कला-संस्कृति जन-जागरण धर्म-अध्यात्म जानिए चंद्र नमस्कार के लाभ February 6, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment सूर्य नमस्कार आसन के बारे में आपको तो पता ही होगा। अब हम बात कर रहे हैं चंद्र नमस्कार के बारे में। यह आसन इंसान को उर्जा देता है। चंद्र नमस्कार को केवल पंद्रह से दस मिनट तक करने से इंसान को कई तरह के फायदे मिलते हैं जैसे शरीर में उर्जा का आना, कल्पनाशक्ति […] Read more » Featured चंद्र नमस्कार चंद्र नमस्कार के लाभ
जन-जागरण विविधा राम जन्मभूमिः एक नया सपना February 3, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment मेरे पिछले दो-तीन दिन पुणे में गुजरे। इन दो-तीन दिनों में हम एक सपना देखते रहे। दिन में सपना! यह सपना था- अयोध्या के राम मंदिर के बारे में। बाबरी मस्जिद के बारे में। 60 एकड़ के राम जन्म भूमि परिसर के बारे में। यह सारा मामला दशकों से अदालत में अटका हुआ है। ऐसा […] Read more » Featured राम जन्मभूमि
जन-जागरण विविधा स्वास्थ्य-योग कुष्ठ रोग पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास की जरूरत January 28, 2017 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment कुष्ठ रोग निवारण दिवस, 30 जनवरी 2017 पर विशेष कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं कि वजह से होती है। कुष्ठ रोग के रोगाणु कि खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ […] Read more » Featured Leprosy Day कुष्ठ रोग निवारण दिवस
जन-जागरण राजनीति भारत की आबादी में मुसलमानों का अनुपात: एक विश्लेषण January 26, 2017 by मोहम्मद आसिफ इकबाल | Leave a Comment भारत में राज्य स्तर पर जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज़्यादह 68.31% प्रतिशत मुसलमान जम्मू-कश्मीर में आबाद हैं। इसके विपरीत राज्य स्तर पर ही सबसे कम मिजोरम में 1.35% मुसलमान हैं। दूसरी ओर असम, पश्चिम बंगाल और केरल में 25% प्रतिशत से अधिक मुसलमान रहते हैं। वहीं 15 से 20% प्रतिशत वाले राज्य, बिहार और […] Read more » Featured muslim population population of muslims in India ratio of muslims in Indian population भारत की आबादी भारत की आबादी में मुसलमानों का अनुपात मुसलमानों का अनुपात: मुसलमानों की आबादी
जन-जागरण समाज भारत के विरूद्ध सक्रिय संगठनों का वैश्विक तंत्र – ०२ January 16, 2017 / January 16, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment यह विडम्बना ही नहीं धूर्त्तता भी है कि जिन लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान का ककहरा-मात्रा भी नहीं मालूम है वे दलितों को आध्यात्मिक लाभ देने में लगे हुए हैं और इस तथाकथित लाभ के नाम पर उनके गले में गुलामी का फंदा डालने वाले वे लोग उस फंदे को ही मुक्ति का माध्यम व स्वयं को मुक्तिदाता भी बता रहे हैं । इतना ही नहीं, इसकी पूरी अनुकूलता नहीं मिल पाने के कारण वे भारत के कानून-व्यवस्था को धार्मिक स्वतंत्रता का उत्पीडक बताते हुए इसके विरूद्ध अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग भी कर रहे हैं । Read more » Featured religious freedom द राइजिंग आफ हिन्दू एक्सट्रीमिज्म दलित फ्रीडम नेटवर्क फ्रीडम हाऊस
जन-जागरण बच्चों का पन्ना विविधा बचपन मुस्कुराने से महरूम न हो जाए January 12, 2017 by ललित गर्ग | 1 Comment on बचपन मुस्कुराने से महरूम न हो जाए – ललित गर्ग – इन दिनों बन रहे समाज में बच्चों की स्कूल जाने की उम्र लगातार घटती जा रही है, बच्चों के खेलने की उम्र को पढ़ाई-लिखाई में झोंका जा रहा है, उन पर तरह-तरह के स्कूली दबाव डाले जा रहे हैं। अभिभावकों की यह एक तरह की अफण्डता है जो स्टेटस सिम्बल के […] Read more » play school प्ले स्कूल शिक्षा का बोझ
जन-जागरण विविधा सार्थक पहल काले धन के जड-मूल : पाश्चात्य-पद्धति के स्कूल January 5, 2017 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment काले धन के विष-वृक्ष से समाज व देश को अगर सचमुच ही मुक्त करना है , तो इसकी पत्तियों व डालियों के ‘विमुद्रीकरण’ अथवा लेन-देन की प्रक्रिया के ‘कम्प्युटरीकरण’ से कुछ नहीं होगा ; बल्कि इसके लिए इसके जड-मूल अर्थात दीक्षाहीन पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति को उखाड कर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष-सम्पन्न भारतीय शिक्षण-पद्धति का पुनर्पोषण करना होगा । Read more » Featured Hem-chandra-charya-sanskrit-patshala root cause of black money is western system of education पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति पाश्चात्य-पद्धति के स्कूल भारतीय गुरूकुलीय शिक्षण-पद्धति शिक्षाविद उत्तमभाई जवानमल शाह हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला’
खेल जगत जन-जागरण कामयाबी से भरा रहा साल December 31, 2016 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment साल 2016 में टीम इंडिया का प्रदर्शन साल 2016 टीम इंडिया के लिए शानदार रहा। टीम इंडिया ने इस दौरान इस एक भी टेस्ट मैच नहीं गंवाया। तो वहीं कोहली की अगुआई में टीम ने टेस्ट रैंकिग में नंबर एक की पोजिशन पर काबिज हुई। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया टी-20 विश्व कप में […] Read more » कामयाबी से भरा रहा साल
जन-जागरण समाज ग्राहक जागरूकता समय की आवश्यकता December 23, 2016 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment राष्ट्रीय ग्राहक दिवस (24 दिसम्बर) पर विशेष दिनकर सबनीश देश की अर्थव्यवस्था में ग्राहक का महत्वपूर्ण स्थान होता है, वह राजा होता है। ग्राहक तय करता है कि उसे क्या खरीदना है ? क्योंकि उसे चयन का अधिकार प्राप्त है। परंतु अब बाजार घरों में घुस गया है, अब बाजार तय कर रहा है […] Read more » Consumer Awareness consumer awareness is demand of the day Featured ग्राहक जागरूकता राष्ट्रीय ग्राहक दिवस
जन-जागरण विविधा हिन्दी की अस्मिता पर प्रहार करने वाले हिन्दी के अपने । November 30, 2016 / November 30, 2016 by प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी | 4 Comments on हिन्दी की अस्मिता पर प्रहार करने वाले हिन्दी के अपने । – प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी हिंदुस्तान समाचारपत्र के 13 नवंबर 2016 के अंक में केंद्रीय गृह मंत्री माननीय श्री राज नाथ सिंह के एक सभा में भोजपुरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद में विधेयक पारित करने का आश्वासन दिया है। यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हिन्दी को तोड़ने […] Read more » Featured हिन्दी हिन्दी की अस्मिता पर प्रहार
जन-जागरण दूसरों की इन चीजों को उधार मांगने से खाली रहती है जेब…. November 21, 2016 by पंडित दयानंद शास्त्री | 1 Comment on दूसरों की इन चीजों को उधार मांगने से खाली रहती है जेब…. प्रिय पाठकों/मित्रों, प्रथवी पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति में नकारात्मक-सकारात्मक उर्जा होती है। जिसका प्रभाव न केवल उसके चारों ओर बल्कि उन चीजों के व्यावहारिक प्रयोग पर भी पड़ता है, जो वो रोजमर्रा के जीवन में उपयोग करते हैं। कुछ वस्तुएं ऐसे होती हैं जो दूसरों से उधार मांगने से व्यक्ति की जेब में कभी धन […] Read more » इन चीजों को उधार मांगने से खाली रहती है जेब उधार मांगने से खाली रहती है जेब
जन-जागरण बच्चों का पन्ना समाज बिना बाल शिक्षा के देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना करना निरर्थक November 13, 2016 / November 14, 2016 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment वर्तमान में भारत देश में कई जगहों पर आर्थिक तंगी के कारण माँ-बाप ही थोड़े पैसों के लिए अपने बच्चों को ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं, जो अपनी सुविधानुसारउनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं। और उन्हीं होटलों, कोठियों और कारखानों के मालिक बच्चों को थोड़ा बहुत खाना देकरमनमाना काम कराते हैं। और घंटों बच्चों की क्षमता के विपरीत या उससे भी अधिक काम कराना, भर पेट भोजन न देना और मन के अनुसार कार्य न होने पर पिटाईयही बाल मजदूरों का जीवन बन जाता है। Read more » Children day Featured बाल दिवस