Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म

लोकभाषा हिन्दी में धर्म प्रचार करने वाले प्रथम धर्म प्रचारक स्वामी दयानन्द

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महर्षि दयानन्द के धर्म प्रचार काल में देश में मूर्तिपूजा, फलित ज्योतिष, मृतक श्राद्ध सहित सामाजिक कुरीतियां, सामाजिक असमानता एव समाज के लोगों में जन्मना जातिवाद, छुआ-छूत वा अस्पर्शयता, ऊंच-नीच आदि भेदभाव, बाल विवाह, सतीप्रथा, बाल विधवाओं की दुर्दशा, बेमेल विवाह आदि प्रथायें एवं परम्परायें प्रचलित थी जिससे समाज सुदृण न होकर रूग्ण, बलहीन व प्रभावहीन हो गया था जिसका लाभ मुगल व अंग्रजों ने उठाया और देश को गुलाम बनायाा।

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कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म

धन समृधि के अचूक टोटके—-

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अक्षय तृतीया या किसी भी शुक्रवार की रात्रि को कांसे या पीतल की थाली में काजल लगाकर काली कर दें और फिर चांदी की शलाका से लक्ष्मी का चित्र बनाएं चाहे वह कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें और एक निष्ठ होकर, मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार दिषा की ओर मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार दीपक बनाए और उसमें किसी भी प्रकार का तेल भरकर प्रज्जवलित करें और थाली के चारों कोनों पर रखे मूंगों की माला से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र जप करें। ओउम्ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ह्री ...

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