धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१४ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 19, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा पिछला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें हम स्वयंवर में आमंत्रित तो नहीं थे, लेकिन ब्राह्मणों के छद्मवेश में वहां पहुंच ही गए। स्वयंवर के लिए नगर से ईशानकोण में रंगमण्डप का निर्माण कराया गया था। आंखें चौंधिया रही थीं, उसकी भव्यता निरखकर। सुना था पांचाली को श्वेत रंग बहुत भाता […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म पर्यावरण प्रदूषण मुक्त गंगा, प्रदूषण मुक्त सार्वजनिक जीवन August 19, 2011 / December 7, 2011 by लालकृष्ण आडवाणी | Leave a Comment लालकृष्ण आडवाणी परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती उन आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं जिनका मैं अत्यंत आदर करता हूं। गंगा के किनारे उनका आश्रम सचमुच में शांति, पवित्रता और दिव्यता का स्वर्ग है। मैं अपने परिवार के साथ वहां अनेक बार गया हूं। घाट पर संध्या आरती के समय जब स्वामीजी अपने […] Read more » Ganga River Pollution गंगा प्रदूषण
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१३ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) August 18, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on कहो कौन्तेय-१३ (महाभारत पर आधारित उपन्यास) विपिन किशोर सिन्हा हम लाक्षागृह पहुंचे। नए राजभवन का नाम “शिवभवन” था। बाहर और अंदर से अत्यन्त भव्य इस महल का निरीक्षण हमने अत्यन्त सूक्ष्मता से किया। महात्मा विदुर द्वारा भेजे गए कुशल शिल्पियों के अनवरत श्रम द्वारा, गुप्त रूप से शिवभवन से गंगा किनारे तक धरती के भीतर एक सुरंग का निर्माण कराया गया। […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-१२ August 16, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा महाराज धृतराष्ट्र राजकीय कार्यों में सार्वजनिक रूप से महात्मा विदुर की सलाह लेते थे लेकिन अपने व्यक्तिगत कार्यों में कूटनीतिज्ञ कणिक का ही परामर्श उन्हें भाता था। वह उनका प्रिय मंत्री था। महाराज के व्यक्तिगत कक्ष में दुर्योधन के साथ कर्ण, शकुनि और मंत्री कणिक की बैठकें सामान्य से कुछ अधिक होने […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म मूल्यपरक जीवन जीने का प्रषिक्षण है रोजा August 14, 2011 / December 7, 2011 by इफ्तेख़ार अहमद | Leave a Comment मो. इफ्तेखार अहमद, रमजान का महत्व धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक भी ’’रमजान‘‘ के पाक महीना के आरम्भ होते ही मस्जिदों में इबादत की हलचल व तिलावत-ए कुरआन षरीफ गुंजने लगी है। रोजे की पवित्रता से लोगों के मन इस कद्र पाक हो जाता है कि षाम होते ही रोजेदार इफतार के लिए रंग-बिरंगी टोपियॉ सर […] Read more » roja रोजा
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-५ August 9, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on श्रीमद्भगद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-५ विपिन किशोर सिन्हा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों को जब कोई पुष्ट आरोप समझ में नहीं आता, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को भी सांप्रदायिक करार देकर अपना कर्त्तव्यपालन कर लेते हैं। अब तो बिना कुछ किए भी संघ को समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में आवश्यकता से अधिक कवरेज प्राप्त होने […] Read more » Srimadbhagwat Gita छद्मधर्मनिरपेक्ष श्रीमद्भगद्गीता
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-४ August 8, 2011 / August 8, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 4 Comments on श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-४ विपिन किशोर सिन्हा कर्म गीता का मूलमंत्र है। निष्काम कर्मयोग में सारे दर्शन समाहित हैं। Work is worship — कार्य ही पूजा है, का सिद्धान्त गीता से निकला (Derived) है। ईश्वर की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण के पूर्व यह मान्यता थी कि संसार का परित्याग कर घने वन, पर्वत पर, नदी के किनारे या […] Read more » छद्म धर्मनिरपेक्ष श्रीमद्भगवद्गीता
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और छद्मधर्मनिरपेक्षवादी : चर्चा-३ August 7, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा प्रवक्ता में इसी सप्ताह एक लंबे लेख में एक निरंकुश लेखक ने गीता के एक श्लोक को उद्धरित करते हुए टिप्पणी लिखी है — “इस श्लोक का हिन्दी अनुवाद हिन्दुओं में आदरणीय मानेजाने वाले विद्वान आदि शंकर ने आठवीं शताब्दी में इस प्रकार किया है –” लेखक के अज्ञान पर रोना आता […] Read more » Srimadbhagwat Gita छद्मधर्मनिरपेक्ष श्रीमद्भगवद्गीता
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-१ August 5, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 7 Comments on श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-१ विपिन किशोर सिन्हा जबसे मध्य प्रदेश की सरकार ने गीता के अध्ययन की विद्यालयों में व्यवस्था की है, स्वयं को प्रगतिशील और धर्म निरपेक्ष कहने वाले खेमे में एक दहशत और बेचैनी व्याप्त हो गई है। उनके पेट में दर्द होने लगा है। उनको यह डर सताने लग गया है कि अगर इसकी स्वीकृति हिन्दू […] Read more » Srimadbhagwat Gita धर्मनिरपेक्षता श्रीमद्भगवद्गीता
धर्म-अध्यात्म ये हैं हिंदुओं के वास्तविक दुश्मन August 4, 2011 / December 7, 2011 by डॉ. राजेश कपूर | 27 Comments on ये हैं हिंदुओं के वास्तविक दुश्मन डॉ. राजेश कपूर डॉ. मीणा जी ने जो मुद्दे उठाए हैं वे सारे तो ठीक से स्पष्ट नहीं होते पर जितने भी मुद्दे समझ आने वाले हैं, उन पर अपनी सम्मति प्रमाणों के आधार पर प्रकट करने का विनम्र प्रयास है. … १. आर्य कहीं बाहर से आये थे, इसके बारे में एक भी ऐतिहासिक प्रमाण […] Read more » hindu छद्मधर्मनिरपेक्षता धर्मनिरपेक्षता हिंदू
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-११ August 4, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा हस्तिनापुर के राजकार्य में युवराज युधिष्ठिर की स्वीकार्यता में निरन्तर वृद्धि हो रही थी। महात्मा विदुर और पितामह भीष्म आए दिन उन्हें अपने कक्ष में बुलाते और नीति-शास्त्र की शिक्षा देते। उन्हें भावी सम्राट के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा था। विदुर जी भैया को सदैव सीख देते, कहते थे – […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म हिन्दुत्व को सबसे बड़ा खतरा छद्महिन्दुत्वादियों से है! August 3, 2011 / December 7, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 20 Comments on हिन्दुत्व को सबसे बड़ा खतरा छद्महिन्दुत्वादियों से है! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ यदि हिन्दुओं को इस शताब्दी को अपनी अर्थात् हिन्दुओं की शताब्दी बनाना है तो धर्मग्रंथों के मार्फत पोषित जन्मजातीय कुलीन अहंकार से परिपूर्ण वर्णवादी, अवैज्ञानिक, अतार्किक, संकीर्ण, शुद्र, अव्यावहारिक और साम्प्रदायिक बातों से मुक्त होकर हिन्दुओं को न मात्र भारतीय, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय लोकतान्त्रितक मूल्यों को स्वीकार करके और इन्हें अपने जीवन […] Read more » Hinduism हिंदुत्व