धर्म-अध्यात्म गौतम-अहिल्या-इन्द्र आख्यान का यथार्थ स्वरूप May 19, 2015 / May 19, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on गौतम-अहिल्या-इन्द्र आख्यान का यथार्थ स्वरूप -मनमोहन कुमार आर्य- रामायण में गौतम-अहिल्या का एक प्रसंग आता है जिसमें कहा गया है कि राजा इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या से जार कर्म किया था। गौतम ने उसे देख लिया और इन्द्र तथा अहिल्या को श्राप दिये। रामायण के पाठक इसे पढ़कर इस घटना को सत्य मान लेते हैं। क्या यह […] Read more » Featured अहल्य इन्द्र गौतम गौतम-अहिल्या-इन्द्र आख्यान का यथार्थ स्वरूप रात्रि सूर्य
धर्म-अध्यात्म ब्रह्माण्ड में यदि एक सर्वव्यापक व सर्वशक्तिमान ईश्वर न होता ? May 19, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- क्या संसार में ईश्वर जैसी कोई सर्वव्यापक व सर्वशक्तिमान चेतन सत्ता है? यदि है तो वह प्रत्यक्ष दिखाई क्यों नहीं देती? यदि वह वस्तुतः है तो फिर हमारे अधिकांश वैज्ञानिक व साम्यवादी विचारधारा के लोग ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार क्यों नहीं करते? हमारे देश में बौद्ध एवं जैनमत का आविर्भाव हुआ। […] Read more » Featured ब्रह्माण्ड ब्रह्माण्ड में यदि एक सर्वव्यापक व सर्वशक्तिमान ईश्वर न होता ? सर्वशक्तिमान ईश्वर
धर्म-अध्यात्म एकलव्य- ऋण May 16, 2015 / May 16, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment -गंगानंद झा- एकलव्य का सपना था कृति धनुर्धर होने का । यह भील बालक के लिए असामान्य सपना था; तत्कालीन व्यवस्था के लिए एक चुनौती; एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से इनकार कर दिया था । पर वह हताश नहीं हुआ। उसने द्रोण की एक माटी की मूरत बना ली और जंगल में ही […] Read more » Featured एकलव्य एकलव्य- ऋण धनुर्धर
धर्म-अध्यात्म विविधा सृष्टि में मनुष्य जन्म क्यों होता आ रहा है ? May 16, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य- हम संसार में जन्में हैं। हमें मनुष्य कहा जाता है। मनुष्य शब्द का अर्थ मनन व चिन्तन करने वाला प्राणी है। संसार में अनेक प्राणी हैं परन्तु मनन करने वाला प्राणी केवल मनुष्य ही है। मनुष्य का जन्म-माता व पिता से होता है। यह दोनों मनुष्य के जन्म में मुख्य कारण वा […] Read more » Featured पुनर्जन्म ब्रह्मांड मनुष्य का जन्म सृष्टि सृष्टि में मनुष्य जन्म क्यों होता आ रहा है ?
धर्म-अध्यात्म महात्मा प्रभु आश्रित का आदर्श जीवन और उनके कुछ प्रेरक विचार May 16, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महात्मा प्रभु आश्रित जी आर्यसमाज के उच्च कोटि के साधक व वैदिक विचारधारा मुख्यतः यज्ञादि के प्रचारक थे। उनका जन्म 13 फरवरी, 1887 को जिला मुजफ्फरगढ़ (पाकिस्तान) के जतोई नामक ग्राम में श्री दौलतराम जी के यहां हुआ था। महात्मा जी के ब्रह्मचर्य आश्रम का नाम श्री टेकचन्द था। वानप्रस्थ आश्रम की […] Read more » Featured महात्मा प्रभु महात्मा प्रभु आश्रित का आदर्श जीवन और उनके कुछ प्रेरक विचार विचार
धर्म-अध्यात्म यदि महर्षि दयानन्द सरस्वती जोधपुर न जाते ? May 14, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on यदि महर्षि दयानन्द सरस्वती जोधपुर न जाते ? –मनमोहन कुमार आर्य– महर्षि दयानन्द मई, 1883 के अन्त में शाहपुरा से जोधपुर गये थे। वहां आने के लिए उनको जोधपुर रियासत की ओर से निमन्त्रण मिला था। स्वामीजी को शाहपुराधीश श्री नाहरसिंह जी ने जोधपुर जाने से पूर्व वहां जाते समय संकेत करते हुए कहा था कि यह अच्छा होगा यदि वह जोधपुर में […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द सरस्वती यदि महर्षि दयानन्द सरस्वती जोधपुर न जाते ?
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण May 14, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -‘वेद परिवार के सब सदस्यों के हृदयों व मनों की एकता का सन्देश देते हैं’- –मनमोहन कुमार आर्य– वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ईश्वर प्रदत्त होने के कारण ही सब सत्य विद्याओं से युक्त सर्वांगपूर्ण ज्ञान है। अतः वेदों को पढ़ना व दूसरों को पढ़ाना व प्रचार करना सब विचारशील मनुष्यों का […] Read more » Featured दयानंद सरस्वती वेद वेदाध्ययन से जीवन का कल्याण वैदिक
धर्म-अध्यात्म आद्य सृष्टा, पितामह ब्रह्मा अर्थात प्रजापति May 14, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment िाोूहीा्-अशोक “प्रवृद्ध”- वैदिक ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा प्रजापति को कहते हैंl शतपथ ब्राह्मण के षष्ठ काण्ड के प्रथम अध्याय में प्रजापति की उत्पति के सम्बन्ध में उल्लेख करते हुए कहा गया है – पहले सब असत् अर्थात अव्यक्त ही थाl वह असत् क्या था? असत् ऋषि ही थेl अव्यक्त रूप परमाणु थेl उनको ही ऋषि […] Read more » Featured आद्य सृष्टा पितामह ब्रह्मा पितामह ब्रह्मा अर्थात प्रजापति प्रजापति
धर्म-अध्यात्म अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना May 14, 2015 / May 14, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना -अशोक “प्रवृद्ध”- अवतार यानि अवतरित होना न कि जन्म लेना, प्रकट होना जिस प्रकार क्रोध प्रकट होता है वह अवतरित नहीं होता उसे तो अहंकार जन्म देता है परन्तु अवतार का जन्म नहीं होता जन्म दो के संयोग से प्राप्त होता है, जैसे अहंकार और इर्ष्या का संयोग क्रोध जन्मता है | लोक मान्यता है […] Read more » Featured अवतार अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना धर्म महर्षि महापुराण
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल May 12, 2015 / May 12, 2015 by बी एन गोयल | 7 Comments on दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल -बीएन गोयल- पांचवीं और नवीं शताब्दियों के बीच दक्षिण भारत के तमिल भाषी क्षेत्र में आलवार संतों ने भक्तिभाव की एक ऐसी दीपशिखा प्रज्वलित की कि उस से न केवल भारत वरन पूरा महाद्वीप आलोकित हो उठा । आलवार शब्द का तमिल अर्थ है – एक ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर भक्ति में सराबोर हो गया […] Read more » Featured दक्षिण भारत दक्षिण भारत के संत (8) साध्वीअंडाल मंदिर
धर्म-अध्यात्म अहम् की लड़ाई और जीवन पुष्प May 12, 2015 / May 12, 2015 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment -राकेश कुमार आर्य- जब महाभारत युद्ध समाप्त हो गया तो पांचों पाण्डव और श्रीकृष्ण जी माता गांधारी के पास गये। जिन्होंने अपने पुत्रों के लिए करूणाजनक शब्दों में विलाप किया उसके विलाप को देखकर युधिष्ठिर का हृदय द्रवीभूत हो उठा। उन्होंने माता गांधारी के सामने बैठकर कहा-‘‘देवी! आपके पुत्रों का संहार करने वाला क्रूरकर्मा युधिष्ठिर […] Read more » Featured अहम् की लड़ाई और जीवन पुष्प पांडव महाभारत श्रीकृष्ण
धर्म-अध्यात्म पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक May 9, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक –मनमोहन कुमार आर्य- मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग एवं शुभकर्मों को करके धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति करना है। यह ज्ञान केवल वेदों वा महर्षि दयानन्द के वैदिक विचारों के अध्ययन से ही ज्ञात व प्राप्त होता है। अन्य मतों वा तथाकथित धर्मों में इस विषय का न […] Read more » Featured अघमर्षण मन्त्र पाप पाप से बचाव