धर्म-अध्यात्म श्रीकृष्ण परमात्मा के अवतार नहीं वरन महान योगी थे July 8, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 1 Comment on श्रीकृष्ण परमात्मा के अवतार नहीं वरन महान योगी थे अशोक “प्रवृद्ध” यह सर्वमान्य तथ्य है कि श्रीमद्भगवद्गीता का पूर्ण कथन उपनिषदादि ग्रंथों पर आधारित है। स्वयं श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता के तेरहवें अध्याय के चौथे श्लोक में यह स्वीकार किया है कि जो कुछ भी इस प्रवचन में कहा गया है, वही वेदों में, ऋषियों ने बहुत प्रकार से गान किया है और ब्रह्मसूत्रों में […] Read more » महान योगी श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण परमात्मा के अवतार
धर्म-अध्यात्म ईश्वर से प्रार्थना क्या, क्यों व कैसे?’ July 8, 2015 by मनमोहन आर्य | 7 Comments on ईश्वर से प्रार्थना क्या, क्यों व कैसे?’ प्रार्थना एक प्रकार की विनती है जो हम किसी वस्तु को किन्हीं दूसरों से मांगने के लिए करते हैं। ईश्वर संसार में सबसे बड़ी, शक्तिशाली, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, सर्वज्ञ व सर्वव्यापक गुणों वाली सत्ता है। हम उससे बुद्धि, ज्ञान, शक्ति व बल, धन व ऐश्वर्य आदि की प्रार्थना कर सकते हैं और वह हमें प्राप्त भी […] Read more » ‘ईश्वर से प्रार्थना क्या how to pray god? why to pray god?
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द, वेद प्रचार और देश को स्वतन्त्रता की प्राप्ति July 6, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त का दिन देश का स्वतन्त्रता दिवस है। सन् 1947 में इसी दिन भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति व स्वतन्त्रता मिली थी। यद्यपि यह स्वतन्त्रता है परन्तु हमें यह भी याद रखना चाहिये कि इस दिन से एक दिन पहले 14 अगस्त, 1947 को भारत […] Read more »
धर्म-अध्यात्म योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र, भागवतादि पुराण और महर्षि दयानन्द’ July 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र, भागवतादि पुराण और महर्षि दयानन्द’ श्रीकृष्ण योगेश्वर थे, महात्मा थे, महावीर और धर्मात्मा थे। महाभारत में उनके इसी स्वरूप के दर्शन होते हैं। यद्यपि मध्यकाल में महाभारत में भारी प्रक्षेप हुए हैं परन्तु फिर भी उसमें श्रीकृष्ण जी पर ऐसे घिनौने आरोप नहीं लगाये जैसे भागवत व अन्य पुराणों में लगाये गये हैं। इससे हमारा सनातन वैदिक धर्म बदनाम हुआ […] Read more » भागवतादि पुराण महर्षि दयानन्द योगेश्वर श्रीकृष्ण का चरित्र
धर्म-अध्यात्म भारत के लिए मानव संस्कृति का विकास बहुत जरुरी है-विवेकानंद July 3, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment स्वामी विवेकानंद(जन्म: 12 जनवरी,1863 – मृत्यु: 4 जुलाई,1902) शैलेन्द्र चौहान “जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो। उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो।’ जो बातों का बादशाह नही, बल्कि उसे करके दिखाता है। वही प्रेरक इतिहास रचता है।“ विवेकानन्द […] Read more » मानव संस्कृति का विकास विवेकानंद
धर्म-अध्यात्म ईश्वर हमें तीन सौ वर्ष की आयु प्रदान करें June 29, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं व आनन्द की सामग्री से सम्पन्न हो। इसके साथ ही वह दीघार्यु भी होना चाहता है। दीघार्यु हमारे पूर्व जन्म व इस जन्म में किये गए शुभ व पुण्य कर्मो का परिणाम होती है। मनुष्य को […] Read more » ईश्वर तीन सौ वर्ष की आयु
धर्म-अध्यात्म विविधा सृष्टि के रहस्यों के ज्ञान का सरलतम उपाय सत्यार्थ-प्रकाश का अध्ययन June 27, 2015 / June 27, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को ईश्वर ने जो मानव शरीर दिया है वह पांच ज्ञान इन्द्रिय, पांच कर्म इन्द्रिय, मन व बुद्धि सहित अनेक अंगों व उपांगों से युक्त है। बुद्धि व मन दो ऐसे अवयव हैं जो अपना-अपना कार्य करते हैं, अन्य सभी भी स्वतः करते हैं। मन आत्मा के संस्कारों, प्रवृत्तियों व ज्ञान […] Read more » Featured सत्यार्थ-प्रकाश सत्यार्थ-प्रकाश का अध्ययन सृष्टि के रहस्यों के ज्ञान का सरलतम उपाय
धर्म-अध्यात्म विविधा मतलब की दुनिया सारी June 27, 2015 / June 27, 2015 by डॉ प्रवीण तिवारी | Leave a Comment कैफी आजमी साहब की मशहूर गजल देखी जमाने की यारी…. को मैं बहुत पसंद किया करता था उसकी पहली चार पंक्तियां कुछ इस तरह हैं…. देखी जमाने की यारी, बिछड़े सभी बारी बारी क्या लेके मिले अब दुनियाँ से, आँसू के सिवा कुछ पास नहीं या फूल ही फूल थे दामन में, या काँटों की […] Read more » मतलब की दुनिया सारी
धर्म-अध्यात्म विविधा पिण्डदान से ज्यादा जरूरी है जीते जी आसक्ति का त्याग June 27, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य बात अपनी हो या अपने किसी परिजन, ईष्ट मित्र या सहयोगियों की। लागू सभी पर होती है। आमतौर पर हर इंसान की यही इच्छा होती है कि मरने के बाद उसकी उत्तर क्रिया, पिण्डदान, गंगा में अस्थि विसर्जन, तमाम प्रकार के श्राद्ध और तिथियों पर जो कुछ करना है उसमें कहीं […] Read more » Featured आसक्ति का त्याग पिण्डदान
धर्म-अध्यात्म जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म June 24, 2015 / June 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- वेदों का अध्ययन करने पर हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर ने हमारे लिए ही यह सृष्टि बनाई है और इसमें हमारे सुख के लिए नाना प्रकार के पदार्थ बनाकर हमें निःशुल्क प्रदान किये हैं। यही नहीं, हमारा शरीर भी हमें ईश्वर से निःशुल्क प्राप्त हुआ है जिसका आधार हमारे पूर्व […] Read more » Featured जन्म-मरण से छूटने का एक ही उपाय वैदिक सन्ध्या और नित्यकर्म महर्षि दयानंद वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा ‘समाज में बढ़ता पाखण्ड व ठगी और अन्धकारनाशक वेदविद्या’ June 20, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमारे देश के पतन के कारणों में मुख्य कारण था विद्या का ह्रास तथा अन्धविश्वासों व पाखण्डों की वृद्धि। वर्तमान में देश में जो उन्नति देखी जा रही है वह विद्या की कुछ उन्नति व अन्धविश्वासों व पाखण्डों में कुछ कमी के कारण है। महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने देश की अवनति के कारणों को […] Read more » ‘समाज में बढ़ता पाखण्ड व ठगी और Featured अन्धकारनाशक वेदविद्या’ वेदविद्या समाज में बढ़ता ठगी समाज में बढ़ता पाखण्ड
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म विविधा एक ईश्वर के अनेक नामों का आधार June 19, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on एक ईश्वर के अनेक नामों का आधार मनमोहन कुमार आर्य जिस प्रकार से नेत्रहीन मनुष्य संसार के दृश्यों के बारे में कल्पनायें करता है उसी प्रकार लगता है कि हमारे अल्पज्ञानी लोगों ने ईश्वर व धर्म के बारे में कल्पायें कीं और अपने ज्ञान के अनुरूप ही ईश्वर का स्वरूप भी निर्धारित किया। ज्ञान की वृद्धि के लिए ज्ञान चर्चा, शंका-समाधान, अनुसंधान […] Read more » Featured अनेक नामों का आधार ईश्वर के अनेक नाम एक ईश्वर