धर्म-अध्यात्म संसार का उपकार और मनुष्यों की शारीरिक-आत्मिक-सामाजिक उन्नति November 21, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य व अन्य प्राणियों का जीवन प्रकृति प्रदत्त संसाधनों एवं दूसरों के उपकार के कार्यों पर निर्भर है। प्रकृति से हमें वायु, जल, अग्नि और अन्नादि पदार्थों सहित निवास वा आश्रय मिलता है। इसी प्रकार संसार में अन्य मनुष्य आदि प्राणियों से भी हम सब उपकृत होते हैं। माता-पिता से तो मनुष्य […] Read more » उन्नति
धर्म-अध्यात्म मूर्तिपूजा पर ऋषि दयानन्द का अकेले काशी के 40 दिग्गज विद्वानों से सफल शास्त्रार्थ November 21, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -काशी शास्त्रार्थ की १४८ वी वर्षगांठ- -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में जो महान् कार्य किए उनमें से एक काशी के दुर्गाकुण्ड स्थित आनन्द बाग में लगभग 50-60 हजार लोगों की उपस्थिति में ‘मूर्तिपूजा वेदसम्मत नहीं है’, विषय पर उनका शास्त्रार्थ भी था जिसमें स्वामी जी विजयी हुए थे। यह शास्त्रार्थ […] Read more » काशी शास्त्रार्थ मूर्तिपूजा
धर्म-अध्यात्म भारतवर्ष की आत्मा धर्ममय November 18, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी स्वयं के लिए जीवन जीना पशुता है और दूसरों को भी जीने देना ही मानव धर्म है। धर्म-परायण, सभ्य मानवों ने दूसरों को भी ‘जीने दो’ का लक्ष्य रख कर स्वेच्छा से कुछ नियम और प्रतिबन्ध अपने ऊपर लागू कर लिये हैं। मानव भोजन के लिये किसी जीव की हत्या करने के […] Read more » Bharat Featured India आत्मा धर्ममय भारतवर्ष
धर्म-अध्यात्म जन्म व मृत्यु से जुड़े कुछ प्रश्नों पर विचार November 16, 2017 / November 16, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य एक शरीरधारी जीवात्मा को कहते हैं जो मनुष्यों के समान आकृति सहित मननशील प्राणी होता है। जीवात्मा एक चेतन तत्व है जो सत्य, एकदेशी, ससीम, अल्पज्ञ, अल्प सामर्थ्य, जन्म-मरण धर्मा, कर्मों को करने वाला व ईश्वरीय व्यवस्था से उनके फल भोगने वाला है। मनुष्यों को मनुष्य-जन्म उसके पूर्व जन्मों के कर्मों […] Read more » death and birth जन्म मृत्यु
धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार शनिचरी अमावस्या 18 नवंबर 2017 —- November 16, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment हम सभी जानते हैं की मार्गशीर्ष अमावस्या का एक अन्य नाम अगहन अमावस्या भी है. इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है. जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजन कर दिपावली बनाई जाती है. इस दिन भी श्री लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है. इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के […] Read more » शनिचरी अमावस्या
धर्म-अध्यात्म प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती मूर्तिपूजा का मौखिक खण्डन करते थे November 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी दयानन्द जी देश भर घूमकर वेदों का प्रचार करते थे। वेद प्रचार के अन्तर्गत वह ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना का प्रचार करते हुए वेद विरुद्ध मूर्तिपूजा का खण्डन भी करते थे। मूर्तिपूजा से जुड़ा हम उनका एक संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि उन्हें मूर्तिपूजा […] Read more » मूर्तिपूजा मूर्तिपूजा का खण्डन स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी की पुण्य तिथि
धर्म-अध्यात्म वीर सावरकर जी के नाटक प्रतिशोध में अंग्रेजों के इतिहास की कुछ प्रमुख घटनाओं का अनावरण November 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य भारतमाता के वीरसपूत अमर व अजेय वीर सावरकर का नाम लेकर भारतीय आर्य हिन्दू गौरव का अनुभव करते हैं। देश की आजादी के लिए उन्होंने जो कार्य व बलिदान किया है, वह स्वर्णाक्षरों में अंकित है। सावरकर जी स्वतन्त्रता के अग्रणीय योद्धा व समाज सुधारक सहित एक सफल लेखक व इतिहासकार भी […] Read more » वीर सावरकर
धर्म-अध्यात्म देश एवं आर्यसमाज के इतिहास में स्वामी श्रद्धानन्द जी का गौरवपूर्ण स्थान November 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य 23 दिसम्बर, 2017 को ऋषिभक्त स्वामी श्रद्धानन्द जी का 91 वां बलिदान दिवस है। इसी दिन दिल्ली में एक विधर्मी जुनूनी हत्यारे अब्दुल रसीद ने रुग्णावस्था में स्वामी जी को गोली मारकर शहीद कर दिया था। देश के इतिहास में के हिन्दू बन्धुओं को विदेशी यवन विधर्मियों ने देश पर आक्रमण कर […] Read more » स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म वेद ईश्वरीय ज्ञान है November 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, वेद ईश्वरीय ज्ञान है। इसका तात्पर्य है कि वेदों का ज्ञान ईश्वर प्रदत्त है। ज्ञान दो ही चेतन सत्ताओं के द्वारा दिया जाता है और मनुष्य आदि द्वारा ग्रहण किया जाता है। वेदों के सभी मन्त्र व उनके शब्द, अर्थ और सम्बन्ध ईश्वर द्वारा सृष्टि के आरम्भ में चार आदि ऋषियों अग्नि, […] Read more » वेद
धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्य ईश्वर, ऋषियों, वेदमाता, माता-पिता, आचार्यों, प्रकृति, गोमाता, स्वदेश के ऋणी हैं November 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment नमोहन कुमार आर्य सभी मनुष्य संसार के रचयिता ईश्वर व अपने माता-पिता के सबसे अधिक ऋणी हैं। इसके साथ ही वह भूमि माता, गोमाता, ऋषि व आचार्यों आदि के भी ऋणी हैं। जो मनुष्य अपने ऋणों को भली प्रकार जानता है वह धन्य होता है। जो अपने ऋणों को जानने के साथ उनसे उऋण […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म यज्ञोपवीत धारण करना आवश्यक क्यों हैं? November 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक धर्म व संस्कृति में मनुष्य के 16 संस्कार किये जाने का विधान है। इनमें से एक संस्कार उपनयन संस्कार कहलाता है। आजकल इस संस्कार को कराने की परम्परा प्रायः देखने को नहीं मिलती। व्यवहार की दृष्टि से देखें तो मनुष्य के जन्म से पूर्व कोई संस्कार नहीं कराये जाते। जन्म के […] Read more » यज्ञोपवीत
धर्म-अध्यात्म बलिवैश्वदेव यज्ञ की अनिवार्यता व उसका स्वरूप November 7, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यज्ञ परोपकार के कार्यों को कहते हैं। यज्ञ ऐसा कार्य व कर्म है जिससे अपना भला होता है व दूसरों को भी लाभ पहुंचता है। हमारा भला दूसरों का भला करने से ही हो सकता है, दूसरों को हानि पहुंचा कर हमारा भला कभी नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि […] Read more » बलिवैश्वदेव यज्ञ