजूद भी आज चाहे बच्चे के गर्भाधान की बात हो या जन्म की, नामकरण की बात हो या शादी की, गृह प्रवेश की हो या व्यापार प्रारम्भ करने की, सभी में हम एक कुशल पंडित के पास जाकर शुभ लग्न व मुहूर्त पूछते […] Read more » new year according to hindu mythology विक्रमी संवत 2069
कला-संस्कृति नकल, एक और कालिख ? January 30, 2012 / January 30, 2012 by राजकुमार साहू | Leave a Comment राजकुमार साहू निश्चित ही छत्तीसगढ़ विकास की दिशा में अग्रसर हो रहा है, लेकिन कई रोड़े भी नजर आ रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अनेक बदलाव के कारण यहां की प्रतिभाएं निखर कर सामने आ रही हैं। फिर भी शिक्षा नीति में कई बदलाव की जरूरत है। इसमें सबसे बड़ी जरूरत है, छग को […] Read more » Chhatisgarh छत्तीसगढ़ प्रतिभा पलायन
कला-संस्कृति झालरापाटन का सूर्य मंदिर January 22, 2012 / January 21, 2012 by पंडित दयानंद शास्त्री | 1 Comment on झालरापाटन का सूर्य मंदिर `अतीत में झालरों के नगर के नाम से जाना पहचाना झालरापाटन हैं। जिसका हृदय स्थल यहाँ का सूर्य मंदिर हैं। इस मंदिर का निर्माण नवीं सदी में हुआ था। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और स्थापत्य वैभव के कारण कोर्णाक के सूर्य मंदिर और ग्वालियर के विवस्वान मंदिर का स्मरण कराता हैं। कर्नल टॉड ने इस […] Read more » sun temple of jhalrapatan झालरापाटन का सूर्य मंदिर
कला-संस्कृति संवत्सर की विविध भारतीय परम्पराए January 7, 2012 / January 7, 2012 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 5 Comments on संवत्सर की विविध भारतीय परम्पराए मनोज श्रीवास्तव ‘‘मौन’’ हमारे देश के संवत्सर प्रारम्भ के सम्बन्ध में भारत के विभिन्न क्षेत्रों की परम्परा में कुछ अन्तर है। भारत के कुछ भागों में माह कृष्ण पक्ष की अगली प्रतिपदा से प्रारम्भ होते हैं और शुक्ल पक्ष के साथ समाप्त होते हैं। ऐसे माह को पूर्णिमान्त कहते हैं ऐसे माह को अमावस्यान्त कहते […] Read more » Indian Culture भारतीय परम्पराए संवत्सर की विविध भारतीय परम्पराए
कला-संस्कृति चश्म-ए-बद्दूर बनाम बेलगाम घोड़े January 5, 2012 / January 5, 2012 by राम कृष्ण | 2 Comments on चश्म-ए-बद्दूर बनाम बेलगाम घोड़े रामकृष्ण फ़ुरसतनामा वह ज़माना फ़िल्मी दुनिया में राज कपूर के चरमोत्कर्ष का था, और के साथ ही शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी भी अपनी लोकप्रियता तब आसमान छू रहे थे. उन दिनों निर्मित होने वाली कम से कम पचास प्रतिशत फ़िल्में ऐसी ही होती थीं जिनमें शंकर-जयकिशन का सगीत हुआ करता था और हसरत-शैलेन्द्र के गीत. […] Read more » script writers in Indian movies shailendra शैलेन्द्र हसरत जयपुरी
कला-संस्कृति महर्षि दयानंद के महाप्रयाण (दीपावली) पर विशेष October 28, 2011 / December 5, 2011 by अखिलेश आर्येन्दु | Leave a Comment अखिलेश आर्येन्दु महर्षि दयानंद : तमसो मा ज्योतिर्गय के युगधर्मी संवाहक उपनिशदों में अंधकार से प्रकाश की तरफ जाने की प्रेरणा दी गर्इ है। तमसो मा ज्योतिर्गमय। अंधकार मृत्यु के समान और प्रकाश जीवन और अमरता के समान माना गया है। मौत से छुटकारा पाने की एक छटपटाहट इंसान के मन में गहरार्इ से दिखार्इ […] Read more » Diwali दीपावली पर विशेष महर्षि दयानंद