आर्थिकी विविधा भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके अंर्तद्वंद्व March 1, 2018 by दुलीचंद कालीरमन | Leave a Comment दूलीचन्द रमन 1991 में भारत मे जब नई आर्थिक नीति अपनाई गई तो उसमें उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण महत्त्वपूर्ण बिन्दु थे। इन्ही के आधार पर उस समय की भारत की 84 करोड़ जनसंख्या के जीवन में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने के उद्देश्य से तत्कालीन वित्तमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने उस समय भुगतान संतुलन के गंभीर संकट से […] Read more » Featured Indian economy and its inter-kingdom अर्थव्यवस्था नई आर्थिक नीति भारत
आर्थिकी समाज किसान हितैशी बजट में लागत गणना का पेंच ? February 5, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment इसमें कोई दो राय नही कि नरेंद्र मोदी सरकार यह पहला और अंतिम ऐसा पूर्ण बजट है, जो गांव किसान, किसानी और गरीब पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें सबसे अधिक घोषणाएं कृषि और किसान पर हैं। साथ ही 2019 के आम चुनाव और इसी साल होने वाले आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव को भी […] Read more » budget 2018 farmer oriented budget Featured किसान हितैशी बजट
आर्थिकी राजनीति गांव, गरीब और किसान की सुुध लेता बजट February 3, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – बजट हर वर्ष आता है। अनेक विचारधाराओं वाले वित्तमंत्रियों ने विगत में कई बजट प्रस्तुत किए। पर हर बजट लोगों की मुसीबतें बढ़ाकर ही जाता है। लेकिन इस बार बजट ने नयी परम्परा के साथ राहत की सांसें दी है तो नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी व्यक्त […] Read more » budget 2018 emphasize inclusive growth in budget Featured Need to emphasize inclusive growth in budget बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली समावेशी विकास समावेशी विकास पर जोर देने की जरूरत
आर्थिकी राजनीति तमन्नाओं में उलझाया गया हूं….खिलौने दे कर बहलाया गया हूं February 3, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आख़िरी पूर्ण बजट पेश करने के बाद शाद अजीमाबादी की ये पंक्तियां याद आ रही हैं – तमन्नाओं में उलझाया गया हूं….खिलौने दे कर बहलाया गया हूं। वित्त मंत्री के बजट भाषण के दौरान सबसे ज्यादा तालियां उस समय बजी जब राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, राज्यपाल और सांसदों के वेतन की […] Read more » Budget budget 2018 Featured उज्ज्वला योजना खिलौने दे कर बहलाया गया हूं तमन्नाओं में उलझाया गया हूं वित्त मंत्री अरुण जेटली
आर्थिकी राजनीति आसियान के माध्यम से चीन को चुनौती February 1, 2018 by दुलीचंद कालीरमन | Leave a Comment दुलीचन्द रमन इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह कुछ खास रहा क्योंकि इस वर्ष 69वें गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान आसियान के दस देशों (म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपिन्स, सिंगापुर, कंबोडिया, लाओस और बु्रनेई) के सर्वोच्च नेता मुख्य अतिथि के रूप में नई-दिल्ली में उपस्थित रहे। यह गणतंत्र दिवस के इतिहास मे पहला […] Read more » 69वें गणतंत्र दिवस की परेड Featured आसियान इंडोनेशिया कंबोडिया चीन को चुनौती थाईलैंड फिलिपिन्स बु्रनेई मलेशिया म्यांमार लाओस वियतनाम सिंगापुर
आर्थिकी राजनीति बजट की छांव में उम्मीदों का सच January 31, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- भारत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है और उस दिशा में आगे बढ़ भी रहा है। लोकसभा में प्रस्तुत किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था का जो नक्शा निकला है वह इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाला है। सकल विकास वृद्धि दर के मोर्चे […] Read more » budget 2018 Featured shadow of budget The truth of expectations बजट बजट 2018
आर्थिकी राजनीति बजट में समावेशी विकास पर जोर देने की जरूरत January 30, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान भारत के लिए जो बुरी खबर आई थी, वह 69वें गणतंत्र दिवस और आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अभिनंदन में कुछ दब सी जरूर गई है, जिसे रेखांकित किया जाना जरूरी है। डब्ल्यूईएफ की ओर से जारी समावेशी विकास सूचकांक में भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले […] Read more » budget 2018 emphasize inclusive growth in budget Featured Need to emphasize inclusive growth in budget बजट समावेशी विकास समावेशी विकास पर जोर देने की जरूरत
आर्थिकी राजनीति विदेशी निवेश से किसे होगा लाभ January 26, 2018 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment पुनः एफडीआई चर्चा में है। यदि सन 2000 से 2017 की अवधि को देखें तो एफडीआई के समर्थन में उठाए गए कदमों में एक निरंतरता दिखती है। नए नए क्षेत्रों में एफडीआई को मंजूरी दी गई है। अलग अलग क्षेत्रों में एफडीआई की मात्रा से सम्बंधित नियमों को शिथिल किया गया है। हम 49 प्रतिशत के […] Read more » FDI Featured foreign investment Who will benefit from foreign investment एफडीआई विदेशी निवेश विदेशी निवेश से लाभ
आर्थिकी विविधा गरीबी बढ़ा रहा है पूंजी का केंद्रीयकरण January 25, 2018 / January 25, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- आॅक्सफैम सर्वे में खुलासा, 67 करोड़ गरीबों की आय मात्र 1 फीसदी बढ़ी प्रमोद भार्गव विश्व के धनी व अमीर देशों के दावोस में चल रही वार्षिक बैठक से ठीक पहले आॅक्सफैम के सर्वे ने अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर सबको चौंका दिया है। दरअसल यह अंतरराष्ट्रीय संगठन गरीबी उन्मूलन […] Read more » centralization of capital Featured Increasing poverty Oxfam report अंतरराष्ट्रीय अधिकारवादी समूह आक्सफैम आॅक्सफैम दावोस विश्व आर्थिक मंच स्विट्जरलैंड
आर्थिकी लेख विश्व व्यापार संगठन और भारतीय कृषि January 3, 2018 by दुलीचंद कालीरमन | Leave a Comment दुलीचन्द रमन 164 सदस्य देशों वाले विश्व व्यापार संगठन का 11वां मंत्री स्तरीय सम्मेलन अर्जेटिना के ब्यूनेस आयर्स में 13 दिसंबर 2017 को सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन के नतीजों का आंकलन करें तो इस विश्व संस्था के भविष्य पर सवालिया निशान लग जाते है। विश्व व्यापार संगठन के आलोचकों ने 1995 में इसके गठन […] Read more » Indian Agriculture World Trade Organization भारतीय कृषि विश्व व्यापार संगठन
आर्थिकी महत्वपूर्ण लेख राजनीति चाबहार बंदरगाह एक बड़ी उपलब्धि December 7, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव पाकिस्तान और चीन की सभी कूटनीतियों को दरकिनार करते हुए भारत ईरान के रास्ते पहुंचने वाले वैकल्पिक मार्ग, अर्थात चाबहार बंदरगाह को शुरू कराने में सफल हो गया है। भारत सरकार दो लाख करोड़ के पूंजी निवेश से इस बंदरगाह पर पांच गोदियों का निर्माण कर रहा है, इनमें से दो बनकर तैयार […] Read more » Chabahar port Chna Featured gwadar Port India pakistan चाबहार बंदरगाह
आर्थिकी विविधा मोदी के आर्थिक सुधारों पर अंतर्राष्ट्रीय मोहर November 23, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment “कालखंड या समय या इतिहास को हम दो भागों में विभाजित करते हैं, एक bc अर्थात बिफोर क्राइस्ट और दुसरे dc अर्थात एन्नो डोमिनी. इस प्रकार स्वातंत्र्योत्तर भारत कीअर्थव्यवस्था अब दो कालखंडो से जानी जायेगी एक नरेंद्र मोदी/नोटबंदी के पूर्व की अर्थव्यवस्था और दुसरी नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिबंध के बाद की अर्थव्यवस्था”. 9 नवम्बर2016 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सनसनीखेज ढंग से घोषित की गई नोटबंदी के तत्काल बाद एक समाचार पत्र हेतु लिखी गई अपनी त्वरित टिप्पणी में जब मैंने यह उपरोक्तवाक्य लिखा था तब इस वाक्य पर मैं स्वयं केवल दृढ़ था किंतु मेरे इस कथन पर आज मैं दृढ़ से एक कदम आगे बढ़कर सुदृढ़ हूँ. इस संदर्भ में एक कथन और स्मरण कराता हूँ किदेश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रम पद पर आसीन होने के बाद कहा था कि –“ हम कारोबारी सुगमता में विश्व बैंक की रेटिंग को 50 वें स्थान से नीचें ले जायेंगे”. मोदी जी कायह वचन व संकल्प पूर्णता की ओर बढ़ता दिखाई पड़ रहा है. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद यह विश्वास व्यक्त किया जाने लगा था कि अब विश्व व्यापार जगत में भारत कीस्थिति में सुधार होगा व अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग की मूडीज व फ्लीच जैसी संस्थाएं भारत की क्रेडिट रेटिंग में खासा सुधार कर सकती हैं. अब मध्य नवंबर, 2017 तक यहसंभावना तथ्य में बदल गई है और मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधार कर देश के ठीक ठाक चल रहे आर्थिक मूड को प्रसन्नचित्त व तेजी के मूड में बदल दिया है. इस क्रेडिटरेट में सुधार से पूर्व भारत की रेटिंग दयनीय स्थिति में पहुँच गई थी और “जंक स्टेटस” से मात्र एक कदम दूर थी. भारत के संदर्भ में यह रेटिंग सुधार पिछले 13 वर्षों में पहलीबार हुआ है. इस रेटिंग सुधार ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत हेतु केंद्र में एक ईमानदार व स्पष्ट बहुमत धारी सरकार कितना महत्त्व रखती है. नोटबंदी व जीएसटी जैसे बड़े व क्रांतिकारी निर्णयों के बाद मोदी सरकार कई बार दबाव में दिखती थी व प्रतीत होता था कि आलोचनाएँ उसे कुंठित करेंगी किंतु सरकारइन दुराशाओं को झुठलाया व सतत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही. इस संदर्भ में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी उसकी महत्वाकांक्षी योजनाओं ने सरकारी धन के तथाकथितलीकेज को एकदम बंद कर दिया अरबों रुपया यथोचित आवश्यकता वाले व्यक्तियों तक सीधा पहुँचने लगा. कालेधन की समानान्तर अर्थव्यवस्था बड़े स्तर प प्रभावित हुई वदेश का राजस्व बढ़ने लगा है. इस बढ़े राजस्व से केंद्र की मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं को निर्बाध चला सकती है व चला भी रही है. नोटबंदी के नवम्बर 2016 के बाद पहली नवम्बर 2017 को विश्व बैंक ने कारोबारी सुगमता विषयक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डुइंगबिजनस लिस्ट ) की इस रिपोर्टिंग में विश्व बैंक ने भारत की रेटिंग में 30 अंकों का सुधार करते हुए भारत को 130 वें स्थान से सुखद रूप से 100 वें स्थान पर ला खड़ा किया.रेटिंग के इस सुधार ने दुसरे ही दिन सेंसेक्स और एनएसई में आई उछाल से अपना महत्त्व स्पष्ट कर दिया था. यद्दपि इस रेटिंग के निर्धारण में नोटबंदी को वैश्विक सन्दर्भों मेंअपवाद घटना मानकर निर्णायक तथ्यों से अलग रखा गया है तथापि नोटबंदी का, अनिवार्यतः जो प्रभाव समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ा, उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों हीस्थितियों में विश्व बैंक की रेटिंग के संदर्भ में अलग नहीं रखा जा सकता है. मेरा कथन बड़ा ही स्पष्ट है कि चालू वर्ष में जबकि नोटबंदी व जीएसटी के बाद के कई सुधार अपनाव्यापक प्रभाव बताने लगे हैं. यह निश्चित लग रहा है कि ये प्रभाव इस रेटिंग को और श्रेयस्कर स्तर पर ले जाने में खासे सफल होंगे. अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने भारत कीसॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करनेवाली रेटिंग्स ‘Baa3′ से बढ़ाकर’Baa2’ कर दी और रेटिंग आउटलुक को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया. यहां यह बड़ी ही उल्लेखनीय बात है कि देश के तीन वित्तीय विशेषज्ञ माने जाने वाले तीन पूर्ववित्त मंत्री मनमोहन, चिदंबरम व यशवंत सिन्हा बड़े ही दुराशयी, मिथ्या व तर्कहीन सिद्ध हो गए. नोटबंदी व जीएसटी के ये तीन बड़े आलोचक जो आर्थिक क्षेत्रों के बड़ेजानकार माने जाते हैं, उनकी आलोचना के मुख्य बिंदु ही धराशायी हो गए. विपक्ष के हाथों से आर्थिक आलोचना का एक बड़ा मुद्दा न केवल खसक गया अपितु अकारण,निराधार व थोथी आलोचना हेतु विपक्ष की भद्द भी पिट गयी. कांग्रेस व भाजपा के ही यशवंत सिन्हा को सिरे से नकारते हुए मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को एक अच्छाकदम बताया है, साथ ही अन्य कई फैसलों की भी तारीफ की है. मूडीज़ की रिपोर्ट में इस रैंकिंग में सुधार की वजह भारत के द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैंको भी बताया है. भारत को निवेश हेतु बेहतर माहौल वाला देश बताया गया है और मूडीज ने मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्ज को कम करने की प्रवृत्ति को रेटिंग सुधार काएक कारण बताते हुए उसकी प्रसंशा की है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के कारण तीव्र गति से बढ़ने वाले अंतर्राज्यीय व्यापार से भी बहुत आशाएं व्यक्त की हैं. आधार,डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम जैसे सुधारों से भी नॉन परफॉर्मिंग लोन और बैंकिंग सिस्टम में आये सुधार की भी प्रसंशा की गई है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीयजीडीपी में आई कमी को तात्कालिक कमी बताया है व मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को दीर्घकालिक सुधार बताते हुए उनकी प्रसंशा की है और इस आधार पर भारत कीजीडीपी ग्रोथ मार्च 2018 तक 6.7 % होगी, यह अनुमान लगाया है. और इसके भी आगे जाकर 2019 तक जीडीपी एक बार फिर 7.5 फीसदी तक पहुंचेगी इस आशा को भीबलवती बताया है. निश्चित ही विश्व बैंक व मूडीज की रिपोर्टों व प्रसंशा से भारत का आर्थिक माहौल सुधरा है और अब अनेक प्रकार की आशाएं व्यक्त की जाने कगी हैं, जैसे – देश में भीकर्ज सस्ता होगा, भारतीय कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलेगा. विदेशी कम्पनिया भारत में अधिक पैसा लगाएंगी. अन्य अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग कम्पनियां भी भारत की रेटिंग मेंवृद्धि करेंगी. आम जनता, कारोबारियों व उद्योगपतियों का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा जिससे सकल उत्पाद बढेगा व इन सबके परिणाम स्वरूप महंगाई कम होगी. शेयर बाजारसुधरेंगे, आम निवेशकों को अधिक रिटर्न देंगे इससे भारतीय मुद्रा रुपया मजबूत होगा और अन्ततोगत्वा सरकार का राजस्व बढ़ेगा जिससे चहुँओर विकास होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहप्रदेश गुजरात में चल रहे चुनाव इस दिशा में निश्चित ही मोदी सरकार को कुछ बढ़त प्रदान करेंगे. व्यवसाइयों के प्रदेश गुजरात के इनचुनावों में कांग्रेस के पास जातिवाद का जहर फैलाने के अतिरिक्त नोटबंदी, जीएसटी और कारोबारी विफलता ही एक मात्र मुद्दा थी. अब स्थिति यह है कि गुजरात की जनताजातिवाद के नाम पर विभक्त हो नहीं रही व मूडीज की सुधरी हुई रेटिंग ने व विश्व बैंक की प्रसंशा ने कांग्रेस से एक बड़ा चुनावी हथियार छीन लिया है. अन्तराष्ट्रीय संस्थानों सेकेंद्र सरकार को और उसके बहुचर्चित निर्णयों को जो मान्यता मिली है इसके दीर्घकालीन व तात्कालिक दोनों ही परिणाम मोदी सरकार को मिलेंगे इतना तय है. 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