आर्थिकी राजनीति विदेशी निवेश से किसे होगा लाभ January 26, 2018 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment पुनः एफडीआई चर्चा में है। यदि सन 2000 से 2017 की अवधि को देखें तो एफडीआई के समर्थन में उठाए गए कदमों में एक निरंतरता दिखती है। नए नए क्षेत्रों में एफडीआई को मंजूरी दी गई है। अलग अलग क्षेत्रों में एफडीआई की मात्रा से सम्बंधित नियमों को शिथिल किया गया है। हम 49 प्रतिशत के […] Read more » FDI Featured foreign investment Who will benefit from foreign investment एफडीआई विदेशी निवेश विदेशी निवेश से लाभ
आर्थिकी विविधा गरीबी बढ़ा रहा है पूंजी का केंद्रीयकरण January 25, 2018 / January 25, 2018 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- आॅक्सफैम सर्वे में खुलासा, 67 करोड़ गरीबों की आय मात्र 1 फीसदी बढ़ी प्रमोद भार्गव विश्व के धनी व अमीर देशों के दावोस में चल रही वार्षिक बैठक से ठीक पहले आॅक्सफैम के सर्वे ने अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर सबको चौंका दिया है। दरअसल यह अंतरराष्ट्रीय संगठन गरीबी उन्मूलन […] Read more » centralization of capital Featured Increasing poverty Oxfam report अंतरराष्ट्रीय अधिकारवादी समूह आक्सफैम आॅक्सफैम दावोस विश्व आर्थिक मंच स्विट्जरलैंड
आर्थिकी लेख विश्व व्यापार संगठन और भारतीय कृषि January 3, 2018 by दुलीचंद कालीरमन | Leave a Comment दुलीचन्द रमन 164 सदस्य देशों वाले विश्व व्यापार संगठन का 11वां मंत्री स्तरीय सम्मेलन अर्जेटिना के ब्यूनेस आयर्स में 13 दिसंबर 2017 को सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन के नतीजों का आंकलन करें तो इस विश्व संस्था के भविष्य पर सवालिया निशान लग जाते है। विश्व व्यापार संगठन के आलोचकों ने 1995 में इसके गठन […] Read more » Indian Agriculture World Trade Organization भारतीय कृषि विश्व व्यापार संगठन
आर्थिकी महत्वपूर्ण लेख राजनीति चाबहार बंदरगाह एक बड़ी उपलब्धि December 7, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव पाकिस्तान और चीन की सभी कूटनीतियों को दरकिनार करते हुए भारत ईरान के रास्ते पहुंचने वाले वैकल्पिक मार्ग, अर्थात चाबहार बंदरगाह को शुरू कराने में सफल हो गया है। भारत सरकार दो लाख करोड़ के पूंजी निवेश से इस बंदरगाह पर पांच गोदियों का निर्माण कर रहा है, इनमें से दो बनकर तैयार […] Read more » Chabahar port Chna Featured gwadar Port India pakistan चाबहार बंदरगाह
आर्थिकी विविधा मोदी के आर्थिक सुधारों पर अंतर्राष्ट्रीय मोहर November 23, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment “कालखंड या समय या इतिहास को हम दो भागों में विभाजित करते हैं, एक bc अर्थात बिफोर क्राइस्ट और दुसरे dc अर्थात एन्नो डोमिनी. इस प्रकार स्वातंत्र्योत्तर भारत कीअर्थव्यवस्था अब दो कालखंडो से जानी जायेगी एक नरेंद्र मोदी/नोटबंदी के पूर्व की अर्थव्यवस्था और दुसरी नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिबंध के बाद की अर्थव्यवस्था”. 9 नवम्बर2016 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सनसनीखेज ढंग से घोषित की गई नोटबंदी के तत्काल बाद एक समाचार पत्र हेतु लिखी गई अपनी त्वरित टिप्पणी में जब मैंने यह उपरोक्तवाक्य लिखा था तब इस वाक्य पर मैं स्वयं केवल दृढ़ था किंतु मेरे इस कथन पर आज मैं दृढ़ से एक कदम आगे बढ़कर सुदृढ़ हूँ. इस संदर्भ में एक कथन और स्मरण कराता हूँ किदेश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रम पद पर आसीन होने के बाद कहा था कि –“ हम कारोबारी सुगमता में विश्व बैंक की रेटिंग को 50 वें स्थान से नीचें ले जायेंगे”. मोदी जी कायह वचन व संकल्प पूर्णता की ओर बढ़ता दिखाई पड़ रहा है. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद यह विश्वास व्यक्त किया जाने लगा था कि अब विश्व व्यापार जगत में भारत कीस्थिति में सुधार होगा व अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग की मूडीज व फ्लीच जैसी संस्थाएं भारत की क्रेडिट रेटिंग में खासा सुधार कर सकती हैं. अब मध्य नवंबर, 2017 तक यहसंभावना तथ्य में बदल गई है और मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधार कर देश के ठीक ठाक चल रहे आर्थिक मूड को प्रसन्नचित्त व तेजी के मूड में बदल दिया है. इस क्रेडिटरेट में सुधार से पूर्व भारत की रेटिंग दयनीय स्थिति में पहुँच गई थी और “जंक स्टेटस” से मात्र एक कदम दूर थी. भारत के संदर्भ में यह रेटिंग सुधार पिछले 13 वर्षों में पहलीबार हुआ है. इस रेटिंग सुधार ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत हेतु केंद्र में एक ईमानदार व स्पष्ट बहुमत धारी सरकार कितना महत्त्व रखती है. नोटबंदी व जीएसटी जैसे बड़े व क्रांतिकारी निर्णयों के बाद मोदी सरकार कई बार दबाव में दिखती थी व प्रतीत होता था कि आलोचनाएँ उसे कुंठित करेंगी किंतु सरकारइन दुराशाओं को झुठलाया व सतत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही. इस संदर्भ में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी उसकी महत्वाकांक्षी योजनाओं ने सरकारी धन के तथाकथितलीकेज को एकदम बंद कर दिया अरबों रुपया यथोचित आवश्यकता वाले व्यक्तियों तक सीधा पहुँचने लगा. कालेधन की समानान्तर अर्थव्यवस्था बड़े स्तर प प्रभावित हुई वदेश का राजस्व बढ़ने लगा है. इस बढ़े राजस्व से केंद्र की मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं को निर्बाध चला सकती है व चला भी रही है. नोटबंदी के नवम्बर 2016 के बाद पहली नवम्बर 2017 को विश्व बैंक ने कारोबारी सुगमता विषयक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डुइंगबिजनस लिस्ट ) की इस रिपोर्टिंग में विश्व बैंक ने भारत की रेटिंग में 30 अंकों का सुधार करते हुए भारत को 130 वें स्थान से सुखद रूप से 100 वें स्थान पर ला खड़ा किया.रेटिंग के इस सुधार ने दुसरे ही दिन सेंसेक्स और एनएसई में आई उछाल से अपना महत्त्व स्पष्ट कर दिया था. यद्दपि इस रेटिंग के निर्धारण में नोटबंदी को वैश्विक सन्दर्भों मेंअपवाद घटना मानकर निर्णायक तथ्यों से अलग रखा गया है तथापि नोटबंदी का, अनिवार्यतः जो प्रभाव समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ा, उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों हीस्थितियों में विश्व बैंक की रेटिंग के संदर्भ में अलग नहीं रखा जा सकता है. मेरा कथन बड़ा ही स्पष्ट है कि चालू वर्ष में जबकि नोटबंदी व जीएसटी के बाद के कई सुधार अपनाव्यापक प्रभाव बताने लगे हैं. यह निश्चित लग रहा है कि ये प्रभाव इस रेटिंग को और श्रेयस्कर स्तर पर ले जाने में खासे सफल होंगे. अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने भारत कीसॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करनेवाली रेटिंग्स ‘Baa3′ से बढ़ाकर’Baa2’ कर दी और रेटिंग आउटलुक को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया. यहां यह बड़ी ही उल्लेखनीय बात है कि देश के तीन वित्तीय विशेषज्ञ माने जाने वाले तीन पूर्ववित्त मंत्री मनमोहन, चिदंबरम व यशवंत सिन्हा बड़े ही दुराशयी, मिथ्या व तर्कहीन सिद्ध हो गए. नोटबंदी व जीएसटी के ये तीन बड़े आलोचक जो आर्थिक क्षेत्रों के बड़ेजानकार माने जाते हैं, उनकी आलोचना के मुख्य बिंदु ही धराशायी हो गए. विपक्ष के हाथों से आर्थिक आलोचना का एक बड़ा मुद्दा न केवल खसक गया अपितु अकारण,निराधार व थोथी आलोचना हेतु विपक्ष की भद्द भी पिट गयी. कांग्रेस व भाजपा के ही यशवंत सिन्हा को सिरे से नकारते हुए मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को एक अच्छाकदम बताया है, साथ ही अन्य कई फैसलों की भी तारीफ की है. मूडीज़ की रिपोर्ट में इस रैंकिंग में सुधार की वजह भारत के द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैंको भी बताया है. भारत को निवेश हेतु बेहतर माहौल वाला देश बताया गया है और मूडीज ने मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्ज को कम करने की प्रवृत्ति को रेटिंग सुधार काएक कारण बताते हुए उसकी प्रसंशा की है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के कारण तीव्र गति से बढ़ने वाले अंतर्राज्यीय व्यापार से भी बहुत आशाएं व्यक्त की हैं. आधार,डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम जैसे सुधारों से भी नॉन परफॉर्मिंग लोन और बैंकिंग सिस्टम में आये सुधार की भी प्रसंशा की गई है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीयजीडीपी में आई कमी को तात्कालिक कमी बताया है व मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को दीर्घकालिक सुधार बताते हुए उनकी प्रसंशा की है और इस आधार पर भारत कीजीडीपी ग्रोथ मार्च 2018 तक 6.7 % होगी, यह अनुमान लगाया है. और इसके भी आगे जाकर 2019 तक जीडीपी एक बार फिर 7.5 फीसदी तक पहुंचेगी इस आशा को भीबलवती बताया है. निश्चित ही विश्व बैंक व मूडीज की रिपोर्टों व प्रसंशा से भारत का आर्थिक माहौल सुधरा है और अब अनेक प्रकार की आशाएं व्यक्त की जाने कगी हैं, जैसे – देश में भीकर्ज सस्ता होगा, भारतीय कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलेगा. विदेशी कम्पनिया भारत में अधिक पैसा लगाएंगी. अन्य अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग कम्पनियां भी भारत की रेटिंग मेंवृद्धि करेंगी. आम जनता, कारोबारियों व उद्योगपतियों का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा जिससे सकल उत्पाद बढेगा व इन सबके परिणाम स्वरूप महंगाई कम होगी. शेयर बाजारसुधरेंगे, आम निवेशकों को अधिक रिटर्न देंगे इससे भारतीय मुद्रा रुपया मजबूत होगा और अन्ततोगत्वा सरकार का राजस्व बढ़ेगा जिससे चहुँओर विकास होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहप्रदेश गुजरात में चल रहे चुनाव इस दिशा में निश्चित ही मोदी सरकार को कुछ बढ़त प्रदान करेंगे. व्यवसाइयों के प्रदेश गुजरात के इनचुनावों में कांग्रेस के पास जातिवाद का जहर फैलाने के अतिरिक्त नोटबंदी, जीएसटी और कारोबारी विफलता ही एक मात्र मुद्दा थी. अब स्थिति यह है कि गुजरात की जनताजातिवाद के नाम पर विभक्त हो नहीं रही व मूडीज की सुधरी हुई रेटिंग ने व विश्व बैंक की प्रसंशा ने कांग्रेस से एक बड़ा चुनावी हथियार छीन लिया है. अन्तराष्ट्रीय संस्थानों सेकेंद्र सरकार को और उसके बहुचर्चित निर्णयों को जो मान्यता मिली है इसके दीर्घकालीन व तात्कालिक दोनों ही परिणाम मोदी सरकार को मिलेंगे इतना तय है. Read more » moodys जीएसटी नोटबंदी भारत कीअर्थव्यवस्था मोदी
आर्थिकी मूडीज की मोहर से बदलेगी दिशाएं November 21, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग नोटबंदी एवं जीएसजी के आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिये मोदी सरकार को जिन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उन स्थितियों में अर्थव्यवस्था को गति देने के तौर-तरीके खोजे जा रहे हैं, ऐसे समय में मोदी सरकार के लिए एक बेहतर खबर आई है कि अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ […] Read more » Featured Moody's rating for India increased moodys कमोटिडी मार्केट जीएसटी नोटबंदी मूडीज शेयर मार्केट
आर्थिकी राजनीति आंकड़ों के बहाने आत्मावलोकन November 10, 2017 by राजू पाण्डेय | Leave a Comment विगत दिनों में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने दो आंकड़े जारी किए। वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के आकलन में भारत ने 30 स्थानों की छलांग लगाई। इसे मीडिया ने जम कर कवर किया और राजनीतिक दलों ने भी इस पर अपनी सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रतिक्रिया खुल कर दी। एक दूसरा अचर्चित आकलन […] Read more » demonetisation effects of notebandi Featured gender equality gst आत्मावलोकन जेंडर गैप इंडेक्स वर्ल्ड बैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी
आर्थिकी नोटबंदी : देश हुआ मजबूत November 8, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा एक वर्ष पूर्व किए गए नोट बदली को जहां भारतीय जनता पार्टी अप्रत्याशित बताते हुए उसके लाभ बता रही है, वहीं विपक्षी दल कांगे्रस इसे त्रासदी के रुप में प्रचारित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी किए एक वीडियो में जो बात कही गई है, […] Read more » demonetization effect of GST on common man Featured gst जीएसटी नोटबंदी रेत माफियाओं पर शिकंजा सर्राफा व्यापारियों पर टैक्स हाईवे के किनारों से शराब के ठेकों को उखाड़
आर्थिकी राजनीति आर्थिक मोर्चे पर प्रधानमंत्री की तार्किक बातें October 5, 2017 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर प्रतिपक्ष एवं अपनी पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का जिस तरह से एक के बाद एक उत्तर दिए हैं, उसके बाद उन सभी लोगों को अवश्य ही यह समझ जाना चाहिए कि केंद्र की भाजपा सरकार मोदी नेतृत्व में जो […] Read more » Featured प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति रेलवे सेक्टर विमुद्रीकरण सरकार में देश आर्थिक सुधारों की ओर अग्रसर
आर्थिकी राजनीति केंद्र का जीएसटी दरों पर पुनर्विचार October 3, 2017 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment : डॉ. मयंक चतुर्वेदी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी दरें घटाने का जिस तरह से संकेत दिया है, उसके बाद लगने लगा है कि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से जैसी परिस्थितियां केंद्र सरकार के विरोध में निर्मित हुई हैं, उनको सरकार बहुत ही गंभीरता से ले रही है। शायद सरकार को भी यह उम्मीद […] Read more » Featured GST rates GST rates need to revise जीएसटी दरों पर पुनर्विचार
आर्थिकी राजनीति अर्थव्यवस्था की तस्वीर का द्वंद्व September 30, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव भारतीय अर्थव्यवस्था के दो चेहरे सामने आए हैं। इनमें पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा जो तस्वीर पेश की गई है, वह नरेद्र मोदी सरकार के पिछले 40 माह के दौरान अर्थव्यवस्था सुधारने की दृष्टि से जो निर्णय लिए गए हैं, उनके परिणामस्वरूप यह तस्वीर धंुधली है। सिन्हा ने आर्थिक सुधार के कथित हालातों […] Read more » Featured कालेधन जयंत सिन्हा जापान की अर्तरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी डिजीटल लेने-देने नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा नोमुरा पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा बेनामी संपत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था स्किल डवलपमेंट स्टार्टअप स्टैंडअप
आर्थिकी राजनीति मोदी युग में आर्थिक बदलावों के दूरगामी परिणाम September 29, 2017 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment : डॉ. मयंक चतुर्वेदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश जिस गति के साथ आर्थिक बदलाव की ओर जा रहा है, उसे लेकर जहां एक ओर उनके कार्यों को अपना समर्थन देनेवालों की कोई कमी नहीं तो दूसरी ओर ऐसे लोगों की भी एक लम्बी सूची है जो मोदी के आर्थिक क्षेत्र में किए जा रहे […] Read more » Featured indian economy in modi era जीएसटी टैक्स चोरी डिजिटल पेमेंट नोटबंदी पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा भारतीय अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थशास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार पर अंकुश