कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म जानिए क्यों हैं हनुमान मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता…?? April 9, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment तंत्र शास्त्र के आदि देवता और प्रवर्तक भगवान शिव हैं। इस प्रकार से हनुमानजी स्वयं भी तंत्र शास्त्र के महान पंडित हैं। समस्त देवताओं में वे शाश्वत देव हैं। परम विद्वान एवं अजर-अमर देवता हैं। वे अपने भक्तों का सदैव ध्यान रखते हैं। उनकी तंत्र-साधना, वीर-साधना है। वे रुद्रावतार और बल-वीरता एवं अखंड ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। अतः उनकी उपासना के लिए साधक को सदाचारी होना अनिवार्य है। उसे मिताहारी, जितेन्द्रिय होना चाहिए। हनुमान साधना करने के लिए हर व्यक्ति उसका पालन नहीं कर सकता, इसलिए इस चेतावनी का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि हनुमानजी को सिद्ध करने का प्रयास भौतिक सुखों की प्राप्ति या चमत्कार प्रदर्शन के लिए कभी नहीं करना चाहिए। Read more » hanuman jayanti हनुमान हनुमान जन्मोत्सव हनुमान मंगलकर्ता हनुमान विघ्नहर्ता
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मंगलकर्ता और विघ्नहर्ता हैं हनुमान April 9, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment हनुमान जयन्ती- 11 अप्रैल 2017 पर विशेष – ललित गर्ग – भगवान हनुमानजी को हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। उनको बजरंग […] Read more » हनुमान जयन्ती
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म मनोवांछित फल प्रदाता और समस्त कामना पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी April 8, 2017 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment मान्यतानुसार मनोवांछित फल प्रदाता और समस्त कामना पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन किया जाता है। पौराणिक कथानुसार धर्मावतार महाराज युधिष्ठिर के द्वारा पूछे जाने पर वसुदेव-देवकी नंदन भगवान श्री कृष्ण ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में स्थित कामदा एकादशी का विधान व माहात्म्य बतलाते हुए कहा कि एक समय यही प्रश्न राजा दिलीप ने अपने गुरुदेव वशिष्ठ जी से किया था। तब उन्होंने जो उत्तर दिया था वही मैं आपकी जिज्ञासा शांत करने हेतु श्रवण कराता हूं, आप एकाग्रचित्त से श्रवण करें। र Read more » कामदा एकादशी
धर्म-अध्यात्म पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-3 April 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment उपरोक्त प्रार्थना के शब्द जब किसी ईश्वरभक्त के हृदय से निकले होंगे तो निश्चय ही उस समय उस पर उस परमपिता परमेश्वर की कृपा की अमृतमयी वर्षा हो रही होगी। वह तृप्त हो गया होगा, उसकी वाणी मौन हो गयी होगी, उस समय केवल उसका हृदय ही परमपिता परमेश्वर से संवाद स्थापित कर रहा होगा। इसी को आनंद कहते हैं, और इसी को गूंगे व्यक्ति द्वारा गुड़ खाने की स्थिति कहा जाता है जिसके मिठास को केवल वह गूंगा व्यक्ति ही जानता है, अन्य कोई नही। Read more » पूजनीय प्रभो हमारे पूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्ज्वल कीजिए भाव उज्ज्वल
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म युवाओं के लिए प्रेरक भगवान श्रीराम April 5, 2017 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment समाजिक समरसता की स्थापना के लिए भगवान श्रीराम ने सदा न्याय का साथ दिया और अन्याय के विरूद्ध खड़े हुये। इसका संुदर उदारहण बालिवध का प्रसंग है। बालि ने जब धर्म की दुहाई देते हुए श्रीरामजी के कार्य को अन्याय बताया तो उन्होनें उसकी बात का खण्डन करते हुए कहा कि -”बालि तुम्हें तुम्हारे पाप का ही दण्ड मिला है। तुमने अपने छोटे भाई की स्त्री को जो तुम्हारी पुत्रवधू के समान है बलपर्वूक रख लिया है। अतः तुम्हें दण्ड देकर मैनें राजधर्म, मित्रधर्म एवं प्रतिज्ञा का पालन किया है।“ Read more » भगवान श्रीराम रामनवमी
धर्म-अध्यात्म मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन एवं चरित्र April 5, 2017 / April 5, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment श्री रामचन्द्र जी का जीवन आदर्श जीवन था। आर्य विद्वान पं. भवानी प्रसाद जी ने उनके विषय में लिखा है कि ‘इस समय भारत के श्रृंखलाबद्ध इतिहास की अप्राप्यता में यदि भारतीय अपना मस्तक समुन्नत जातियों के समक्ष ऊंचा उठा कर चल सकते हैं, तो महात्मा राम के आदर्श चरित की विद्यमानता है। यदि प्राचीनतम ऐतिहासिक जाति होने का गौरव उनको प्राप्त है तो सूर्य कुल-कमल-दिवाकर राम की अनुकरणीय पावनी जीवनी की प्रस्तुति से। Read more » मर्यादा पुरुषोत्तम राम
धर्म-अध्यात्म ‘सच्चे देश भक्तों के आदर्श जीवित शहीद वीर विनायक दामोदर सावरकर’ April 5, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारत की गुलामी का कारण देश व मनुष्य समाज का वेदपथ से पददलित होना और अज्ञानता व अन्धविश्वासों के कूप में गिरना था। महाभारत के युद्ध के अनेक भयकर परिणामों में से एक दुष्परिणाम यह था कि देश वेद पथ व वैदिक धर्म से दूर हो गया जिसका परिणाम धार्मिक व […] Read more » आदर्श जीवित शहीद देशभक्त वीर सावरकर वीर विनायक दामोदर सावरकर’ सावरकर
धर्म-अध्यात्म राम नवमी उत्सव 2017 आगामी 5 अप्रैल को April 3, 2017 / April 3, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment रामनवमी का व्रत पापों का क्षय करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है. राम नवमी के उपलक्ष्य पर देश भर में पूजा पाठ और भजन किर्तनों का आयोजन होता है. देश के कोने कोने में रामनवमी पर्व की गूंज सुनाई पड़ती है. इस दिन लोग उपवास करके भजन कीर्तन से भगवान राम को याद करते है. राम जन्म भूमि अयोध्या में यह पर्व बडे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. वहां सरयु नदी में स्नान करके सभी भक्त भगवान श्री राम जी का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं | Read more » 5 अप्रैल ramnavami भगवान राम का जन्मदिवस मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम राम जन्मोत्सव राम नवमी राम नवमी 2017 राम नवमी उत्सव
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र April 3, 2017 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment नवदुर्गा पर्व पर विशेष: हिंदी काव्यानुवाद * शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१। ओम सती साघ्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य। आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२। पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना, चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […] Read more » शतनाम स्तोत्र
धर्म-अध्यात्म “शक्ति के उपासक बनें” March 30, 2017 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment भारत भूमि के महान सपूत महर्षि अरविन्द ने वर्षो पूर्व जब हम अंग्रेज़ो के अधीन थे, अपनी एक छोटी रचना ‘भवानी मंदिर’ की भूमिका में लिखा था कि “हमने शक्ति को छोड़ दिया है , इसलिए शक्ति ने भी हमें छोड़ दिया”। अतः पराधीनता में रहना हमारी दुर्बलता का ही परिणाम था। अनेक मनीषियों ने […] Read more » "शक्ति के उपासक बनें देश में मोदी प्रदेश में योगी"
धर्म-अध्यात्म चैत्र नवरात्र : देवी कहती हैंं…अपनी शक्ति को पहचानो March 30, 2017 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सूर्यकांत द्विवेदी देवी का अर्थ प्रकाश है। वह शक्तिस्वरूपा हैं। दुर्गा सप्तशती को ध्यान से पढ़ें तो उसमें तीन अवस्थाओं, तीन प्रकृति, तीन प्रवृत्ति की व्याख्या है। हमारा धर्म, कर्म और राजतंत्र तीन चरणीय व्यवस्था का स्वरूप है। धर्मशास्त्रों में भी तीन ही देवी हैं। तीन ही देव हैं। तीन ही सृष्टि हैं-जल, थल और […] Read more » चैत्र नवरात्र चैत्र मास का महत्व श्री दुर्गा सप्तशती
धर्म-अध्यात्म सृष्टि एवं विक्रमी नव संवत्सर हमारे इतिहास का एक गौरवपूर्ण दिन March 29, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हम संसार में यह भी देखते हैं कि संसार में जितने भी मत, सम्प्रदाय, वैदिक संस्कृति से इतर संस्कृतियां व सभ्यतायें हैं, वह सभी विगत 3-4 हजार वर्षों में ही अस्तित्व में आईं हैं जबकि सत्य वैदिक धर्म व संस्कृति एवं वैदिक सभ्यता विगत 1.96 अरब वर्षों से संसार में प्रचलित है। वैदिक धर्म ही सभी मनुष्यों का यथार्थ धर्म है, ज्ञान व विवेक पर आधारित, पूर्ण वैज्ञानिक, युक्ति एवं तर्क सिद्ध है। वेद के ईश्वरीय ज्ञान होने के कारण वैदिक सिद्धान्तों की पोषक अन्य मतों की मान्यतायें ही स्वीकार्य होती है, विपरीत मान्यतायें नहीं। Read more » विक्रमी नव संवत्सर