बच्चों का पन्ना मत करना मनमानी October 8, 2012 / October 8, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हाथी दादा थे जंगल में सबसे वृद्ध सयाने, डरे नहीं वे कभी किसी से किये काम मनमाने। आया मन तो सूंड़ बढ़ाकर ऊँचा पेड़ गिराया, जिस पर चढ़ा हुआ था बंदर नीचे गिरकर आया। कभी सूंड़ में पानी भरकर दर्जी पर फुर्राते , मुझको देदो शर्ट पजामे हुक्म रोज फरमाते। तब पशुओं […] Read more »
बच्चों का पन्ना गौरवर्णी बादलों की बात October 8, 2012 / October 8, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment लग रहा है यह समय का फेर सा है, बादलों में अब प्रदूषण ढेर सा है। अब गुलाबी और कपसीली बदलियाँ लापता हैं, न रुई के ढेर जैसे बादलों के कुछ पता हैं। रात के जुगनूं न जा जाने अब कहां पर खो गये हैं, ओढ़कर खामोशियां लगता कहीं पर सो गये हैं। […] Read more »
बच्चों का पन्ना मेंढक मामा October 8, 2012 / October 8, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment क्यों न सच्ची बात बताते| मेंढक मामा क्यों टर्राते| डबरों में पानी कम है तो, बादल को क्यों नहीं बुलाते? यदि नहीं बरसा पानी तो नगर पालिका क्यों न जाते एक टेंकर पानी भरकर, क्यों अपने घर नहीं ले आते? [2] फ्राग फ्राग ,फ्राग व्हाई आर यू क्राइंग| टू साल्व युवर प्राबलम, वी आर […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना जंगल October 7, 2012 / October 8, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment पीपल नीम आम के जंगल होते बड़े काम के जंगल | कितने निश्छल भोले भाले होते तीर कमान के जंगल | कभी कभी क्यों हो जाते हैं बारूदी अंजाम के जंगल | बच्चो कभी न बनने देना ओसामा सद्दाम के जंगल | वंशी की मधु तान सुनाते नटनागर घनश्याम के जंगल | रामायण के पाठ […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना अम्मा बापू October 6, 2012 / October 6, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सुबह-सुबह जब धूप गुनगुनी, छत पर आती है| सूरज कि किरणों में बैठी, मां मुस्कराती है। आसमान भी देख देख कर, गदगद हो जाता| जब छत रूपी बिटिया को, हँसकर दुलराती है। ठंडी शीतल हवा झूमती, नदियों के ऊपर| लहरों पर भी खुशियों की, चादर बिछ जाती है| बिजली के तारों पर […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना नाक पकड़ ,सारी मत बोलो October 6, 2012 / October 6, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on नाक पकड़ ,सारी मत बोलो आद्ध्या बोली,नाक पकड़ सारी मत बोलो दादाजी| नियम कायदे नहीं जानते ,पोल न खोलो दादाजी| कान पकड़कर ही तो सारी ,बोला जाता है हरदम, किंतु ताज्जुब है दादाजी ,अक्ल आपमें इतनी कम| अब तो कान पकड़कर सारी ,सबको बोलो दादाजी| नियम कायदे नहीं जानते ,पोल न खोलो दादाजी| नहीं थेंक यू अब तक बोला , […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना बंदरजी October 6, 2012 / October 6, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बंदरजी भाई बंदरजी, कैसे आये अंदरजी| बंद पड़ा था दरवाजा| तुमने किससे खुलवाया| दरवाजा दो टन का था| भारी बहुत वज़न का था| जिसने इसको खोला है| होगा बड़ा सिकंदरजी| तुम्हें यहीं रहना होगा| कष्ट बहुत सहना होगा| घर का मालिक दादा है| पागल आधा आधा है| दरवाजे पर डाला है, उसने मोटा […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना हिंदी दादी अमर रहेगी October 6, 2012 / October 6, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment अंग्रेजी चाची ने हिंदी, दादी पर हमला बोला| डर के मारे दादी का, सिंहासन है थर थर डोला| चुपके चुपके दादी माँ ,अपने दड़बे मे घुस आई| “मैं वेदों की महरानी हूँ,” जोर जोर से चिल्लाई| “बड़े बुज़्रगों ने मुझको ,धर्मों करमों में ढाला था| बहुत प्यार से बड़े लाड़ से ,स्मृतियों ने पाला था| […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना सुविधाओं से वंचित नौनिहाल October 6, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | Leave a Comment डॉ. आशीष वशिष्ठ बच्चे देश का भविष्य हैं लेकिन देश के नौनिहाल जिन विषम परिस्थितियों में जीवन बसर कर रहे हैं वो किसी भी दृष्टिïकोण से उज्जवल कल का संकेत नहीं देता है। देश के अधिकांश बच्चे अभाव में जी रहे हैं और उनको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। स्कूल जाने वाले नौनिहालों को पीने […] Read more »
बच्चों का पन्ना मन को भा जानेवाले दिन October 5, 2012 / October 5, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on मन को भा जानेवाले दिन याद मुझे अक्सर आ जाते,आने,दो आने वाले दिन| दूध मलाई गरम जलेबी,और रबड़ी खाने वाले दिन|| तीस रुपये में मझले काका, दिल्ली तक होकर आ जाते| एक रुपये में ताजा खाना ,होटल में छककर खा आते|| बिन कुंडी के बाथ रूम में ,बेसुर में गानेवाले दिन| याद मुझे अक्सर आ जाते,आने दो आने […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना पिज्जा बर्गर कभी न खाओ| October 5, 2012 / October 5, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment आओ आओ सब बच्चो आओ सबको, सच्ची बात बताओ| जोर जोर से सब चिल्लाओ पिज्जा बर्गर कभी न खाओ| फास्ट फूड के सेवन से तो हेमोग्लोबिन कम होता है| हज़म करे इतनी केलोरी, कम लोगों में दम होता है| पिज्जा बर्गर कितना घातक, सारी दुनियाँ को बतलाओ| ज्यादा पिज्जा बर्गर खाया, तो ब्लड […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना ‘ देवपुत्र ‘ पढ़ पाऊँ हर दिन October 5, 2012 / October 5, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मुझको चंदा पर जाना है मुझको यान दिला दो न माँ| एक अटेची नई दिला दो ट्रेक सूट सिलवा दो न माँ| टिफिन बाक्स में ताजा पोषित लंच पेक करवा दो न माँ| हो सकता है वहां ठंड हो कंबल एक रखा दो न मां| रोज़ नहाऊंगा मल मल के लाइफ बाँय रखवा […] Read more » poem for kids