धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३४ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) October 1, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति) विपिन किशोर सिन्हा हिमालय और गंधमादन पर्वत को लांघते हुए अति शीघ्र मैं इन्द्रकील पर्वत पर पहुंचा। मुझे देवराज इन्द्र का साक्षात्कार हुआ। उनके परामर्श पर मैंने तपस्या आरंभ की – देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने हेतु। मैंने घोर तपस्या की। अन्ततः भगवान शंकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद के रूप […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३३ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 28, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (वन में पाण्डवों की श्रीकृष्ण से भेंट) विपिन किशोर सिन्हा तीन दिन की पदयात्रा के पश्चात हमलोग काम्यकवन पहुंचे। वन की हरीतिमा, मृदु जल के सरोवर, पक्षियों के संगीत और दूर तक विस्तृत शान्त वातावरण ने हम सभी के व्यथित मन को कुछ शान्ति प्रदान की। लेकिन मन पूरी तरह शान्त कहां हो पा रहा […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-३३
धर्म-अध्यात्म उनकी दुआओं से ही बरसती हैं रहमतें September 27, 2011 / December 6, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment पितृमोक्ष अमावस्या (27 सितंबर) पर विशेषः संजय द्विवेदी बुर्जुगों की दुआएं और पुरखों की आत्माएं जब आशीष देती हैं तो हमारी जिंदगी में रहमतें बरसने लगती हैं। धरती पर हमारे बुर्जुग और आकाश से हमारे पुरखे हमारी जिंदगी को रौशन करने के लिए दुआ करते हैं। उनकी दुआओं-आशीषों से ही पूरा घर चहकता है। किलकारियों […] Read more » पितृमोक्ष
धर्म-अध्यात्म वृद्धाश्रम, श्राद्ध की संस्कृति को मरणामंत्रण September 27, 2011 / December 6, 2011 by कुन्दन पाण्डेय | 1 Comment on वृद्धाश्रम, श्राद्ध की संस्कृति को मरणामंत्रण कुन्दन पाण्डेय श्राद्ध का अर्थ होता है, श्रद्धा से जो कुछ दिया जाय। किन्तु आज-कल श्राद्ध का अर्थ है पितरों के उद्देश्य से पिण्डदानादि की क्रिया। अपने भारतीय पंचांग के आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिप्रदा से अमावस्या तक के दिनों को ‘पितृपक्ष या महालय पक्ष’ कहते हैं। इस समय में अपने पूर्वजों-पितरों की […] Read more » oldage home श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३२ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 27, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (द्वितीय द्यूत-क्रीड़ा और पाण्डवों का वन गमन) विपिन किशोर सिन्हा द्रौपदी के चीरहरण के समय हुए चमत्कार से धृतराष्ट्र चकित थे – भयभीत भी थे। दुर्योधन और दुशासन के वध के लिए भीम की प्रतिज्ञा और कर्ण-वध के मेरे संकल्प ने उनके भय में और वृद्धि कर दी थी। अपने सातवें पुत्र विकर्ण और अपने […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौतेन्य द्वितीय द्यूत-क्रीड़ा और पाण्डवों का वन गमन
धर्म-अध्यात्म वास्तव में सच्चा मुसलमान है कौन? September 27, 2011 / December 6, 2011 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on वास्तव में सच्चा मुसलमान है कौन? तनवीर जाफ़री इस्लाम धर्म से संबद्ध विभिन्न वर्गों व समुदायों के उलेमाओं से अक्सर यह सुनने को मिलता है कि इस्लाम धर्म में विभिन्न आस्थाओं, विश्वासों व अंकीदों से जुड़े हुए 73 अलग-अलग वर्ग या फिरके हैं। मुसलमान होने के बावजूद इस प्रकार से वर्ग, समुदाय या फिरकों के रूप में इस्लाम धर्म को मानने […] Read more » Muslim अहमदिया मुसलमान
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३१ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 25, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (पाण्डवों की दासता से मुक्ति) विपिन किशोर सिन्हा अब धृतराष्ट्र ने भी मुंह खोला – “पुत्रवधू कृष्णा! तुम मेरी पुत्रवधुओं में सबसे श्रेष्ठ एवं धर्मपारायण हो। तुम्हारा सतीत्व और तुम्हारी भक्ति तुम्हें सम्मानित करते हैं। तुमने अपनी महिमा प्रकट कर दी है। तुम्हारा पातिव्रत्य असंदिग्ध है। तुम्हारी निष्ठा पर मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं। तुम मुक्त […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौतेन्य पाण्डवों की दासता से मुक्ति
धर्म-अध्यात्म ‘‘श्रद्धा भाव है श्राद्ध’’ September 25, 2011 / December 6, 2011 by डॉ. सौरभ मालवीय | 4 Comments on ‘‘श्रद्धा भाव है श्राद्ध’’ सौरभ मालवीय पितर हमारे किसी भी कार्य में अदृश्य रूप से सहायक की भूमिका अदा करते। क्योंकि अन्ततः हम उन्हीं के तो वंशज हैं। ज्योतिष विज्ञान की मान्यता के अनुसार वे हमारे सभी गतिविधियों पर अपनी अतिन्द्रीय सामर्थ के अनुसार निगाह रखे रहते हैं। यदि हम अपना भाव भावात्मक लगाव उनसे जोड़ सके तो वे […] Read more » पित़पक्ष पितृपक्ष श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-३० (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 25, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (हस्तिनापुर की द्यूत सभा) विपिन किशोर सिन्हा क्रोध अपनी सीमा पार कर क्षोभ का रूप धर लेता है। मैं क्या था उस क्षण, ठीक जान नहीं पाया। अनुगत भ्राता, वीरत्वहीन पुरुष, हतभाग्य नायक, द्रौपदी का प्राणप्रिय, इन्द्र की सन्तान, श्रीकृष्ण का परम प्रिय सखा या क्रीत दास – ज्ञात नहीं। लेकिन था तो बहुत कुछ […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौतेन्य हस्तिनापुर की द्यूत-सभा
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२९ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 17, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (हस्तिनापुर की द्यूत-सभा) विपिन किशोर सिन्हा भीम शत्रुओं के जाल में फंसते दीख रहे थे। हम पांचो भ्राताओं की चट्टानी एकता में एक छोटी सी दरार ही तो देखना चाहते थे कौरव। चार उंगलियां कभी मुष्टिका का निर्माण नहीं कर सकतीं। मुष्टिका के बिना शत्रु पर प्रहार असंभव होता है। सिर्फ उंगली उठाने से शत्रु […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय हस्तिनापुर की द्यूत-सभा
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-२८ (महाभारत पर आधारित उपन्यास-अंश) September 17, 2011 / December 6, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment (हस्तिनापुर की द्यूत-सभा) विपिन किशोर सिन्हा “भीम, लौट आओ, मुझे लज्जित न करो। तुम्हें मेरी शपथ, लौट आओ।” युधिष्ठिर ने तेज स्वरों में बार-बार भीम को लौट आने का आदेश दिया। भैया भीम कठपुतली की भांति युधिष्ठिर के पांव के अंगूठे पर दृष्टिपात करते हुए अपने स्थान पर लौट आए। हम चारो भ्राताओं की जीवन-डोर […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय हस्तिनापुर की द्यूत-सभा
धर्म-अध्यात्म पर्यावरण गंगा और भारत September 16, 2011 / December 6, 2011 by डॉ. सौरभ मालवीय | 16 Comments on गंगा और भारत सौरभ मालवीय गंगा शब्द का अर्थ तीव्रगामनी होता है लेकिन भारत में इस शब्द का अर्थ एक पवित्र नदी के रूप में है। इसका अर्थ पुरूषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति का साधन है यू तो संसार में हजारों नदियां हैं और भारत में भी एक सौ तेरह विपुल जल वाली नदियां है परन्तु भारतीय आस्था में […] Read more » India गंगा