धर्म-अध्यात्म वैदिक जीवन और यौगिक जीवन परस्पर पर्याय हैं October 30, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सत्य का मण्डन और असत्य का खण्डन भी योगी के लिए आवश्यक होता है। जो मनुष्य असत्य का खण्डन करने के स्थान पर अपनी लोकैषणा व अन्य अवगुणों के लिए दुष्टों व दुर्दान्तों के प्रति भी अहिंसा का पोषण करता है वह योगी व सच्चा मनुष्य नहीं कहा जा सकता। श्री राम, श्री कृष्ण व ऋषि दयानन्द, इन तीनों महापुरुषों का जीवन ही आदर्श जीवन था जिनका पूरा पूरा अनुकरण योगी को करना चाहिये। योगी के लिए योग दर्शन सहित वेद, उपनिषद, दर्शन व वेदानुकूल मनुस्मृति आदि ग्रन्थों का अध्ययन व उसके अनुरूप व्यवहार भी आवश्यक है। Read more » यौगिक जीवन वैदिक जीवन
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म बटेश्वर का धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक इतिहास October 28, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 1 Comment on बटेश्वर का धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक इतिहास बटेश्वर की गुझिया, खोटिया, बताशा और शकरपाला प्रसिद्ध हैं। मेले के अवसर पर यहाँ बहुत चहल-पहल रहती है। पशुमेला तीन चरणों में पूरा होता है। पहले चरण में ऊँट, घोड़े और गधों की बिक्री होती है, दूसरे चरण में गाय आदि अन्य पशुओं की तथा अंतिम चरण में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मेला शुरू होने के एक सप्ताह पहले से ही पशु व्यापारी अपने पशु लेकर यहां पहुँचने लगते हैं। Read more » बटेश्वर बटेश्वर नाथ मंदिर
धर्म-अध्यात्म जानिए दीपावली के पूजन मुहूर्त वर्ष 2016 हेतु October 27, 2016 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment इस वर्ष 30 अक्टूबर 2016 को दीपावली का पर्व चित्रा और स्वाति नक्षत्र में , प्रीति योग कालीन प्रदोष, निशिथ काल एवं आंशिक काल के कारण महानिशीथ व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विशेष पुण्य दायक रहेगी । दीपावली पूजन में अमावस्या तिथि प्रदोष निशीथ एवं महानिशीथ काल तथा तुला का सूर्य और चंद्रमा विशेष महत्वपूर्ण […] Read more » Featured दीपावली दीपावली के पूजन मुहूर्त
धर्म-अध्यात्म जानिए धनतेरस 2016 के पूजन मुहूर्त को– October 27, 2016 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है। शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है । इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है। Read more » Featured धनतेरस धनतेरस 2016 के पूजन मुहूर्त
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार विविधा स्वच्छता व प्रकाश की प्रतीक दीपावली October 27, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। लोग कई दिनों पहले से ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ कर देते हैं, और सब अपने घरों, प्रतिष्ठानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। दिवाली के आते ही घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ सुथरा कर सजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि लक्ष्मी जी उसी घर में आती है यहाँ साफ-सफाई और स्वच्छता होती है। Read more » दीपावली स्वच्छता व प्रकाश की प्रतीक
कला-संस्कृति जन-जागरण धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार दीवाली उपहार है हिंदुत्व की परिभाषा की पुनर्स्थापना October 27, 2016 by प्रवीण गुगनानी | 1 Comment on दीवाली उपहार है हिंदुत्व की परिभाषा की पुनर्स्थापना हिन्दुस्थानियों के एक बड़े व महान पर्व दीवाली के एन पूर्व पिछले सप्ताह एक हलचल कारी घटना हुई , जिसनें हिन्दुओं की दीवाली पूर्व ही दीवाली मनवा दी हुआ यह कि देश केउच्चतम न्यायालय ने यह जांच प्रारम्भ की कि हिंदुत्व भारतीय जीवन शैली का हिस्सा है या फिर धर्म है. तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा दायर […] Read more » Deepawali Depawali Diwali Featured दीवाली हिंदुत्व हिंदुत्व की परिभाषा की पुनर्स्थापना
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म प्रकृति के रूप में महालक्ष्मी October 25, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment समुद्र-मंथन से लक्ष्मी तो प्रकट हुईं, लेकिन उल्लू के प्रकट होने का विवरण नहीं है। कहते हैं कि जब लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में प्रतिष्ठा मिल गई, तो उनकी स्थान-स्थान पर पूजा होने लग गई। इस कारण उन्हें अलग वाहन की आवष्यकता अनुभव होने लगी। Read more » Featured महालक्ष्मी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार अंधेरे पर प्रकाश की जीत का पर्व है दीपावली October 25, 2016 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment दीपावली का धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है. दीपावली पर खेतों में खड़ी खरीफ़ की फसल पकने लगती है, जिसे देखकर किसान फूला नहीं समाता. इस दिन व्यापारी अपना पुराना हिसाब-किताब निपटाकर नये बही-खाते तैयार करते हैं. Read more » Featured अंधेरे पर प्रकाश की जीत का पर्व है दीपावली
धर्म-अध्यात्म बलिवैश्वदेव महायज्ञ के उद्देश्य, विधि एवं होने वाले लाभों पर विचार October 22, 2016 / October 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment बलिवैश्वदेव यज्ञ का अन्तिम विधान करते हुए ऋषि दयानन्द जी ने ‘शुनां च पतितानां च श्वपचां पापरोगिणाम्। वायसानां कृमीणां च शनकैर्निर्वपेेद् भुवि।।’ को प्रस्तुत कर लिखा है कि बलिदान के 16 मन्त्रांे के बाद छः भागों को लिखते हैं। इस श्लोक का भाषार्थ करते हुए ऋषि लिखते हैं कि कुत्तों, कंगालों, कुष्ठी आदि रोेगियों, काक आदि पक्षियों और चींटी आदि कृमियों के लिए छः भाग अलग-अलग बांट के दे देना और उनकी प्रसन्नता सदा करना। Read more » बलिवैश्वदेव महायज्ञ
धर्म-अध्यात्म नारी के पति के प्रति व्रत व कर्तव्य विषयक ईश्वर की वेदाज्ञा October 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों व वैदिक साहित्य में किन्हीं विशेष तिथियों पर भूखे रह कर व्रत व उपवास करने का विधान नहीं पाया जाता। न तो ईश्वर न अन्य कोई ऐसा चेतन व जड़ देवता है जिसे व्रत व उपवास अर्थात् दिन में एक बार भोजन न कर प्रसन्न किया जा सकता हो। व्रत कहते हैं किसी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए संकल्प को धारण करने के लिए जिससे वह संकल्प रात दिन हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहे और वह संकल्पित कार्य शीघ्र पूरा हो सके। Read more » नारी नारी के पति के प्रति व्रत
धर्म-अध्यात्म योग साधना से ईश्वर की प्राप्ति ही मनुष्य जीवन का प्रमुख उद्देश्य October 19, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ऋषि दयानन्द योग विषयक अपने व्याख्यान में सत्यार्थप्रकाश के सप्तम् समुल्लास में कहते हैं कि जो उपासना (अर्थात् योग) करना चाहे, उसके लिये यही आरम्भ है कि वह किसी से वैर न रक्खे। सर्वदा सब से प्रीति करे। सत्य बोले। मिथ्या कभी न बोले। चोरी न करे। सत्य व्यवहार करे। जितेन्द्रिय हो। लम्पट न हो और निरभिमानी हो। अभिमान कभी न करे। Read more » ईश्वर की प्राप्ति मनुष्य जीवन का प्रमुख उद्देश्य योग योग साधना
धर्म-अध्यात्म लोकभाषा हिन्दी में धर्म प्रचार करने वाले प्रथम धर्म प्रचारक स्वामी दयानन्द October 17, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द के धर्म प्रचार काल में देश में मूर्तिपूजा, फलित ज्योतिष, मृतक श्राद्ध सहित सामाजिक कुरीतियां, सामाजिक असमानता एव समाज के लोगों में जन्मना जातिवाद, छुआ-छूत वा अस्पर्शयता, ऊंच-नीच आदि भेदभाव, बाल विवाह, सतीप्रथा, बाल विधवाओं की दुर्दशा, बेमेल विवाह आदि प्रथायें एवं परम्परायें प्रचलित थी जिससे समाज सुदृण न होकर रूग्ण, बलहीन व प्रभावहीन हो गया था जिसका लाभ मुगल व अंग्रजों ने उठाया और देश को गुलाम बनायाा। Read more » धर्म प्रचारक स्वामी दयानन्द हिन्दी में धर्म प्रचार हिन्दी में धर्म प्रचार करने वाले प्रथम धर्म प्रचारक स्वामी दयानन्द