चिंतन वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें April 26, 2012 / April 26, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें डॉ. दीपक आचार्य वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें भविष्य की आशंकाओं से मुक्त रहे जो लोग आज को सामने रखकर प्रसन्नता का भाव रखते हैं वे जीवन में भविष्य की समस्याओं से मुक्त रहते हैं। जिसका वर्तमान अच्छा होता है उसका भविष्य अपने आप अच्छा होता चला जाता है। इसलिए वर्तमान की प्रत्येक घटना को […] Read more » be happy in present वर्तमान को प्रसन्नता से स्वीकारें
चिंतन औरों पर न थोपें अपनी कार्यशैली दूसरों की मौलिकता को भी दें आदर April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य जब से आत्म मूल्यांकन, चिंतन और विश्लेषण की प्रवृत्तियाँ समाप्त हो चली हैं, हमारे यहाँ हर क्षेत्र में स्वयं को महानतम बुद्धिमान और योग्यतम समझने का शौक दूर-दूर तक अपने पाँव पसार चुका है। कहीं भी आदमी की योग्यता की कोई कसौटी नहीं रही। व्यक्तित्व की ऊँचाइयों को दर्शाने वाले मानदण्ड […] Read more » conclusion चिंतन मूल्यांकन विश्लेषण
चिंतन दुर्भाग्य के साये में जीते हैं पेढ़ियों पर बैठने वाले April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य हमारा बैठना-उठना भी हमारे व्यक्तित्व और भविष्य का संकेत देता है। आम तौर पर मनुष्य को निरन्तर कर्मशील रहना चाहिए और जो ऐसा नहीं कर पाते हैं और समय गुजारने के लिए अवसर और स्थान तलाशते रहते हैं वे अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को खो देते हैं और टाईमपास जिन्दगी […] Read more » badluck दुर्भाग्य
चिंतन समस्याओं के वक्त स्नेह का सम्बल दें, उपेक्षा और प्रताड़ना का भाव त्यागें April 24, 2012 / April 24, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on समस्याओं के वक्त स्नेह का सम्बल दें, उपेक्षा और प्रताड़ना का भाव त्यागें – डॉ. दीपक आचार्य समस्याएँ हर किसी के जीवन में सामने आती हैं। मनुष्य के जीवन में समस्याओं और इच्छाओं का कोई अंत नहीं है ये सागर की तरह गहरी और आसमान की तरह विराट व्यापक हैं। कई पीड़ाएं और समस्याएं पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम होती हैं तो कुछ वर्तमान जन्म के असंयम […] Read more » problems wishes इच्छाओं समस्याओं
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्तमान समय में राम की प्रासांगिकता April 23, 2012 by राजीव गुप्ता | 2 Comments on वर्तमान समय में राम की प्रासांगिकता राजीव गुप्ता विश्व गुरु बनने का सपना संजोने वाली अधिकांश भारतीय संततियों का ध्येय जब अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए राष्ट्र हितों के मानक मूल्यों से समझौता करने तक की तरफ अग्रसर होने लगे तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हमने अब अपने पुरखों की दी हुए विरासत को नीलाम करना शुरू कर […] Read more » importance of ram in present scenario राम की प्रासांगिकता
धर्म-अध्यात्म कट्टरपंथी अपने ही संप्रदाय के दुश्मन ! April 22, 2012 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on कट्टरपंथी अपने ही संप्रदाय के दुश्मन ! तनवीर जाफरी पूरी दुनिया में इन दिनों उदारवाद बनाम कट्टरपंथ रूपी एक विश्वव्यापी बहस छिड़ी हुई है। तमाम कट्टरपंथी व रूढ़ीवादी अपने अपने स प्रदायों (धर्मों)को सर्वोच्च या सर्वोपरि बताने की होड़ में लगे हैं। वैसे तो इस बात में कोई हर्ज भी नहीं है यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म, विश्वास अथवा संप्रदाय को उत्तम […] Read more » कट्टरपंथी
चिंतन शांत चित्त ही दे सकता है सुकून April 22, 2012 / April 22, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य शोरगुल में रमना पागलपन से कम नहीं, आज का सफर कई जोखिमों से भरा हो चला है। जोखिम बाहर के भी हैं और भीतर के भी। कई जोखिम दुर्भाग्यजनित हैं तो कई मानवजनित। अनायास आ टपकने वाले जोखिमों के बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता मगर मानवजनित हरकतें खतरनाक से कम […] Read more » be quiet and peaceful
धर्म-अध्यात्म निर्मल बाबा की कृपा का कारोबारी चमत्कार April 20, 2012 / April 20, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment दिव्य आंख का अवतरण बनाम पेड न्यूज प्रमोद भार्गव टीवी समाचार चैनलों पर ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ नाम से विज्ञापन दिखाकर भक्तों पर दिव्य कृपा बरसाने का दावा करने वाले निर्मल बाबा अब खुद कठघरे में हैं। बाबा को मुश्किल में वही भक्त डाल रहे हैं, जिनका कष्ट वे तीसरी आंख की दिव्य त्रिकाल […] Read more » निर्मल बाबा.
धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख राजनीति हिन्दू संस्थाओं पर राजनीतिक भेद-भाव : शंकर शरण April 20, 2012 / April 20, 2012 by शंकर शरण | 1 Comment on हिन्दू संस्थाओं पर राजनीतिक भेद-भाव : शंकर शरण डॉ. भीमराव अंबेदकर ने कहा था कि हमारा संविधान सेक्यूलर नहीं क्योंकि “यह विभिन्न समुदायों के बीच भेद-भाव करता है।” यह तब की बात है, जब संविधान की प्रस्तावना में छेड़-छाड़ नहीं हुई थी। आज इस बिन्दु पर, धार्मिक भेद-भाव और सेक्यूलरिज्म पर, एक दोहरी विडंबना पैदा हो चुकी है। एक ओर सन् 1976 में […] Read more » धर्मनिरपेक्षता हिंदू संस्था
धर्म-अध्यात्म मीडिया पूंजीवादी अंधविश्वास और प्रौपेगैण्डा का संगम हैं निर्मल बाबा : जगदीश्वकर चतुर्वेदी April 20, 2012 / April 27, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on पूंजीवादी अंधविश्वास और प्रौपेगैण्डा का संगम हैं निर्मल बाबा : जगदीश्वकर चतुर्वेदी निर्मल बाबा के टीवी विज्ञापनों और बेशुमार सालाना आमदनी को लेकर हठात मीडिया ने ध्यान खींचा है। मीडिया में चल रही बहस के दो आयाम हैं, पहला, मीडिया का एक वर्ग निर्मल बाबा के धर्म के धंधे की आलोचना कर रहा है और उन्होंने जो दौलत कमाई है उसके अन्य कामों में इस्तेमाल करने पर […] Read more »
चिंतन खान-पान में शुचिता रखें, April 19, 2012 / April 19, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ.दीपक आचार्य खान-पान में शुचिता रखें,दृष्टिदोष से बचें पुराने जमाने से हमारे जीवन में मर्यादाओं की परिधियां चली आ रही हैं। आधुनिक लोग भले ही इन्हें कुछ भी कहें मगर सच तो यह है कि ये सारी मर्यादाएँ हमारे सम्पूर्ण जीवन के लिए अभेद्य सुरक्षा कवच का काम करती हैं और जीवन में सुरक्षित एवं […] Read more » how to eat food where to eat food खान-पान में शुचिता रखें
धर्म-अध्यात्म निर्मल बाबा के बहाने हिन्दू धर्म पर निशाना क्यों? April 19, 2012 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 8 Comments on निर्मल बाबा के बहाने हिन्दू धर्म पर निशाना क्यों? अपने गिरेबां में भी तो झांकिये — अम्बा चरण वशिष्ठ निर्मल बाबा महान् हैं या गिरे हुये इन्सान, यह तो वही बता सकता है जो उनके सम्पर्क में आया हो या जिसने उन्हें आज़माया हो। पर उनके बहाने हिन्दू धर्म या सारे साधू-सन्त समाज को ही निशाने पर रख कर सब को ही ढोंगी या […] Read more » अंधविश्वास निर्मल बाबा.