धर्म-अध्यात्म अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना May 14, 2015 / May 14, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना -अशोक “प्रवृद्ध”- अवतार यानि अवतरित होना न कि जन्म लेना, प्रकट होना जिस प्रकार क्रोध प्रकट होता है वह अवतरित नहीं होता उसे तो अहंकार जन्म देता है परन्तु अवतार का जन्म नहीं होता जन्म दो के संयोग से प्राप्त होता है, जैसे अहंकार और इर्ष्या का संयोग क्रोध जन्मता है | लोक मान्यता है […] Read more » Featured अवतार अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना धर्म महर्षि महापुराण
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल May 12, 2015 / May 12, 2015 by बी एन गोयल | 7 Comments on दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल -बीएन गोयल- पांचवीं और नवीं शताब्दियों के बीच दक्षिण भारत के तमिल भाषी क्षेत्र में आलवार संतों ने भक्तिभाव की एक ऐसी दीपशिखा प्रज्वलित की कि उस से न केवल भारत वरन पूरा महाद्वीप आलोकित हो उठा । आलवार शब्द का तमिल अर्थ है – एक ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर भक्ति में सराबोर हो गया […] Read more » Featured दक्षिण भारत दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल मंदिर
धर्म-अध्यात्म अहम् की लड़ाई और जीवन पुष्प May 12, 2015 / May 12, 2015 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- जब महाभारत युद्ध समाप्त हो गया तो पांचों पाण्डव और श्रीकृष्ण जी माता गांधारी के पास गये। जिन्होंने अपने पुत्रों के लिए करूणाजनक शब्दों में विलाप किया उसके विलाप को देखकर युधिष्ठिर का हृदय द्रवीभूत हो उठा। उन्होंने माता गांधारी के सामने बैठकर कहा-‘‘देवी! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर […] Read more » Featured अहम् की लड़ाई और जीवन पुष्प पांडव महाभारत श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक May 9, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक –मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग एवं शुभकर्मों को करके धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति करना है। यह ज्ञान केवल वेदों वा महर्षि दयानन्द के वैदिक विचारों के अध्ययन से ही ज्ञात व प्राप्त होता है। अन्य मतों वा तथाकथित धर्मों में इस विषय का न […] Read more » Featured अघमर्षण मन्त्र पाप पाप से बचाव
धर्म-अध्यात्म प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? May 7, 2015 / May 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें? –मनमोहन कुमार आर्य– -वैदिक जीवन का एक नित्य कर्तव्य- वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्य वेदों के अनुसार ही जीवन व्यतीत करते आयें हैं। रात्रि को मनुष्यों को कब सोना चाहिये, प्रातः काल कब जागना चाहिये और प्रथम क्या कर्तव्य हैं, इसका उल्लेख वेदों के आधार पर महर्षि दयानन्द […] Read more » Featured ईश्वर दयानंद सरस्वती प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें ? वेद
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें May 6, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– आर्य समाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण कि संसार में वेद ज्ञान की भांति ऐसा कोई ज्ञान व शिक्षा नहीं है जो वेदों के समान मनुष्यों के लिए उपयोगी व कल्याणप्रद हो। वेद ईश्वर के सत्य ज्ञान का भण्डार हैं […] Read more » Featured आर्य समाज आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें दयानंद सरस्वती वेद
धर्म-अध्यात्म विविधा जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है May 5, 2015 / May 5, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य– यदि वेद न होते तो संसार के मनुष्यों को यह कदापि ज्ञान न होता कि मनुष्य कौन व क्या है? यह संसार क्यों, कब व किससे बना, मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है और उस उद्देश्य की प्राप्ति के साधन क्या-क्या हैं? वेद एक प्रकार से कर्तव्य शास्त्र के ग्रन्थ हैं जो […] Read more » Featured जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है जीवन कर्म वेद
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द, आर्य समाज और गुरूकुलीय शिक्षा May 5, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द ने मुख्यतः वेद प्रचार के लिए ही आर्यसमाज की स्थापना की थी। यह बातें गौण हैं कि यह स्थापना कहां की गई या कब की गई थी। किसी संस्था के गठन का उद्देश्य ही महत्वपूर्ण होता है। इसका उत्तर महर्षि दयानन्द ने स्वयं आर्यसमाज के 10 नियमों में से तीसरे […] Read more » Featured आर्य समाज गुरूकुलीय शिक्षा महर्षि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे ? May 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 9 Comments on महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे ? महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो ईश्वर […] Read more » Featured महात्मा बुद्ध
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (7) कनक दास May 2, 2015 / May 2, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल आरिगारील्ल आपत्काल दौलगे – वारिजाशन नाम नेने कंडया मन वे। … … विपत्ति के समय कोई किसी का नहीं होता, हे मूर्ख मना, तू भगवान के नाम का स्मरण कर – जब तू भूख से तड़प रहा हो, जब बैरी तुझे चारों ओर से घेर लें जब बीमार होने पर शरीर […] Read more » Featured कनक दास दक्षिण भारत के संत
धर्म-अध्यात्म आर्य सुधारक थे महात्मा बुद्ध May 2, 2015 / May 2, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बारे में यह माना जाता है कि वह आर्य मत वा वैदिक धर्म के आलोचक थे एवं बौद्ध मत के प्रवर्तक थे। उन्हें वेद विरोधी और नास्तिक भी चित्रित किया जाता है। हमारा अध्ययन यह कहता है कि वह वेदों को मानते थे तथा ईश्वर व जीवात्मा के […] Read more » buddhबौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध Featured आर्य सुधारक बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध वैदिक धर्म के आलोचक थे
धर्म-अध्यात्म हिन्दू-बौद्ध संयुक्त रूप में आज भी विश्वगुरु हैं हम May 2, 2015 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment बुद्ध जयंती अर्थात बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक या हनमतसूरी बौद्ध धर्मावलम्बियों के साथ साथ सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण, आस्था जन्य और उल्लासपूर्वक मनाया जानें वाला पर्व है. भगवान् बुद्ध के अवतरण का यह पर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन पड़ता है. विश्व के अनेक भागों में फैले हुए बौद्ध मतावलंबी इस पर्व को […] Read more » Featured अष्टांग मार्ग बुद्ध जयंती बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध बौद्ध धर्म हिन्दू-बौद्ध हिन्दू-बौद्ध संयुक्त